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Ram Mandir Timeline: राम मंदिर की 1528 से 2024 तक की कहानी, जानें सबकुछ

Ram Mandir History and 1528 to 2024 Timeline: अयोध्या के श्रीराम मंदिर में कुछ ही घंटों में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है. इससे पहले पूरा देश राममय हो गया है. प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के लिए राम मंदिर सजकर तैयार है. फूलों और रंग-बिरंगी रोशनी से राम मंदिर जगमगा रही है. हिंदू समाज के 500 वर्षों के तप के बाद आज प्रभु श्रीराम अपने नए और दिव्य मंदिर में विराजने जा रहे हैं. लेकिन, राम मंदिर निर्माण का सफर आसान नहीं रहा और काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ा. इसके लिए दशकों तक कानूनी लड़ाई चली है. तो चलिए आपको बताते हैं कि राम मंदिर निर्माण की लड़ाई में कब क्या हुआ.

 

1528: राम जन्‍मभूमि पर मस्जिद

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1528: राम जन्‍मभूमि पर मस्जिद

राम मंदिर के टाइमलाइन की शुरुआत साल 1526 से शुरू होती है, जब मुगल शासक बाबर भारत आया था. इसके 2 साल बाद बाबर के सूबेदार मीरबाकी ने भगवान राम के जन्म स्थल पर अयोध्या में एक मस्जिद बनवाई और बाबर के सम्मान में इसका नाम बाबरी मस्जिद रखा.

1853: विवाद की शुरुआत

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1853: विवाद की शुरुआत

अयोध्या में बाबरी मस्जिद स्थल पर धार्मिक अशांति की गूंज पहली बार साल 1853 में गूंजी. 1858 में कानूनी लड़ाई की शुरुआत हुई, जब परिसर में पहली बार हवन और पूजन करने को लेकर एफआईआर दर्ज हुई. इसके बाद ब्रिटिश प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए इस स्थान का विभाजन करते हुए तार की बाड़ लगा दी. विवादित भूमि के आंतरिक मुस्लिमों को नमाज की इजाजत दी गई, जबकि बाहरी परिसर में हिंदुओं को पूजा करने की अनुमति दी गई.

1885: अदालत पहुंची लड़ाई

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1885: अदालत पहुंची लड़ाई

राम जन्मभूमि के लिए लड़ाई साल 1985 में अदालत पहुंची. जनवरी 1885 में भूमि विवाद मामले में पहली याचिका महंत रघुबीर दास द्वारा फैजाबाद जिला अदालत में दायर की. उन्होंने याचिका में मस्जिद के बाहर स्थित राम चबूतरा पर बने अस्थायी मंदिर को पक्का बनाने और छत डालने की मांग की. हालांकि, याचिका को अस्वीकार कर दिया गया, जिससे विवादित स्थल के आसपास तनाव और कानूनी विवाद बढ़ गया.

1949: राम जन्मभूमि की लड़ाई

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1949: राम जन्मभूमि की लड़ाई

देश की आजादी के 2 साल बाद यानी साल 1949 में राम मंदिर आंदोलन की राह में एक महत्वपूर्ण मोड़ सामने आया. 22 दिसंबर 1949 को ढांचे के भीतर गुंबद के नीचे मूर्तियों का प्रकटीकरण हुआ. इसके बाद हिंदू और मुस्लिम दोनों संगठनों द्वारा याचिकाएं दायर की गईं. गोपाल सिंह विशारद ने भगवान की पूजा करने की अनुमति मांगते हुए फैजाबाद अदालत में याचिका दायर की. वहीं, अयोध्या के हाशिम अंसारी ने मूर्तियों को हटाने और उस स्थान को मस्जिद के रूप में संरक्षित करने की वकालत करते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया. तनाव को बढ़ता देख सरकार ने परिसर में ताला लगाने का फैसला किया, हालांकि पुजारियों द्वारा दैनिक पूजा की अनुमति दी गई.

1982: VHP का अभियान

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1982: VHP का अभियान

साल 1982 में विश्व हिंदू परिषद ने एक बड़े अभियान की शुरुआत की. बीएचपी ने राम, कृष्ण और शिव मंदिरों की जगह मस्जिद निर्माण को साजिश करार दिया. इसके साथ ही इन मंदिरों की मुक्ति के लिए अभियान चलाने का ऐलान किया. 8 अप्रैल 1984 को संत-महात्माओं और हिंदू नेताओं ने रीराम जन्मभूमि स्थल की मुक्ति और ताला खुलवाने को आंदोलन का फैसला किया.

1986: खुला मस्जिद का ताला

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1986: खुला मस्जिद का ताला

1 फरवरी 1986 को फैजाबाद के जिला न्यायाधीश केएम पाण्डेय ने हरि शंकर दुबे की याचिका पर मस्जिद का ताला खोलने का आदेश दिया. जिला न्यायाधीश ने कोर्ट के निर्देश को लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और इस स्थल पर हिंदुओं के लिए पूजा करने का मार्ग प्रशस्त किया. इसके बाद फैसले के खिलाफ इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में दायर अपील खारिज हो गई.

1989: VHP द्वारा राम मंदिर का शिलान्यास

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1989: VHP द्वारा राम मंदिर का शिलान्यास

विश्व हिंदू परिषद (VHP) द्वारा बाबरी मस्जिद से सटी जमीन पर राम मंदिर निर्माण की नींव रखी गई. विहिप के पूर्व उपाध्यक्ष न्यायमूर्ति देवकी नंदन अग्रवाल ने मस्जिद को हटाने का आग्रह करते हुए एक मामला दायर किया. फैजाबाद अदालत ने बाद में चार लंबित मुकदमों को हाई कोर्ट की एक विशेष पीठ में ट्रांसफर कर दिया.

1990: आडवाणी की रथ यात्रा

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1990: आडवाणी की रथ यात्रा

राम मंदिर आंदोलन में एक महत्वपूर्ण समय साल 1990 में आया, जब बीजेपी तत्कालीन अध्यक्ष लाल कृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में रथ यात्रा की शुरुआत हुई. लाल कृष्ण आडवाणी ने राम मंदिर आंदोलन के लिए समर्थन व्यक्त करते हुए गुजरात के सोमनाथ से अयोध्या तक रथ यात्रा का नेतृत्व किया. 25 सितंबर 1990 को सोमनाथ में शुरू हुई इस यात्रा में संघ से जुड़े हजारों कारसेवक और स्वयंसेवक शामिल हुए थे.

1992: बाबरी मस्जिद विध्वंस

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1992: बाबरी मस्जिद विध्वंस

राम मंदिर आंदोलन में साल 1992 काफी महत्वपूर्ण है. 6 दिसंबर 1992 को हजारों की संख्या में कारसेवक अयोध्या पहुंचे. कारसेवकों ने कथित तौर पर विवादित ढांचे को ढहा दिया. इसी दिन शाम को इसकी जगह अस्थायी मंदिर बनाकर पूजा-अर्चना शुरू हुई. लेकिन, इसके साथ ही विवादित ढांचा गिराए जाने की घटना से देशभर में सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे, जिसमें अनेक लोगों की मौत हो गई. विवादित ढांचा विध्वंस मामले में बीजेपी के कई नेताओं समेत हजारों लोगों पर मुकदमा दर्ज किया गया.

2003: ASI का विवादित स्थल का सर्वेक्षण

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2003: ASI का विवादित स्थल का सर्वेक्षण

साल 2003 में इलाहाबाद हाई कोर्ट की तीन-जजों की पीठ ने एक आदेश जारी कर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को विवादित स्थल की खुदाई करने और यह पता लगाने का निर्देश दिया कि क्या यहां पर अतीत में मंदिर था. एएसआई ने एक गहन सर्वेक्षण किया, जिसमें मस्जिद के नीचे एक हिंदू परिसर के पुख्ता सबूत सामने आए. हालांकि, इन निष्कर्षों को मुस्लिम संगठनों के विरोध का सामना करना पड़ा.

Disputed site divided into 3 parts

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Disputed site divided into 3 parts

अयोध्या के विवादित स्थल को लेकर साल 2010 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया. कोर्ट ने विवादित भूमि को तीन भागों में विभाजित करने का फैसला दिया. इसमें एक तिहाई हिस्सा रामलला विराजमान को आवंटित किया गया, प्रतिनिधित्व हिंदू महासभा ने किया था. एक तिहाई हिस्सा सुन्नी वक्फ बोर्ड को दिया गया, जबकि एक तिहाई हिस्सा निर्मोही अखाड़े को दे दिया.

2011: सुप्रीम कोर्ट पहुंची कानूनी लड़ाई

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2011: सुप्रीम कोर्ट पहुंची कानूनी लड़ाई

अयोध्या विवाद के तीनों पक्षों निर्मोही अखाड़ा, रामलला विराजमान और सुन्नी वक्फ बोर्ड  ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने तुरंत हस्तक्षेप करते हुए हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी, जिसने विवादित स्थल को तीन भागों में विभाजित कर दिया था.

2019: सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला

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2019: सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला

अयोध्या विवाद में एक महत्वपूर्ण अध्याय साल 2019 में आया, जब भारत के तत्कालीन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया. पांच जजों की बेंच ने रामलला के पक्ष में फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर 2019 को विवादित जगह को रामलला को सौंपने का आदेश दिया. इसके साथ ही कोर्ट ने सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद निर्माण के लिए अयोध्या के धन्नीपुर गांव में पांच एकड़ जमीन देने का भी आदेश दिया.

2020: राम मंदिर का शिलान्यास

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2020: राम मंदिर का शिलान्यास

साल 2020 राम भक्तों के लिए खास बन गया, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 अगस्त 2020 को राम मंदिर के निर्माण की आधारशिला रखी. समारोह के दौरान उन्होंने न केवल आधारशिला रखी, बल्कि एक स्मारक पट्टिका का अनावरण भी किया. इसके साथ ही पीएम मोदी ने एक विशेष डाक टिकट भी जारी किया.

2024: राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा

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2024: राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा

22 जनवरी 2024 राम लला की प्राण प्रतिष्ठा का गवाह बनेगा. अयोध्या में 550 सालों का इंतजार खत्म हो गया है. आज (22 जनवरी 2024) अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होगी और भगवान राम मंदिर में विराजमान होंगे. भगवान में आस्था रखने वालों के लिए आज का दिन किसी दिवाली से कम नहीं है, क्योंकि साढ़े पांच सौ साल से अपने अराध्य के दर्शन कर रहे भक्तों को उनके जीवन की सबसे बड़ी सौगात मिलने वाली है.

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