ठहर गया पाकिस्तान का ये शहर, 8000 दुकानें भी बंद, सड़क पर उतरे लोग बोले- उठा लेंगे हथियार
Advertisement
trendingNow11528905

ठहर गया पाकिस्तान का ये शहर, 8000 दुकानें भी बंद, सड़क पर उतरे लोग बोले- उठा लेंगे हथियार

पाकिस्तान के वजीरिस्तान में आदिवासी नेताओं और सरकार के बीच बातचीत के बावजूद 10 जनवरी से धरना-प्रदर्शन जारी है. यहां के लोगों ने सरकार से आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करने का आग्रह किया है. इस विरोध के कारण गाड़ियों की आवाजाही पूरी तरह बंद है और 8000 से अधिक दुकानें बंद हैं.

ठहर गया पाकिस्तान का ये शहर, 8000 दुकानें भी बंद, सड़क पर उतरे लोग बोले- उठा लेंगे हथियार

खाने के लिए गाड़ियों के पीछे भागते लोग, चीखते-चिल्लाते बच्चे और भूख से तड़पकर मौत के मुंह में समाती जिंदगियां, ये बयां करने को काफी हैं कि पाकिस्तान इस समय बुरे दौर से गुजर रहा है. पाकिस्तान में उत्तर से दक्षिण तक त्राहिमाम मचा है. गिलगित-बाल्टिस्तान से लेकर ग्वादर बंदरगाह तक, पाकिस्तानी सरकार के खिलाफ लोग सड़क पर हैं और विरोध प्रदर्शन लगातार बढ़ता ही जा रहा है.

एशियन लाइट की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर में बसे गिलगित-बाल्टिस्तान में पाकिस्तानी सरकार द्वारा लोगों की कब्जाई जा रही जमीन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. पाकिस्तान सरकार ये जमीन 'चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे' (सीपीईसी) की परियोजना के लोगों से ले रही है. वहीं, इस इलाके में तीन से चार दशकों से लोग अंधेरे में जिंदगी बिताने के लिए मजबूर हैं. उन तक बिजली नहीं पहुंच पाई है.

वहीं दक्षिण में, पाकिस्तान के वजीरिस्तान में आदिवासी नेताओं और सरकार के बीच बातचीत के बावजूद 10 जनवरी से धरना-प्रदर्शन जारी है. यहां के लोगों ने सरकार से आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करने का आग्रह किया है. इस विरोध के कारण गाड़ियों की आवाजाही पूरी तरह बंद है और 8000 से अधिक दुकानें बंद हैं.

चीन के खिलाफ भी उठी आवाज

ग्वादर बंदरगाह शहर में ग्वादर अधिकार आंदोलन के नेता मौलाना हिदायतुर रहमान के नेतृत्व में विरोध प्रदर्शन हुए, जिसमें मांग की गई कि चीनी जहाज बंदरगाह क्षेत्र छोड़ दें. समुद्री कार्यकारी रिपोर्ट के मुताबिक, प्रदर्शनकारियों ने यह भी घोषणा की है कि अगर सरकार इन शांति प्रदर्शनों की अनदेखी करता रहा तो प्रदर्शनकारी हथियार उठा लेंगे.

रहमान के नेतृत्व में ग्वादर बंदरगाह विरोध मछुआरों की स्थानीय शिकायतों को उजागर कर रहा है. इसमें मछुआरों के अधिकार, संसाधनों में हिस्सेदारी, लोगों के लिए पर्याप्त बिजली और पीने के पानी तक की मांग शामिल है.

सीपीईसी समस्या का हिस्सा

इस विरोध प्रदर्शन में लोग पूरे परिवार के साथ शामिल हो रहे हैं. ये प्रदर्शनकारी यह भी चाहते हैं कि सरकार ईरान के साथ अनौपचारिक व्यापार पर लगी पाबंदियों में ढील दे. ये मांगें ग्वादर में चीनी परियोजनाओं से सीधे नहीं जुड़ी हैं, लेकिन विशेषज्ञों का तर्क है कि कई स्थानीय लोगों का मानना है कि सीपीईसी समस्या का हिस्सा है.

इसके अलावा पूरे पाकिस्तान में CPEC के तहत काम करने वाले चीनी कर्मचारियों को आतंकवादी संगठनों से खतरों का सामना करना पड़ रहा है. इसके परिणामस्वरूप चीन अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए पाकिस्तान के शासन से आश्वासन का अनुरोध कर रहा है. चीन में CPEC ने 2015 में काम करना शुरू किया था, लेकिन स्थानीय प्रतिरोध ने काम की गति को कम कर दिया है.

पाठकों की पहली पसंद Zeenews.com/Hindi - अब किसी और की ज़रूरत नहीं

 

Trending news