पाकिस्तान में दिखने लगे आर्थिक तबाही के निशान, चरमराने के कगार पर अर्थव्यवस्था
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पाकिस्तान में दिखने लगे आर्थिक तबाही के निशान, चरमराने के कगार पर अर्थव्यवस्था

Pakistan Economy: विश्लेषकों ने चेतावनी दी है कि पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति अस्थिर होती जा रही है और श्रीलंका जैसे हालात पैदा हो जाने का खतरा है, जहां विदेशी भंडार की कमी से आवश्यक वस्तुओं की भारी कमी हो गई और अंततः मई में डिफ़ॉल्ट हो गया.

पाकिस्तान में दिखने लगे आर्थिक तबाही के निशान, चरमराने के कगार पर अर्थव्यवस्था

Pakistan Economic Crisis: पाकिस्तान में गहरे आर्थिक संकट से गुजर रहा है. देश को आर्थिक बर्बादी से बचाने के लिए पाक सरकार अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष समेत कई संस्थानों से आर्थिक पैकेज की तलाश में है. द एक्सप्रेस ट्रिब्यून के मुताबिक फाइनेंशियल टाइम्स में गुरुवार को प्रकाशित एक रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था चरमराने की कगार पर है क्योंकि डॉलर की भारी कमी के कारण हजारों कंटेनर बंदरगाहों पर फंस गए हैं.

ब्रिटिश दैनिक ने कहा कि विश्लेषकों ने चेतावनी दी है कि पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति अस्थिर होती जा रही है और श्रीलंका जैसे हालात पैदा हो जाने का खतरा है, जहां विदेशी भंडार की कमी से आवश्यक वस्तुओं की भारी कमी हो गई और अंततः मई में डिफ़ॉल्ट हो गया.

टैक्स्टाइल मैन्युफैक्चरर जैसे कारखाने बंद हो रहे हैं
रिपोर्ट में अधिकारियों के हवाले से कहा गया है कि ऊर्जा और संसाधनों को बचाने के लिए टैक्स्टाइल मैन्युफैक्चरर जैसे कारखाने बंद हो रहे हैं या काम के घंटों में कटौती कर रहे हैं.

सोमवार को 12 घंटे से अधिक समय तक चले राष्ट्रव्यापी ब्लैकआउट से मुश्किलें और बढ़ गईं. इस्लामाबाद में मैक्रो इकोनॉमिक इनसाइट्स के संस्थापक साकिब शेरानी ने फाइनेंशियल टाइम्स को बताया, ‘पहले से ही बहुत सारे उद्योग बंद हो गए हैं, और अगर वे उद्योग जल्द ही फिर से शुरू नहीं होते हैं, तो कुछ नुकसान स्थायी होंगे.‘

केंद्रीय बैंक द्वारा रखे गए विदेशी भंडार $5 बिलियन से कम हो गए हैं, संघीय सरकार के साथ आयात के पूरे एक महीने से भी कम समय में IMF के साथ $7 बिलियन के बेलआउट पैकेज को पुनर्जीवित करने पर गतिरोध बना हुआ है जो पिछले साल ठप हो गया था।

पाकिस्तान ने आयात में ‘भारी’ कमी की
योजना मंत्री अहसान इकबाल ने फाइनेंशियल टाइम्स को बताया कि विदेशी मुद्रा के संरक्षण के प्रयास में देश ने आयात में ‘भारी’ कमी की है.विश्लेषकों ने कहा कि इसमें आयातकों के लिए ऋण पत्र खोलने से बैंकों को प्रतिबंधित करना शामिल है.

पीएम शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली सरकार आईएमएफ की इस मांग से सहमत नहीं है कि पाकिस्तान आर्थिक सुधारों को करे जैसे कि सब्सिडी वाली ऊर्जा की कीमतें बढ़ाना.इकबाल ने एफटी को बताया, ‘अगर हम आईएमएफ की शर्तों का पालन करते हैं, जैसा कि वे चाहते हैं, तो सड़कों पर दंगे होंगे.’

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