Bunker Buster Bombs: नसरल्लाह की हत्या के लिए इजरायल ने बंकर-बस्टर बमों का इस्तेमाल किया. यह बम खासतौर से ज़मीन के अंदर या सुरंगों में छिपे ठिकानों को निशाना बनाने के लिए बनाए जाते हैं. जब बंकर-बस्टर बम फटता है, तो यह इतनी शक्तिशाली झटके पैदा करता है कि उसके आसपास सब कुछ ध्वस्त जाता है.
एक ही झटके में इजरायल ने हिजबुल्लाह की कमर तोड़ दी है. इजरायली सेना ने शुक्रवार को घोषणा की कि हिजबुल्लाह नेता हसन नसरल्लाह की मौत हो गई है. बाद में खुद लेबनानी समूह ने भी इसकी पुष्टि की है. इंटरनेशनल मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस हमले में लगभग 85 "बंकर-बस्टर" बमों का इस्तेमाल किया गया था, जो जमीन के अंदर गहराई तक पहुंचने और फिर विस्फोट करने के लिए बनाए गए हैं.
बंकर-बस्टर बम 30 मीटर तक की मिट्टी या छह मीटर तक की मजबूत कंक्रीट में भी घुसकर अपने लक्ष्य को नष्ट कर सकते हैं. ये बम खासतौर पर ऐसे ठिकानों को नष्ट करने के लिए बनाए जाते हैं, जो बहुत गहरे या मजबूत बंकरों में स्थित होते हैं. इनका वजन 2000 से 4000 पाउंड तक हो सकता है.
इस बम में विस्फोटक सामग्री भरी होती है और इसमें एक विशेष फ्यूज होता है जो बम के लक्ष्य तक पहुंचने के बाद विस्फोट करता है. इसका मकसद यह होता है कि बम अपने लक्ष्य में पूरी तरह से घुस जाए और फिर विस्फोट करे. इसका असर इतना ज़बरदस्त होता है कि पूरे क्षेत्र में व्यापक नुकसान हो सकता है.
हालांकि, इन बमों का उपयोग घनी आबादी वाले क्षेत्रों में करने पर प्रतिबंध है. जिनेवा सम्मेलन के तहत इस प्रकार के घातक हथियारों का उपयोग उन क्षेत्रों में नहीं किया जा सकता, जहां बड़ी संख्या में आम नागरिक रहते हैं. लेकिन इजरायल ने इनका इस्तेमाल किया.
बंकर-बस्टर बमों की शुरुआत सबसे पहले जर्मनी में हुई थी. अगस्त कोएंडर्स नामक जर्मन इंजीनियर ने इनका विकास किया था. उन्होंने इसे 1942 और 1943 में बेल्जियम के किले फ़ोर्ट डी'ऑबिन-नेफचैटो में परीक्षण किया था.
इन बमों को विकसित करने का उद्देश्य यह था कि इनकी अधिक पैठ क्षमता हो और ये ठोस और गहरे बंकरों को भी नष्ट कर सकें. इसका डिज़ाइन ऐसा था कि यह बड़ी सटीकता के साथ लक्ष्य तक पहुंच सके और उसे पूरी तरह से नष्ट कर दे. All photo- AI
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