Pakistan News: भारत ने भेजा था पाकिस्तान को नोटिस, घबराए PAK ने अब कही ये बात
Advertisement

Pakistan News: भारत ने भेजा था पाकिस्तान को नोटिस, घबराए PAK ने अब कही ये बात

Indus Waters Treaty: साल 1960 में भारत और पाकिस्तान ने 9 साल की बातचीत के बाद सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर किए थे.अब इसी संधि को लेकर भारत ने पाकिस्तान को नोटिस भेजा था. जिसके बाद घबराए पाकिस्तान ने अब गिड़गिड़ाते हुए ये बात कही है.

पाकिस्तान के अधिकारी (फाइल फोटो)

India Pakistan latest: भारत की ताकत के आगे पाकिस्तान (Pakistan) कहीं नहीं टिकता है. इसलिए वो भारत विरोधी साजिश रचता आया है. लेकिन बीते एक दशक में भारत इतना मजबूत हुआ है कि अमेरिका से लेकर रूस तक भारत की ओर आस लगाकर देख रहे हैं. हर फैसले पर वो भारत के साथ खड़े हैं. इसके साथ ही पाकिस्तान की साजिशें अब एक जरा सी दूरी और लिमिटेड दायरे में सिमट गई है. जैसे ही पाकिस्तान अपना आतंकी फन उठाता है उसे फौरन कुचल दिया जाता है. यही वजह है कि देश को आए दिन होने वाले धमाकों से मुक्ति मिल गई है. पहले भारत को हर मोर्चे पर परेशान करने वाला पाकिस्तान अब गिड़गिड़ा रहा है. इस बीच पाकिस्तान ने उम्मीद जताई कि भारत सिंधु जल संधि को 'सद्भावना' से लागू करेगा.

भारत के नोटिस ने निकाली पाकिस्तान की हेकड़ी

इससे पहले भारत ने कहा था कि कश्मीर में किशनगंगा और रतले पनबिजली परियोजनाओं को लेकर हेग स्थित स्थायी मध्यस्थता अदालत में ‘अवैध’ कार्यवाही में हिस्सा लेने के लिए उसे मजबूर नहीं किया जा सकता है. अब इस्लामाबाद में, विदेश कार्यालय ने कहा कि स्थायी मध्यस्थता अदालत ने 'अपने अधिकार क्षेत्र को बरकरार रखा है और कहा है कि वह अब विवाद में मुद्दों को हल करने के लिए आगे बढ़ेगा.'

विदेश कार्यालय ने कहा है कि सिंधु जल संधि पानी बंटवारे पर पाकिस्तान और भारत के बीच एक मूलभूत समझौता है, और इस्लामाबाद उसके विवाद निपटान तंत्र सहित संधि के कार्यान्वयन के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है. बयान में कहा गया है, 'हमें उम्मीद है कि भारत भी इस संधि को सद्भावना से लागू करेगा.'

भारत की दो टूक

इससे पहले भारत ने बृहस्पतिवार को कहा कि कश्मीर में किशनगंगा और रतले पनबिजली परियोजनाओं को लेकर स्थायी मध्यस्थता अदालत में ‘अवैध’ कार्यवाही में हिस्सा लेने के लिए उसे मजबूर नहीं किया जा सकता है. दरअसल, हेग स्थित मध्यस्थता अदालत ने फैसला दिया है कि उसके पास पनबिजली के मामले पर नई दिल्ली और इस्लामाबाद के बीच विवाद पर विचार करने का ‘अधिकार’ है.

भारत का कहना रहा है कि वह स्थायी मध्यस्थता अदालत में पाकिस्तान द्वारा शुरू की गई कार्यवाही में शामिल नहीं होगा, क्योंकि सिंधु जल संधि की रूपरेखा के तहत विवाद का पहले से ही एक निष्पक्ष विशेषज्ञ परीक्षण कर रहे हैं.

भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि भारत को अवैध और समान्तर कार्यवाहियों को मानने या उनमें हिस्सा लेने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है जो संधि में उल्लेखित नहीं हैं.

भारत ने संधि के विवाद निवारण तंत्र का पालन करने से पाकिस्तान के इनकार के मद्देनजर इस्लामाबाद को जनवरी में नोटिस जारी कर सिंधु जल संधि की समीक्षा और उसमें संशोधन की मांग की थी. यह संधि 1960 में विश्व बैंक की मध्यस्थता में सीमा पार नदियों के संबंध में दोनों देशों के बीच हुई थी.

संधि तोड़ने की हो रही मांग

कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हमले के बाद सिंधु जल समझौते को तोड़ने को लेकर कई आवाजें उठी, लेकिन आधिकारिक तौर पर ऐसा कुछ भी नहीं कहा गया. तब लोगों का मानना था कि भारत को जितना सख्त रवैया रखना चाहिए वो नहीं हो पा रहा है. भारत को सिंधु जल संधि को तोड़ देना चाहिए, इससे पाकिस्तान की अकड़ और हेकड़ी निकल जाएगी. जब बीजेपी के समर्थन से महबूबा मुफ्ती जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री थीं तो उन्होंने कहा था कि सिंधु जल संधि से राज्य को 20 हजार करोड़ का नुकसान हो रहा है और केंद्र उसकी भरपाई के लिए कदम उठाए.

 (इनपुट: भाषा)

Trending news