Gogamedi Mandir: भारत का कोई ऐसा मंदिर नहीं है जहां प्याज को दान या प्रसाद के तौर पर चढ़ाया जाता है. लेकिन इस मंदिर में चढ़ावे के तौर पर आए प्याज का सालभर ढेर लगा रहता है. यहां इन प्याज को बेचकर गौशाला और भंडारा का आयोजन किया जाता है.
Gogamedi Mandir in India: राजस्थान के गोगामेड़ी (हनुमानगढ़) में स्थित गोगामेड़ी अनूठा मंदिर करीब 950 वर्ष पुराना है. इस मंदिर में यहां के देवता गोगाजी को प्याज और दाल चढ़ाने की अनोखी परंपरा है. प्याज को तामसी भोजन माना जाता है इसलिए भारत का कोई ऐसा मंदिर नहीं है जहां प्याज को दान या प्रसाद के तौर पर चढ़ाया जाता है. लेकिन इस मंदिर में चढ़ावे के तौर पर आए प्याज का सालभर ढेर लगा रहता है. यहां इन प्याज को बेचकर गौशाला और भंडारा का आयोजन किया जाता है.
हाल ही में राजस्थान में श्री राष्ट्रीय राजपूत करणी सेवा के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुखदेव सिंह गोगामेड़ी की दिनदहाड़े गोलीमार कर हत्या के बाद बीजेपी ने प्रदेश की कानून व्यवस्था और कांग्रेस पर हमला बोला. घटना के बाद बीजेपी नेताओं ने कहा कि पांच साल से प्रदेश में कानून व्यव्था बदतर रही. बार-बार धमकी मिलने के बाद भी गोगामेड़ी को सुरक्षा नहीं देने पर पुलिस की लापरवाही बताई.
राजस्थान में गोगा जी को लोक देवता माना जाता है. गोगा जी का जन्म राजस्थान के चुरू जिले के दादरेवा गांव में चौहान वंश के राजपूत शासक के घर में हुआ था. गुरु गोरखनाथ के गोगाजी शिष्य थे. राजस्थान के लोग गोगाजी को जाहिर वीर, जाहर पीर, सर्प का देवता और गुग्गा वीर जैसे नामों से जानते थे. यहां ऐसी मान्यता थी कि अगर सर्प दंष से प्रभावित व्यक्ति को गोगाजी के मंदिर ले जाएं तो वो सर्प विष से मुक्त हो जाता है.
लगभग 1 हजार साल पहले आक्रमणकारी महमूद गजनवी और गोगाजी के बीच युद्ध हुआ था. फिर गोगाजी ने युद्ध के लिए अपने आसपास के इलाकों से सेना बुलवाई थी. इस दौरान युद्ध के लिए जवान अपने साथ प्याज और दाल लेकर आए थे. गोगाजी युद्ध वीरगति को प्राप्त हुए. फिर जब गोगाजी को दफन किया गया था तो सैनिकों ने उनकी कब्र पर दाल और प्याज चढाए थे. तब से ही मंदिर में प्याज और दाल चढ़ाने की परंपरा चली आ रही है. इस मंदिर में दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं. मुस्लिम समाज गोगाजी को जहर पीर के नाम से बुलाता है. गोगाजी एक राजस्थान में एक धर्मनिरपेक्ष देवता के रूप में विराजमान हैं.
मान्यता के अनुसार यहां आने वाले भक्तजनों को सबसे पहले गोरख गंगा में स्नान करना होता है. फिर उसी पानी से बनी खीर ग्रहण करनी होती है. इसके बाद भक्तजन गोरख टीला जाकर प्याज का प्रसाद चढ़ाते हैं. इस मंदिर में खील और बताशे भी प्रसाद के तौर पर खूब चढ़ाए जाते हैं.
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