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तिरुपति की तरह लड्डू नहीं... इन मंदिरों के प्रसाद में मिलता है डोसा, जैम, किताबें समेत अनोखी चीजें, देखें Photos

Unique Prasad of Temples: आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर के लड्डू प्रसाद में मिलावट का मामला सामने आने के बाद अब यह मामला तूल पकड़ रहा है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि देश में कई ऐसे मंदिर हैं, जहां पर भक्तों को लड्डू नहीं बल्कि डोसा, जैम, किताबें प्रसाद के रूप में बांटी जाती हैं.   

 

अज़गर कोविल, मदुरै

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अज़गर कोविल, मदुरै

तमिलनाडु के मदुरै शहर से करीब 21 किमी दूर अज़गर कोविल मंदिर बना हुआ है. भगवान विष्णु को समर्पित इस मंदिर में श्रद्धालुओं को प्रसाद के रूप में डोसा बांटा जाता है. मंदिर में चढ़ाए गए अनाज से यह अनोखा डोसा और कुरकुरे बनाए जाते हैं. बनाने के बाद प्रसाद को पहले देवता को समर्पित किया जाता है, उसके बाद इसे भक्तों में वितरित किया जाता है. 

 

जगन्नाथ मंदिर, पुरी

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जगन्नाथ मंदिर, पुरी

पुरी में भगवान जगन्नाथ के मंदिर की रसोई प्रतिदिन एक लाख लोगों को भोजन प्रदान करती है. ऐसा करने वाली यह दुनिया की सबसे बड़ी रसोई है. जगन्नाथ मंदिर में वितरित किए जाने वाले प्रसाद को "महाप्रसाद" कहा जाता है. इस महाप्रसाद में 56 प्रकार के पके और कच्चे व्यंजन शामिल होते हैं. इस प्रसाद को देवताओं पर अर्पित करने के बाद आनंद बाजार में जनता को बेचा जाता है.

 

धनदायुथापानी स्वामी मंदिर, पलानी

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धनदायुथापानी स्वामी मंदिर, पलानी

तमिलनाडु के पलानी पहाड़ियों में धनदायुथापानी स्वामी मंदिर बना है. भगवान मुरुगन को समर्पित इस मंदिर का पंचामृतम प्रसादम बहुत लोकप्रिय है. पांच फलों, गुड़ और मिश्री से बनने वाला यह प्रसाद जैम का सबसे पुराना रूप माना जाता है. इस पंचामृतम का निर्माण मंदिर की तलहटी में बने एक ऑटोमेटिक प्लांट में किया जाता है. 

 

माता वैष्णो देवी, कटरा

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माता वैष्णो देवी, कटरा

कटरा में बने मां वैष्णो देवी के मंदिर में श्रद्धालुओं को प्रसाद खुद खरीदना पड़ता है. इसके लिए श्राइन बोर्ड ने ऊपर भवन और नीचे कटरा में दुकानें बना रखी हैं. जहां पर जूट के खूबसूरत बैग में नारियल, मुरमुरे, सूखे सेब और दूसरे मेवे शामिल होते हैं. श्रद्धालु चाहें तो ऑर्डर करके स्पीड पोस्ट के जरिए भी यह प्रसाद मंगा सकते हैं.

 

करणी माता मंदिर, बीकानेर

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करणी माता मंदिर, बीकानेर

राजस्थान के बीकानेर में बना करणी माता का मंदिर चूहों के लिए प्रसिद्ध हैं. यहां बड़ी संख्या में चूहे मौजूद हैं लेकिन ये मंदिर या श्रद्धालुओं को कोई नुकसान नहीं पहुंचाते हैं. वहां पर बनने वाले प्रसाद को सबसे पहले चूहों को खाने को दिया जाता है. इसके बाद उसे भक्तों में बांटा जाता है. मान्यता है कि चूहे की लार से सना हुआ प्रसाद सौभाग्य लाता है.

 

कामाख्या देवी मंदिर, गुवाहाटी

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कामाख्या देवी मंदिर, गुवाहाटी

असम के बड़े शहर गुवाहाटी में बना कामाख्या देवी के मंदिर में असमिया महीने आहार के सातवें दिन कामाख्या मंदिर में 3 दिवसीय मेला आयोजित किया जाता है. इस दौरान 3 दिनों तक मंदिर बंद रहता है. इसके बाद चौथे दिन मंदिर के कपाट खुलते हैं और एक अनोखा प्रसाद प्राप्त करने के लिए भक्तों की भारी भीड़ लग जाती है. प्रसाद के रूप में श्रद्धालुओं को कपड़े के छोटे टुकड़े बांटे जाते हैं. 

 

श्री वेंकटेश्वर मंदिर, तिरूपति

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श्री वेंकटेश्वर मंदिर, तिरूपति

आंध्र प्रदेश के तिरुपति शहर में बने तिरुपति तिरुमाला मंदिर में प्रसाद के रूप में लड्डू दिए जाते हैं. इन्हें तिरूपति लड्डू कहा जाता है. भगवान वेंकटेश्वर की पूजा पूरी होने के बाद भक्तों को प्रसाद के रूप में इनका वितरण किया जाता है.  तिरूपति लड्डू आकार और स्वाद के मामले में बाकी लड्डुओं से अलग होते हैं. इन लड्डों को लेने के लिए श्रद्धालुओं में बहुत उत्साह रहता है.

 

महादेव मंदिर, मझुवनचेरी, त्रिशूर

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महादेव मंदिर, मझुवनचेरी, त्रिशूर

केरल के त्रिशूर में केचेरी के पास मझुवनचेरी गांव में महादेव मंदिर बना है. राष्ट्रीय विरासत केंद्र (एनएचसी) के परिसर में बने इस शिव मंदिर में श्रद्धालुओं को प्रसाद के रूप में किताबें, सीडी, डीवीडी लेखन सामग्री और दूसरे सूचनात्मक ब्रोशर दिए जाते हैं. मंदिर के प्रबंधकों के मुताबिक लोगों में शिक्षा का प्रसार करने के लिए इस तरह का प्रसाद बांटा जाता है.

 

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