Pakistan Economic Crisis: कहते हैं कि जो दूसरों के लिए गड्ढा खोदता है, वो एक दिन खुद उसमें गिरता है. कुछ ऐसा ही हाल पाकिस्तान के साथ हो रहा है. भारत को टुकड़े करने की सोचने वाला पाकिस्तान अब खुद ही खंडित होने के कगार पर पहुंच गया है.
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Pakistan Economic Crisis: कश्मीर में आतंकवाद की बात हो और पाकिस्तान (Pakistan) का नाम ना आए, ऐसा होना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन है. पाकिस्तान ही कश्मीर में आतंकवाद का मुख्य प्रायोजक है. चाहे कश्मीर में आतंकवादियों की घुसपैठ करवानी हो या कोई आतंकी वारदात को अंजाम देना हो, पाकिस्तान के पास ना तो इरादों की कमी है और ना पैसों की. लेकिन अपनी गरीब जनता को दो वक्त की रोटी खिलाने में पाकिस्तान सरकार के पसीने छूट रहे हैं. लगातार बढ़ती महंगाई, अपनी Limit Cross कर चुकी हैं और पाकिस्तानी जनता के पास इसे सहन करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है.
लोगों के बजट से बाहर हुआ 2 वक्त का भोजन
इंटरनेट पर एक वीडियो वायरल हो रहा है. ये वीडियो पाकिस्तान (Pakistan) में लगातार बढ़ती महंगाई से परेशान हो चुकी जनता के दर्द को बयान कर रहा है. इस वीडियो में दिख रही महिला पाकिस्तान के कराची शहर में रहती है. उसका बेटा बीमार है, लेकिन उसके पास इलाज के पैसे नहीं हैं. बिजली का बिल इतना आ रहा है कि उसे भर पाना अब उसके बस की बात नहीं है .
ये वीडियो पाकिस्तान की 22 करोड़ आवाम का साझा दर्द है, जो अब असहनीय हो चुका है. लेकिन महंगाई है कि कम होने के बजाय बढ़ती ही जा रही है. इसके कुछ उदाहरण आपको बताते हैं. हाल ही में आई World Bank की Food Security Update Report में बताया गया है कि पाकिस्तान में खाने-पीने के सामान की कीमतों में इस साल 30 फीसदी तक का इजाफा हो चुका है.
सब्जियों के दाम 160 प्रतिशत तक बढ़े
वहां पर सब्जियों के दाम 160 प्रतिशत तक बढ़ चुके हैं. दालें 50 प्रतिशत तक महंगी हो गई हैं. गैस सिलेंडर तीन हजार रुपये का मिल रहा है. पेट्रोल करीब 250 रुपये प्रति लीटर बिक रहा है. बिजली के रेट 24 रुपये प्रति यूनिट पहुंच चुके हैं.
ये उस पाकिस्तान (Pakistan) का Performance है, जहां महंगाई की वजह से इमरान खान को अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी. लेकिन अपने पूर्वजों की तरह शहबाज शरीफ (Shehbaz Sharif) सरकार ने सत्ता में आते ही आम जनता का खून चूसना शुरू कर दिया. अप्रैल में सत्ता संभालने वाली शाहबाज शरीफ सिर्फ चार महीने में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में चार बार इजाफा कर चुकी है. पाकिस्तान में महंगाई कहां जाकर रुकेगी, रुकेगी भी या नहीं? ये कोई नहीं जानता, ना पाकिस्तान की आवाम और ना पाकिस्तान की सरकार. एक तरीके से पाकिस्तान ने महंगाई के सामने सरेंडर कर दिया है.
पाकिस्तानी आवाम के पास दो वक्त का पेट भरने के भी पैसे नहीं हैं. पैदा होने से लेकर मरने तक इंसान को जिस भी चीज की जरूरत होती है, वो पाकिस्तान (Pakistan) में महंगाई की भेंट चढ़ चुका है. गरीब जनता को पूछने वाला कोई नहीं है.
शहबाज सरकार का महंगाई के खिलाफ सरेंडर
अप्रैल में शहबाज शरीफ महंगाई के मुद्दे पर सवार होकर इमरान खान से तो जीत गए, लेकिन महंगाई के आगे शाहबाज शरीफ की सरकार भी घुटने टेक चुकी है. चार महीने में ही शाहबाज शरीफ (Shehbaz Sharif) सरकार को आटे-दाल का भाव समझ आ चुका है और वो महंगाई पर पलटी मार चुकी है.
शाहबाज शरीफ, जो महंगाई के मुद्दे पर इमरान खान को रोज कोसा करते थे, प्रधानमंत्री बनने के बाद अब उनकी याददाश्त जा चुकी है. उनकी सरकार अब महंगाई के आरोपों से बचने के लिए तरह-तरह के बचकाने बहाने बना रही है, जिन्हें सुनकर महंगाई के आंसू रो रही पाकिस्तानी जनता के चेहरे पर भी मुस्कान आ जाए.
पाकिस्तान (Pakistan) की जनता के सब्र की भी दाद देनी चाहिए, जिसकी महंगाई ने कमर तोड़ी हुई है. इसके बावजूद वो सरकार को बर्दाश्त कर रही है. वरना पाकिस्तान के जो हालात हैं, वो श्रीलंका से अलग तो बिलकुल नहीं है. बस श्रीलंका के बाद पाकिस्तान में लोगों का सड़क पर उतरना बाकी है.
आम जनता हो या पाकिस्तान की सरकार, दोनों महंगाई के सामने हथियार डाल चुके हैं. पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था वेंटिलेटर पर है और किसी भी दिन दम तोड़ सकती है. पाकिस्तान की इस नाजुक आर्थिक सेहत से जुड़े कुछ आंकड़े आपको बताते हैं.
पाकिस्तान पर कुल 43 लाख करोड़ रुपये का कर्ज
मार्च 2021 तक पाकिस्तान (Pakistan) पर कुल कर्ज 43 लाख करोड़ रुपये हो चुका था. पाकिस्तान पर इस समय उसकी कुल GDP का 70 प्रतिशत कर्ज है. अभी पाकिस्तान की जनस्ख्या करीब पौने 23 करोड़ है. इस हिसाब से देखें तो पाकिस्तान के हर नागरिक के ऊपर करीब 1230 डॉलर की उधारी है. पाकिस्तान के पास कर्ज का ब्याज तक चुकाने के पैसे नहीं हैं. पाकिस्तान सरकार, अपने राजस्व का 40 फीसदी हिस्सा सिर्फ कर्ज का ब्याज भरने पर खर्च कर देती है.
उसका विदेशी मुद्रा भंडार सिर्फ 9 अरब डॉलर रह गया है. पाकिस्तान के सरकारी खजाने में सिर्फ 45 दिनों तक जरूरी सामान आयात करने लायक डॉलर बचे हैं. पाकिस्तान ने जुलाई 2021 से लेकर अप्रैल 2022 के दौरान सिर्फ दस महीने में International Monetary Fund और World Bank जैसी संस्थाओं से 13 अरब डॉलर से ज्यादा का कर्ज लिया है.
हरेक वैश्विक संस्था से ले रखा है पाकिस्तान ने कर्ज
दुनिया में ऐसी कोई Financial संस्था नहीं है, जिसका पाकिस्तान (Pakistan) पर कर्ज ना हो. पाकिस्तान की हालत इस कदर खराब हो चुकी है कि उसे एक कर्ज की किश्तें भरने के लिए दूसरा कर्ज लेना पड़ता है.
आप यूं कह सकते हैं कि जो देश दूसरों के टुकड़ों पर पल रहा हो, उस देश की जनता को महंगाई तो सहन करनी ही पड़ेगी. पाकिस्तान (Pakistan) में सरकार चाहे इमरान खान की हो या शाहबाज शरीफ की. जनता को अगर कुछ मिल सकता है तो वो है सिर्फ महंगाई. ऐसा नहीं है कि पाकिस्तान की ये हालत एक दिन में हुई है. भारत से अलग होने के बाद 75 वर्षों में पाकिस्तान में जो भी सरकार आई, वो सिर्फ अपनी जेबें भरने के लिए आईं और चली गईं . इसकी कीमत पाकिस्तान की जनता ने भुगता थी, आज भी भुगत रही है और आगे भी भुगतेगी.
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