Indian Air Force Exercise: भारतीय वायुसेना ने 10 दिन तक चलने वाला ऐसा अभ्यास शुरू किया है, जिसे अब तक का सबसे बड़ा अभ्यास कहा जा रहा है. गगन शक्ति 2024 में भारतीय वायुसेना के लद्दाख से लेकर अंडमान तक और राजस्थान से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक का हर एयर बेस भाग ले रहा है. संभावना है कि ये अभ्यास 2018 में हुए गगन शक्ति 2018 को भी पीछे छोड़ देगा, जिसमें 1100 एयरक्राफ्ट शामिल हुए थे.
भारतीय वायुसेना 1 से 10 अप्रैल तक गगन शक्ति 2024 के ज़रिए एक साथ दो मोर्चों यानि चीन और पाकिस्तान दोनों के खिलाफ़ युद्ध की स्थिति में अपनी शक्ति को परखना चाहती है. इस अभ्यास में वायुसेना के सभी फ़ाइटर जेट, परिवहन विमान, हेलीकॉप्टर, एयर डिफेंस सिस्टम, रडार स्टेशन और मिसाइल बेस सक्रिय रहेंगे. नए शामिल हुए फ़ाइटर जेट रफ़ाल, लड़ाकू हेलीकॉप्टर अपाचे के साथ स्वदेशी लड़ाकू हेलीकॉप्टर प्रचंड, परिवहन विमान सी-295 और रूस से खरीदा गया एयर डिफेंस सिस्टम एस-400 पहली बार इतने बड़े अभ्यास में शामिल होंगे.
वायुसेना हर तरह के इलाक़े में और हर तरह के मौसम में युद्ध करने की अपनी क्षमता को धार देने के लिए इस अभ्यास को पूरे देश में कर रही है. वायुसेना ने फ़रवरी में पोकरण में वायु शक्ति अभ्यास किया था जिसमें दुश्मन पर वार करने की क्षमता का प्रदर्शन किया गया. इस अभ्यास में रफ़ाल जेट के हवा से हवा में मार करने वाली मेटियोर मिसाइल का भी इस्तेमाल किया गया था और स्वदेशी आकाश के अलावा समर एयर डिफेंस सिस्टम को भी मैदान में उतारा गया था.
वायुशक्ति में पोकरण रेंज में दुश्मन के अलग-अलग ठिकानों पर हमला करने के लिए अलग-अलग तरह के हथियारों को परखा गया था. हालांकि यह वायुशक्ति इतने बड़े पैमाने पर नहीं की गई थी जितने बड़े पैमाने पर गगन शक्ति की जा रही है. इसी साल अगस्त-सितंबर में भारतीय वायुसेना दुनिया की सबसे बड़ी वायुसेनाओं के साथ एक और अभ्यास करने की तैयारी में है, जो अब तक का सबसे बड़ा अभ्यास होगा.
भारतीय वायुसेना पिछले साल रफाल और सुखोई फाइटर जेट्स से हजारों किमी दूर जाकर हिंद महासागर में हमला करने का अभ्यास भी कर चुकी है. इस अभ्यास के जरिए वायुसेना ने उन इलाक़ों तक अपनी पहुंच की क्षमता का प्रदर्शन किया, जितनी दूर हमला करना अब तक नामुमकिन माना जाता था.
भारतीय वायुसेना अपने सारे अभ्यासों के ज़रिए किसी भी आपात परिस्थिति के लिए खुद को तैयार कर रही है. चीन के साथ 2020 में लद्दाख में शुरू हुआ तनाव अभी तक जारी है. हालांकि दोनों देशों के बीच 2021 में कई जगहों से सेना वापस बुलाने पर समझौता हुआ था लेकिन कई जगहों पर दोनों ही ओर के सैनिक आमने-सामने हैं.
चीन ने इन तीन सालों में तिब्बत में अपनी वायुसेना को मज़बूत किया है, नए एयरबेस, हेलीपोर्ट बनाए हैं और पुराने एयरबेसों की क्षमता को बढ़ाया है. भारत ने भी जवाब में अपनी वायुसेना की ताक़त बढ़ाई है. रफाल की दोनों स्क्वाड्रनों को ऐसी जगह तैनात किया है, जहां से वो चीन की किसी भी हरक़त का जवाब दे सकें.
दुनिया के सबसे ताक़तवर माने जाने वाले एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम की दो स्क्वाड्रनों को ऐसी जगह तैनात किया है जहां से चीन के हवाई हमलों का मुक़ाबला किया जा सके. स्वदेशी लड़ाकू हेलीकॉप्टर प्रचंड और अमेरिका से खरीदे गए अपाचे हेलीकॉप्टर की तैनाती उत्तर-पूर्व भारत में की गई है. सुखोई 30 फ़ाइटर जेट को लंबी दूरी तक मार करने वाली ब्रह्मोस मिसाइल से लैस करके भारतीय वायुसेना ने दुश्मन को ठिकानों को तबाह करने की अपनी ताक़त में जबरदस्त बढ़ोत्तरी की है.
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