PM Modi Shankaracharya Hill photos: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) आस्थावान हैं. वो प्रकति के करीब रहना पसंद करते हैं. उनकी शिव आराधना और रामभक्ति जगजाहिर है. पीएम मोदी अपने दौरों में समय निकालकर तीर्थाटन करते हैं. प्रधानमंत्री लोगों में ईश्वरीय चेतना जगाने वाले संतों का बड़ा सम्मान करते हैं. उन्हें धार्मिक और आध्यात्मिक केंद्रों में समय व्यतीत करना पसंद हैं. इसकी ताजा मिसाल आज उस वक्त मिली, जब उन्होंने अपने व्यस्त जम्मू-कश्मीर दौरे से समय निकालते हुए श्रीनगर (Srinagar) में शंकराचार्य पर्वत के दर्शन किए. उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स (X) पर इसकी तस्वीरें भी शेयर की हैं.
कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद आज पीएम मोदी पहली बार कश्मीर पहुंचे. बख्शी स्टेडियम में उन्होंने अपनी सरकार के अनुच्छेद 370 और 35 A हटाने के फैसले के फायदे गिनाते हुए वहां के कुछ सियासी परिवारों पर तीखा हमला बोला. इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज श्रीनगर पहुंचते ही शंकराचार्य पर्वत के दर्शन किए.
पीएम मोदी ने शंकराचार्य हिल की ओर इशारा करते हुए वहां अपने साथ मौजूद लोगों को उसके बारे में जानकारी दी. पहाड़ी की चोटी पर एक मंदिर बना है. ये मंदिर समुद्र तल से 1100 फीट की ऊंचाई पर स्थित है.
भारत में पेड़-पौधों, पहाड़ों और नदियों तक की पूजा होती है. ऐसे में पीएम मोदी ने आज जम्मू-कश्मीर के व्यस्त दौरे से समय निकाला और शंकराचार्य हिल पहुंचे. प्रधानमंत्री मोदी ने वहां हाथ जोड़कर शंकराचार्य पर्वत से आशीर्वाद लिया और भारत के 140 करोड़ देशवासियों के लिए प्रार्थना की.
शंकराचार्य पर्वत, भारत के जम्मू और कश्मीर के श्रीनगर में स्थित एक प्रमुख पहाड़ी है. इस पहाड़ी का नाम आदि शंकराचार्य के नाम पर रखा गया है. माना जाता है कि वो शिव के अवतार थे. उनका मंदिर कश्मीर स्थित सबसे पुराने मंदिरों में से एक है. इस मंदिर का निर्माण राजा गोपादात्य ने 371 ई. पूर्व में करवाया था. डोगरा शासक महाराजा गुलाब सिंह ने मंदिर तक पहुंचने के लिए सीढ़ियां बनवाई थीं. इस मंदिर की वास्तुकला भी काफी सुंदर है. भगवान शिव का यह मंदिर करीब दो सौ साल पुराना है. उनका साधना स्थल आज भी यहां बना हुआ है.
आदि शंकराचार्य जी ने 8वीं शताब्दी में कश्मीर आए थे. उन्होंने इसी जगह पर ध्यान किया था. इस मंदिर का मूल निर्माण लगभग 200 ईसा पूर्व का है. मौजूदा संरचना संभवतः 11वीं शताब्दी ई.पू. में बनाई गई थी. आदि शंकराचार्य ने यहां का दौरा किया था, इसलिए मंदिर के साथ उनका नाम जुड़ा हुआ है.
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