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नई दिल्ली: तिब्बत के अलग-अलग इलाकों में मौजूद सैनिकों और साजो-सामान को लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) तक कम से कम समय में पहुंचाने के लिए चीन तेजी से इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार कर रहा है. तिब्बत के निर्जन पठार में हजारों किमी की दूरी तय करने वाले फौजी ड्राइवरों के लिए चीन ने मोबाइल सर्विस सेंटर बनाए हैं. ये सेंटर न केवल गाड़ियो की मरम्मत बल्कि ड्राइवरों को आराम और इलाज की सुविधाएं भी मुहैया कराएंगे.
चीन ने ये कदम भारत की बढ़ती तैयारियों को देखकर उठाया है. भारतीय सेना लगातार LAC पर रसद और अन्य जरूरी सामान की सप्लाई कर रही है और इस मामले में चीन पिछड़ता जा रहा है. उसका यह कदम भारत को खिलाफ मार्चाबंदी के तौर पर भी देखा जा रहा है.
तिब्बत का पठार न केवल बहुत बड़ा है बल्कि यहां किसी तरह आबादी भी बहुत कम है. साथ ही यहां का बेरहम मौसम लंबी दूरी तय करने वाले फौजी ड्राइवरों के लिए बड़ी चुनौती है. इसके लिए चीनी सेना ने कुछ-कुछ दूरी पर ट्रांजिट कैंप और सर्विस स्टेशन बनाए हैं. यहां ड्राइवर आराम कर सकते हैं और गाड़ियों की मरम्मत करा सकते हैं.
अब इन कैम्पों की जगह तिब्बत के गोलमुद में मौजूद चीनी सेना की मोटर ट्रांसपोर्ट रेजीमेंट्स मोबाइलेशन सर्विस स्टेशन बना रही है. ये स्टेशन गाड़ियों पर होंगे और फौजी गाड़ियों के साथ ही चलेंगे. ये गाड़ियों की मरम्मत, ड्राइवरों को आराम-इलाज, खाना-पीना जैसी हर वो सुविधा मुहैया कराएंगे जो स्थायी सर्विस स्टेशन में मिलती थी. इन मोबालाइजेशन सर्विस स्टेशन के होने से ड्राइवर को कहीं रुकने की जरूरत नहीं होगी और वो कई दिनों तक लगातार सफर कर सकेंगे.
ऐसे मोबाइल सर्विस स्टेशन से फौजी गाड़ियों के आवागमन पर नजर रखना भी मुश्किल होगा. अभी तिब्बत में मौजूद ट्रांजिट कैंपों पर सैटेलाइट के जरिए नजर रखी जा सकती है और उससे चीनी सेना की तैनाती का अंदाजा लगाया जा सकता है. लेकिन मोबाइल सर्विस स्टेशन के साथ सफर करने वाले फौजी काफिले पर तिब्बत के विशाल पठार पर नजर रख पाना आसान नहीं होगा.
पिछले साल से चीन ने एलएसी पर बड़े पैमाने पर सैनिकों की तैनाती की है. साथ ही भारी हथियार, टैंक, बख्तरबंद गाड़ियां और गोलाबारूद भी एलएसी पर पहुंचाया है. इन सैनिकों के लिए रसद, दवाइयां, गर्म कपड़े और दूसरे साजो-सामान पहुंचाने के लिए बड़े पैमाने पर सप्लाई लाइन को लगातार चालू रखना है. यही वजह है कि चीनी सेना की गाड़ियों का एलएसी तक लगातार सफर जारी रहता है.
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गोलमुद तिब्बत का तीसरा सबसे बड़ा शहर है और ये एलएसी पर तैनात होने वाले सैनिकों का सबसे बड़ा ट्रांजिट कैंप है. चीनी सेना ने पिछले साल यहां बहुत तेजी से इन्फ्रास्ट्रकर बनाने का काम शुरू किया है. यहां उसने सैनिकों के लिए नए मकानों का अलावा एक बड़ा हेलीपैड बनाया है जिसमें 60 से ज्यादा हैंगर हैं.