Tata Success Story: 15 अक्टूबर 1932. यानी 92 साल पहले आज ही का दिन. यह दिन टाटा ग्रुप और भारत के लिए एक ऐतिहासिक दिन है. 15 अक्टूबर 1932 को ही टाटा ग्रुप के पूर्व चेयरमैन जेआरडी टाटा ने पहली बार कराची से मुंबई के लिए भारत की पहली कॉमर्शियल उड़ान भरी थी.
आज हम आपको सपनों और मानव साहस भावना की एक ऐसी दिलचस्प स्टोरी के बारे में बताएंगे जिससे एयर इंडिया यानी टाटा एयरलाइंस की स्थापना हुई. भारत के आज़ाद होने से पहले से लेकर आज़ादी तक और उसके बाद भी एयर इंडिया ने आसमान के बदलते नज़ारे देखे हैं.
92 साल पहले आज ही के दिन टाटा ग्रुप के पूर्व चेयरमैन जेआरडी टाटा ने पहली बार कराची से मुंबई के लिए भारत की पहली कॉमर्शियल उड़ान भरी थी. भारत के पहले कॉमर्शियल पायलट जेआरडी टाटा, टाटा ग्रुप के सबसे लंबे समय तक अध्यक्ष रहे और उन्हें भारत में नागरिक उड्डयन का जनक माना जाता है.
29 जुलाई 1904 को पेरिस में जन्मे जेआरडी रतनजी दादाभाई टाटा और उनकी फ्रांसीसी पत्नी सूनी की दूसरी संतान थे. छोटे जहांगीर को उड़ान भरने का शौक था और वह फ्रांसीसी एविएटर लुईस ब्लेरियट (हवाई मार्ग से इंग्लिश चैनल पार करने वाले पहले व्यक्ति) और एडोल्फ पेगौड की प्रशंसा करते हुए बड़े हुए थे.
अपने बाद के इंटरव्यू में वह अक्सर याद करते थे कि कैसे पहली बार फ्रांस के हार्डेलॉट समुद्र तट पर एक विमान को उतरते देखने के बाद उन्हें हवाई जहाज से प्यार हो गया था. वो कहते थे कि इसके बाद से ही मुझे हवाई जहाज का शौक लग गया और मैंने मन बना लिया कि चाहे जो भी हो, एक दिन मैं पायलट बनूंगा.
15 अक्टूबर 1932 को जेआरडी टाटा ने तत्कालीन टाटा एयर सर्विसेज की सिंगल इंजन वाले डे हैविलैंड से कराची से अहमदाबाद होते हुए बॉम्बे तक यात्रा की. डी हैविलैंड डीएच 80ए पुस मोथ थ्री सीटर मोनोप्लेन हवाई जहाज है जिसे 1929 और 1933 के बीच डी हैविलैंड एयरक्राफ्ट कंपनी द्वारा डिजाइन और बनाया गया था.
टाटा संस के ब्रांड कस्टोडियन हरीश भट्ट ने साल 2022 में उस दिन को याद करते हुए कहा था, "सफल उड़ान के बाद जेआरडी टाटा ने कहा था कि जब मैं कराची से मुंबई के लिए उड़ान भरा तो काफी खुश थे. हम 100 मील प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ रहे थे. मैं मन ही मन इसकी सफलता की प्रार्थना कर रहा था."
आजादी के बाद साल 1953 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा एयर इंडिया का राष्ट्रीयकरण कर दिया गया. भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीयकरण के बाद जेआरडी टाटा नेहरू सरकार में एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइंस दोनों के अध्यक्ष बने.
लेकिन दशकों तक सरकार के नियंत्रण रहने के दौरान इस पर 50 हजार करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज हो गया. एयरलाइन को बंद कर सरकार ने इसे बेचने का फैसला किया. टाटा ग्रुप द्वारा सबसे ज्यादा बोली लगाने के बाद जनवरी 2022 में इसे टाटा ग्रुप के हाथों बेच दिया गया.
टाटा द्वारा एयर इंडिया के बोली जीतने के बाद टाटा ट्रस्ट के तत्कालीन चेयरमैन रतन टाटा ने खुशी जताते हुए एक पोस्ट किया था. इसमें उन्होंने लिखा था कि वेलकम बैक, एयर इंडिया. टाटा ग्रुप एयर इंडिया के नए कस्टमर्स का स्वागत करता है. बता दें कि इसी साल 9 अक्टूबर को रतन टाटा का आयु संबंधी समस्याओं की वजह से 86 साल की उम्र में निधन हो गया.
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