China-America Conflict: चीन की इस हरकत से उड़ी अमेरिका की नींद, पेंटागन की रिपोर्ट में हैरतअंगेज खुलासे
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China-America Conflict: चीन की इस हरकत से उड़ी अमेरिका की नींद, पेंटागन की रिपोर्ट में हैरतअंगेज खुलासे

Satellite Cyber Attack: फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन, नेविगेशन, मौसम की भविष्यवाणी और इंटरनेट सर्विसेज से लेकर रिमोट एरियाज तक, हमारी जिंदगी का लगभग हर पहलू सैटेलाइट कम्युनिकेशन से जुड़ा है. अगर इस बात पर गौर करें कि ऑर्बिट में कितने सैटेलाइट्स हैं, जबकि प्रभाव कुछ पर ही महसूस किया जा सकता है, अगर एक या दो सैटेलाइट्स खो गए तो कोई बड़ी समस्या नहीं होगी.

China-America Conflict: चीन की इस हरकत से उड़ी अमेरिका की नींद, पेंटागन की रिपोर्ट में हैरतअंगेज खुलासे

China Space Programme: चीन के कारण अमेरिका के माथे पर चिंता की लकीरें नजर आ रही हैं.  रक्षा मंत्रालय पेंटागन के दस्तावेजों के हालिया लीक में यह बात कही गई है कि चीन मिलिट्री कम्युनिकेशन सैटेलाइट्स में रुकावटें पैदा करने के लिए साइबर हथियार तैयार कर रहा है . हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है लेकिन ऐसा होना यकीनन मुमकिन है. वह इसलिए क्योंकि कई देशों और निजी कंपनियों ने इस पर मंथन किया है कि सिग्नल में दखलअंदाजी से कैसे बचा जाए.

फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन, नेविगेशन, मौसम की भविष्यवाणी और इंटरनेट सर्विसेज से लेकर रिमोट एरियाज तक, हमारी जिंदगी का लगभग हर पहलू सैटेलाइट कम्युनिकेशन से जुड़ा है. अगर इस बात पर गौर करें कि ऑर्बिट में कितने सैटेलाइट्स हैं, जबकि प्रभाव कुछ पर ही महसूस किया जा सकता है, अगर एक या दो सैटेलाइट्स खो गए तो कोई बड़ी समस्या नहीं होगी.

लेकिन जब हम सैटेलाइट्स से मिलिट्री को मिलने वाले फायदों की बात करते हैं तो अलर्ट सिस्टम और ट्रैकिंग के लिए इमरजेंसी कम्युनिकेशन जरूरी होता है. तो इन सर्विसेज में रुकावट क्या आसान होगी?

स्पेस प्रोग्राम में तेजी से आगे बढ़ रहा चीन

चीन का स्पेस प्रोग्राम किसी भी अन्य देश की तुलना में तेज गति से आगे बढ़ रहा है. चीन का पहला सफल लॉच 1970 में हुआ था, लेकिन 1999 में उसका स्पेस प्रोग्राम शेनझोउ-1 लॉन्च के साथ आगे बढ़ा. जो पहले बिना इंसान और फिर इंसान को ले जाने वाले स्पेस प्रोग्राम की सीरीज में पहला था.

चीन ने 2010 और 2019 के बीच 200 से ज्यादा लॉन्च किए. 2022 में उसने एक साल में 53 रॉकेट लॉन्च के साथ एक रिकॉर्ड बनाया. वह भी 100 परसेंट सफलता दर के साथ. अब चीनी राष्ट्रीय अंतरिक्ष प्रशासन (CNSA) ग्लोबल स्पेस एक्टिविटी में अहम खिलाड़ी बन गया है और उसने सैटेलाइट कम्युनिकेशन में महारत हासिल कर ली है.

चीन चाहता है ये तकनीक

लीक दस्तावेज़ से पता चलता है कि चीन किसी सैटेलाइट के कंट्रोल को अपने कब्जे में लेने की क्षमता की तलाश कर रहे हैं, ताकि दुश्मन देश के कम्युनिकेशन, हथियारों, खुफिया, निगरानी और टोही प्रणालियों को डिएक्टिवेट कर दिया जाए. वैसे इस बात की भी बहुत संभावना है कि अमेरिका और बाकी देश भी ऐसा सिस्टम तैयार कर रहे हों.

सैटेलाइट कई ऊंचाइयों पर हमारे ग्रह के चारों और घूमते हैं. सबसे कम स्थिर ऑर्बिट लगभग 300 किमी, इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन और हबल स्पेस टेलीस्कोप 500 किमी की ऊंचाई पर स्थित हैं, और जियोस्टेशनरी सैटेलाइट करीब 36,000 किमी ऊपर (पृथ्वी के त्रिज्या का लगभग छह गुना) हैं.

किसी सैटेलाइट को फिजिकली पकड़ना या अपने कब्जे में लेने की सोच को काफी हद तक नामुमकिन काम माना गया है. हालांकि इसे यू ओनली लिव ट्वाइस जैसी फिल्म में दिखाया गया है, जिसमें एक बड़े ऑर्बिटल सिलेंडर ने इंसान की मौजूदगी वाले स्पेसक्राफ्ट को निगल लिया था.

ऑर्बिट से स्पेस के मलबे को हटाने के लिए डिजाइन किए गए छोटे उपग्रह पिछले कुछ साल में लॉन्च किए गए हैं. लेकिन पूरी तरह से काम कर रहे और चालू सैटेलाइट्स को पकड़ने की व्यावहारिक चुनौतियां कहीं अधिक हैं. खासतौर से फायरिंग हापून के दोहराव के कारण.

सैटेलाइट कम्युनिकेशन में रुकावट डालने के ये हैं तरीके

सैचुरेशन

यह सबसे आसान तरीका है. सैटेलाइट रेडियो या माइक्रोवेव फ्रीक्वेंसी के एक खास सेट पर प्रसारित करके कम्युनिकेशन होता है. जिस स्टेशन को सूचना मिलती है या खुद सैटेलाइट पर बहुत तेज बौछार करके आप सिग्नल को प्रभावी रूप से रोक सकते हैं. यह पोजीशनिंग जानकारी के साथ खास तौर से असरदार है.

जाम करना

यह कम्युनिकेशन सिग्नल को सैटेलाइट या ग्राउंड कंट्रोल स्टेशन तक पहुंचने से रोकने का एक तरीका है. इसके लिए ज्यादा ताकत वाले सिग्नल्स की जरूरत पड़ती है, जिससे उस सैटेलाइट को यह संकेत मिलता है कि जैमिंग सिग्नल मेन ट्रांसमिशन सिग्नल है और कम्युनिकेशन सबसे मजबूत सोर्स तक जाता है.

कमांड भेजना

यह बेहद पेचीदा प्रोसेस है. इसमें मूल सिग्नल को खामोश या अपने कब्जे में करना पड़ता है और रिप्लेसमेंट सिग्नल को एक सैटेलाइट को सटीक रूप से कम्युनिकेट कर उसको मूर्ख बनाना आना चाहिए.

इसके लिए आमतौर पर एक एन्क्रिप्शन की के बारे में नॉलेज जरूरी है जिसका इस्तेमाल सही कमांड और तालमेल के साथ किया जाएगा. इस तरह की जानकारी का आसानी से अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है, मतलब लॉन्च सिस्टम और कंपनियों की जानकारी होना जरूरी है.

उदाहरण से समझिए चीजें

  • इन तीन तकनीकों अब एक उदाहरण से समझिए. मान लीजिए आप एक रेस्तरां में हैं और आपका साथी आपके सामने बैठा है. आप उनसे नॉर्मल बातें कर रहे हैं और फिर बैकग्राउंड म्यूजिक बहुत तेज हो जाता है. आप कुछ शब्द तो समझ पाते हैं लेकिन सब कुछ नहीं, यह सैचुरेशन होगा. 

  • अब वेटर पास आता है और आपका ध्यान हटाने के लिए आपसे जोर-जोर से बात करने लगता है, यह जाम तकनीक होगी.

  • अब आपका साथी टॉयलेट जाता है और आपको एक कॉल आती है जो लगता है कि उसकी है.लेकिन असल में वह ऐसे शख्स की है जिसने उनका फोन ले लिया है. यह कमांड भेजना होगा.

  • हालांकि तीसरा ऑप्शन बेहद मुश्किल है. लेकिन इसमें रुकावट की सबसे ज्यादा संभावना है. अगर आप किसी सैटेलाइट को धोखा देकर यह सोच सकते हैं कि आप सही कमांड स्रोत हैं, तो न केवल कम्युनिकेशन में रुकावट आ जाती है बल्कि झूठी सूचना और छवियां ग्राउंड स्टेशनों पर भेजी जा सकती हैं.

(इनपुट-IANS)

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