Pakistan News: रिपोर्ट के मुताबिक सुरक्षा कर्मियों के साथ-साथ हाई-प्रोफाइल राजनीतिक हस्तियों पर खतरों और हमलों में वृद्धि देखी गई है. हमलों में हालिया बढ़ोतरी के बाद खैबर पख्तूनख्वा पुलिस हाई अलर्ट पर है.
Trending Photos
Khyber Pakhtunkhwa: इंटरनेशनल फोरम फॉर राइट्स एंड सिक्योरिटी (IFFRAS) की रिपोर्ट के अनुसार, खैबर पख्तूनख्वा में कानून और व्यवस्था की स्थिति पिछले कुछ हफ्तों में गंभीर रूप से खराब हो गई है. सुरक्षा कर्मियों के साथ-साथ हाई-प्रोफाइल राजनीतिक हस्तियों पर खतरों और हमलों में वृद्धि देखी गई है. यह रिपोर्ट 28 नवंबर को तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) द्वारा पाकिस्तान के साथ अपने संघर्ष विराम समझौते को समाप्त करने के बाद आई है.
हमलों में हालिया बढ़ोतरी के बाद खैबर पख्तूनख्वा पुलिस हाई अलर्ट पर है. पेशावर, दक्षिणी जिलों और मरदान क्षेत्र में हमले बढ़ गए हैं. नवंबर में बाजौर, पेशावर, मोहमंद, डेरा इस्माइल खान, टांक, बन्नू, कोहाट और नौशेरा सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्र रहे.
'टीटीपी ने अपनी ताकत काफी बढ़ाई'
IFFRAS की एक रिपोर्ट के अनुसार, ‘कथित तौर पर, जब से युद्धविराम प्रभावी हुआ, टीटीपी ने अफगानिस्तान की सीमा से लगे बाजौर, खैबर और उत्तर और दक्षिण वजीरिस्तान जिलों में अपनी ताकत में उल्लेखनीय बढ़ोतरी की, गांवों और कार्यालय खोले. वहां से, टीटीपी के उग्रवादी खैबर पख्तूनख्वा में फैल गए, पहली बार अगस्त 2022 में दीर और स्वात में 10-15 उग्रवादियों के समूह में दिखाई दिए.’
IFFRAS की रिपोर्ट कहती है, "हाल के हफ्तों और महीनों के दौरान, एक संदिग्ध समझौते के तहत अफगानिस्तान से लौट रहे टीटीपी आतंकवादी केपी के विभिन्न जिलों में स्थानीय लोगों के खिलाफ हर तरह के हिंसक अपराध कर रहे हैं. पाकिस्तान के नए सेनाध्यक्ष जनरल सैयद असीम मुनीर ने देश में स्थायी शांति और स्थिरता प्राप्त करने तक आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई जारी रखने का वादा किया है.’
'खैबर पख्तूनख्वा के नागरिक गहरे भय में हैं'
टीटीपी के फिर से खड़े हो जाने के बाद खैबर पख्तूनख्वा के नागरिक गहरे भय में हैं. लोगों को लग रहा है कि उन्हें देश के सुरक्षा बलों ने धोखा दिया है. हाल ही में अल अरबिया पोस्ट की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अफगानिस्तान के साथ पाकिस्तान के सीमावर्ती प्रांतों पर हमलों की बढ़ती संख्या के लिए इस्लामाबाद को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है, क्योंकि वह चुनावों की तैयारी में व्यस्त होने के कारण सुरक्षा मुद्दों की अनदेखी कर रहा है, क्योंकि उनके नए सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर बस अभी आए हैं.
अल अरेबिया पोस्ट के अनुसार, अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे ने कई अन्य आतंकी समूहों को पाकिस्तान में अपने आतंकी अभियानों का विस्तार करने के लिए प्रोत्साहित किया है. अल अरबिया पोस्ट की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इस्लामाबाद ने 1970 के दशक के उत्तरार्ध से खुले तौर पर अफगानिस्तान में इस्लामिक जिहाद का समर्थन किया लेकिन इसने अपने क्षेत्र और नागरिकों पर एक चरमपंथी धार्मिक विचारधारा का समर्थन करने के संभावित नतीजों को कम करके आंका.
रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान ने अपने 'तालिबान समर्थक' स्वर को कम कर दिया है और अफगानिस्तान में अपनी विफलताओं से अंतरराष्ट्रीय ध्यान हटाने के लिए आतंकवाद के शिकार की तरह व्यवहार कर रहा है.
(इनपुट - ANI)
पाठकों की पहली पसंद Zeenews.com/Hindi - अब किसी और की जरूरत नहीं