Last Railway Station of India. भारतीय रेलवे का विशाल नेटवर्क में कई किस्से-कहानियां छिपी है. भारतीय रेलों से आपने सफर भी किया होगा, रेलव स्टेशन से ट्रेन भी पकड़ी होगी, लेकिन क्या आप भारत के आखिरी स्टेशन के बारे में जानते हैं. इन रेलवे स्टेशन का इतिहास अनोखा है.
Last Railway Station of India. भारतीय रेलवे का विशाल नेटवर्क, रोज 2 करोड़ से ज्यादा लोगों को अपनी मंजिल तक पहुंचाती है. लोग हजारों ट्रेनें पटरियों पर दौड़ती हैं. 7000 से ज्यादा रेलवे स्टेशनों से होकर गुजरती है. इन रेलवे स्टेशनों में से कुछ स्टेशनों के किस्से बेहद अनूठे हैं. ऐसा ही एक किस्सा है हुसैनीवाला रेलवे स्टेशन का. आज किस्सा कुछ ऐसे ही रेलवे स्टेशनों का, जो अपने आप में अनूठे हैं. कहीं जाने के लिए वीजा लगता है तो कहां से आप पैदल ही विदेश पहुंच सकते हैं.
भारतीय रेलवे के इस अनोखे रेलवे स्टेशन का किस्सा शहीदों से जुड़ा है. पंजाब के फिरोजपुर जिले में पड़ने वाले रेलवे स्टेशन का नाम रेलवे के साथ-साथ देश के इतिहास में दर्ज है. भारत के आखिरी रेलवे स्टेशन के आगे पाकिस्तान की सीमा है. इसे पाकिस्तान के लाहौर का गेटवे कहा जाता है. साल 1885 में सबसे पहली बार इस रेलवे स्टेशन से ट्रेन दौड़ी थी. पहली ट्रेन फिरोजपुर से कासौर (पाकिस्तान) के बीच चली थी.
पाकिस्तान सीमा से सटे इस रेलवे स्टेशन से अब नियमित ट्रेनें नहीं चलती. साल में सिर्फ दो बार आजादी की लड़ाई में देश पर कुर्बान होने वालों के लिए ट्रेन चलाई जाती है. हर साल नार्दन रेलवे की ओर से शहीद दिवस (23 मार्च) और बैशाखी ( 13 अप्रैल) के मौके पर स्पेशल डीएमयू ट्रेन चलाई जाती है.
फिरोजपुर से लेकर हुसैनीवाला बॉर्डर तक स्पेशल ट्रेन 10 किलोमीटर का सफर तय करती है. एक वक्त था, जब यह रेल लाइन हुसैनीवाला से होकर लाहौर तक जाती थी, लेकिन पाकिस्तान के साथ तनाव के बाद इस रेल मार्ग को बंद कर दिया गया. यहां सतलुज दरिया पर बने रेल पुल को भी तोड़ दिया गया. जिसके बाद से अब फिरोजपुर से हुसैनीवाला में ही आकर रेल लाइन खत्म हो जाती है. इसके पास ही रेलवे ट्रैक को ब्लॉक कर लिखा गया ' द एंड ऑफ नार्दर्न रेलवे'. इसी हुसैनीवाला बॉर्डर पर शहीद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु की समाधि बनाई गई, जहां हर साल मेले लगते हैं.
अब पाकिस्तान सीमा से भारत का आखिरी रेलवे स्टेशन अटारी श्याम सिंह रेलवे स्टेशन है, जिसे लोग वाघा स्टेशन के नाम से जानते हैं. बता दें कि इस स्टेशन पर जाने के लिए आपको वीजा की जरूरत पड़ती है. अगर आप यहां बिना पासपोर्ट, वीजा के पकड़े गए तो विदेशी (संशोधन) अधिनियम, 2004 के तहत मुकदमा दर्ज किया जाएगा.
बांग्लादेश सीमा से सटा भारत का आखिरी स्टेशन सिंहाबाद है, हालांकि ये स्टेशन अब वीरान पड़ा रहता है. इस स्टेशन का इस्तेमाल मालगाडियों के ट्रांजिट के लिए किया जाता है. ये स्टेशन पश्चिम बंगाल के मालदा जिले के हबीबपुर इलाके में है. सिंहाबाद से लोग कुछ किमी दूर बांग्लादेश पैदल घूमने चले जाते हैं.
भारत का एक और आखिरी स्टेशन नेपाल सीमा से सटा है. बिहार के अररिया जिले में यह रेलवे स्टेशन 'जोगबनी' देश का आखिरी स्टेशन है. इस रेलवे स्टेशन से नेपाल की दूरी नाम मात्र की है. आप यहां से पैदल ही नेपाल जा सकते हैं. खास बात तो ये कि भारत के लोगों को नेपाल जाने के लिए वीजा या पासपोर्ट की भी जरूरत नहीं पड़ती है.
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