Medical Miracle: पाकिस्तान के सिंध प्रांत की 13 साल की अफशीन गुल 7 भाई-बहनों में सबसे छोटी है. एक शारीरिक समस्या की वजह से वह कभी स्कूल नहीं गई. जब वह 10 महीने की थी, तब अपनी बहन की बांह से गिर गई थी. इसके बाद उसकी गर्दन 90 डिग्री पर झुक गई.
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Indian doctor saved a Pakistani teen's life: भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में करीब 3 साल से अधिक समय से दरार पड़ी हुई है. दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंध भी खत्म है. समय-समय पर अब भी टेंशन बढ़ती रहती है, लेकिन इन सबके बीच एक और तस्वीर है जो मानवता को दिखाती है. जी हां, पाकिस्तान की अफशीन गुल की कुछ समय पहले की स्थिति और उसके मौजूदा हाल को देखकर आप यही कहेंगे. एक गंभीर शारीरिक समस्या से जूझ रही अफशीन गुल का जिस तरह एक भारतीय डॉक्टर ने इलाज किया उसकी तारीफ न सिर्फ भारत बल्कि पाकिस्तान में भी हो रही है. चलिए जानते हैं क्या है पूरा मामला.
ये थी अफशीन की समस्या
पाकिस्तान के सिंध प्रांत की 13 साल की अफशीन गुल 7 भाई-बहनों में सबसे छोटी है. एक शारीरिक समस्या की वजह से वह कभी स्कूल नहीं गई और न ही अपने दोस्तों के साथ खेली. दरअसल, जब वह 10 महीने की थी, तब अपनी बहन की बांह से गिर गई थी. इसके बाद उसकी गर्दन 90 डिग्री पर झुक गई. उसके माता-पिता उसे डॉक्टर के पास ले गए, जिसने कुछ दवाएं दीं और गले में एक बेल्ट लगा दी, लेकिन समस्या ठीक होने की जगह और बिगड़ती चली गई. अफशीन की मां जमीलन बीबी बताती हैं कि, ''वह न तो चल सकती थी और न खा सकती थी. उसे बात करने में भी दिक्कत होती थी. इसके अलावा अफशीन सेरेब्रल पाल्सी से भी पीड़ित है. उसने 6 साल की उम्र में चलना सीखा. 12 साल तक, अफशीन ने कराची शहर से लगभग 300 किमी (186 मील) दूर मीठी में अपने घर में इस दर्दनाक स्थिति में अपना जीवन बिताया.
भारत से इस तरह जगी उम्मीद
पिछले साल मार्च में अफशीन की किस्मत पलटी औऱ एक भारतीय डॉक्टर ने उसकी जिंदगी बदल दी. दिल्ली के अपोलो अस्पताल में तैनात जटिल स्पाइनल सर्जरी के विशेषज्ञ डॉ. राजगोपालन कृष्णन ने अफशीन की फ्री में सर्जरी करने की पेशकश की. परिवार फौरन उसे लेकर दिल्ली आया. यहां डॉक्टर ने उसकी घुमावदार गर्दन का सफलतापूर्वक ऑपरेशन किया. चार महीने बाद, अफशीन आखिरकार अपने आप चल सकती है, बात कर सकती है और खा सकती है. उसकी सर्जरी के घाव अब ठीक हो गए हैं. डॉ कृष्णन हर हफ्ते स्काइप के जरिए उसका हालचाल जानते हैं. अफशीन के भाई याकूब कुंबर कहते हैं कि, ''वह थोड़ी कमजोर है और अभी भी स्कूल नहीं जा पा रही है लेकिन डॉक्टर का कहना है कि समय के साथ यह ठीक हो जाएगा. वह कहते हैं कि हम बहुत खुश हैं. डॉक्टर ने मेरी बहन की जान बचाई. वह हमारे लिए परिश्ता हैं."
डॉक्टरों ने इलाज की बात कहकर बाद में किया इनकार
अफशीन एटलांटो-एक्सियल रोटेटरी डिस्लोकेशन से पीड़ित थीं, जो रीढ़ की हड्डी का एक घुमाव है जो गर्दन की दुर्बलता का कारण बनता है. डॉक्टर कृष्णन कहते हैं कि, "यह शायद दुनिया में अपनी तरह का पहला मामला है." सोशल मीडिया के जरिये अफशीन का यह हाल पूरी दुनिया के सामने 2017 में आया. तब कुछ लोग इलाज के लिए आगे आए, लेकिन उसके ठीक होने की संभावना 50-50 प्रतिशत तक बताई. इसके बाद वह कुछ काम में व्यस्त हो गए और इलाज नहीं करा पाए. काम से निकलकर जब इलाज की कोशिश की तो उन लोगों ने इंटरेस्ट नहीं दिखाया. इसके बाद परिवार निराश हो गया. 2019 में एक ब्रिटिश पत्रकार ने अफशीन की स्थिति और उसके परिवार की वित्तीय स्थिति के बारे में एक स्टोरी चलाई. इसे पढ़कर डॉ. कृष्णन ने फ्री इलाज की पेशकश की. परिवार ने चिकित्सा आधार पर वीजा के लिए आवेदन किया और पिछले साल नवंबर में वे लोग भारत आ गए. यहां उसका इलाज शुरू हुआ. अफशीन और उसके परिवार के लिए यह बेहद मुश्किल समय था. उसके पिता कहते हैं कि यह हमारे लिए बहुत कठिन समय था.
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