चीन की खतरनाक ‘चाल’, म्यांमार के कोको आइलैंड में बनाया निगरानी बेस, भारत क्यों है इसे लेकर परेशान
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चीन की खतरनाक ‘चाल’, म्यांमार के कोको आइलैंड में बनाया निगरानी बेस, भारत क्यों है इसे लेकर परेशान

Coco Islands:  साउथ ब्लॉक ने कोको द्वीप समूह का मुद्दा उठाया है और नैप्यीडॉ (Naypyidaw) से प्राप्त उत्तरों से वह संतुष्ट नहीं है. वाजपेयी सरकार में रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडीस ने सबसे पहले कोको में चीनी निगरानी की उपस्थिति पर प्रकाश डाला था. 

प्रतीकात्मक फोटो

India Myanmar Relations: म्यांमार द्वारा चीन को बंगाल की खाड़ी में स्थित कोको द्वीप समूह में निगरानी (Monitoring) और सर्विलांस सुविधाएं (Surveillance Facilities) स्थापित करने की अनुमति देने पर भारत ने गंभीर चिंता जताई. हिंदुस्तान टाइम्स की खबर के मुताबिक कोको द्वीप से चीन ओडिशा में बालासोर टेस्ट रेंज से भारत के मिसाइल लॉन्च के साथ-साथ विशाखापत्तनम शहर के दक्षिण में पूर्वी समुद्र तट पर स्थित सामरिक संपत्ति को ट्रैक कर सकता है.  

माना जाता है कि भारत सीनियर जनरल मिन आंग हलिंग के नेतृत्व में म्यांमार के वर्तमान राजनीतिक नेतृत्व के साथ जुड़ाव के लिए प्रतिबद्ध है. हालांकि साउथ ब्लॉक ने कोको द्वीप समूह का मुद्दा उठाया है और नैप्यीडॉ (Naypyidaw) से प्राप्त उत्तरों से वह संतुष्ट नहीं है.

म्यांमार ने किया इनकार
पहली नज़र में, म्यांमार के सैनिक शासकों ने इस बात से इनकार किया है कि कोको द्वीप समूह में रनवे के विस्तार, कठोर शेल्टर्स, निगरानी स्टेशनों की स्थापना या बुनियादी ढांचे के विकास में चीन की कोई भूमिका है.

वैसे म्यांमार सैन्य शासन भी चीन से सावधान है, लेकिन उसके पास बीजिंग के साथ जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. दरअसल वरिष्ठ जनरल मिन आंग हलिंग के नेतृत्व में कट्टर प्रतिद्वंद्वी ऑंन्ग सैन सू के खिलाफ 2021 के तख्तापलट के बाद से पश्चिम ने सैन्य शासन का बॉयकॉट कर दिया है.

चीन की म्यांमार की चार अरब डॉलर की मदद
वहीं दूसरी तरफ चीन ने म्यांमार को कुछ अरब अमेरिकी डॉलर की सहायता दी है और बंगाल की खाड़ी और हिंद महासागर में प्रभुत्व स्थापित करने के लिए चीन-म्यांमार-बांग्लादेश गलियारा बनाने के लिए बांग्लादेश के साथ-साथ बेल्ट रोड पहल में नैपीडाव को शामिल करने की कोशिश कर रहा है.

राष्ट्रीय सुरक्षा योजनाकारों और उपलब्ध उपग्रह इमेजरी के इनपुट स्पष्ट रूप से दिखाते हैं कि कोको द्वीप पर रनवे को परिवहन विमान उड़ानों को समायोजित करने के लिए विस्तारित किया गया है. द्वीप पर चीनी सहित लगभग 1500 सैन्य कर्मियों की मौजूदगी के साथ ही शेड/बैरक का भी निर्माण किया गया है.

बता दें वाजपेयी सरकार में रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडीस ने सबसे पहले कोको में चीनी निगरानी की उपस्थिति पर प्रकाश डाला था, लेकिन भारत में चीन समर्थकों द्वारा इसका मजाक उड़ाया गया था.

म्यांमार की सेना कर रही है जमीन की सफाई
वर्तमान में, निकटवर्ती जेरी द्वीप से जुड़ने के लिए एक सेतुमार्ग का निर्माण किया जा रहा है, जिसके लिए म्यांमार के सैन्य कर्मियों द्वारा भूमि की सफाई की जा रही है. दरअसल म्यांमार की सेना या ततमादॉ ने बर्मी समाज में घुसपैठ कर ली है, और निकट भविष्य में यह बहुत मुश्किल है कि तानाशाही को लोकतांत्रिक ताकतों द्वारा उखाड़ फेंका जा सकता है.

भारत म्यांमार के साथ कोको द्वीप समूह के मुद्दे को उठाना जारी रखेगा, क्योंकि पीएलए द्वारा विशाखापत्तनम से मात्र 50 किलोमीटर दूर रामबिल्ली में अपने नवनिर्मित नौसैनिक अड्डे से भारतीय परमाणु पनडुब्बियों की आवाजाही की निगरानी करना एक बेहद चिंता की बात है. इसके अलावा बालासोर और एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप पर परमाणु और पारंपरिक मिसाइल परीक्षण फायरिंग रेंज भी कोको द्वीप के समान अक्षांश पर स्थित हैं.

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