India-China Conflict: चीन की विस्तारवादी मानसिकता से तो पूरी दुनिया वाकिफ है. अब भारत और इंडिया विवाद पर उसने बिना मांगे ही भारत को 3 नसीहतें दी हैं. भले ही चीन ये कहे कि उसे जी20 से फर्क नहीं पड़ता हो लेकिन ग्लोबल टाइम्स में छपे लेख से साफ पता चल रहा है कि चीन को कितनी मिर्च लग रही है.
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India-China Dispute: अपने पड़ोसियों की जमीन को कब्जाने की मानसिकता वाले चीन ने नाम बदलने वाले विवाद पर भारत को नसीहत दी है. चीन के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स में भारत और इंडिया नाम वाले मसले पर एक लेख लिखा गया है, जिसमें चीन ने भारत को तीन नसीहतें दी हैं.
क्या हैं नसीहतें
चीन ने भारत को आर्थिक व्यवस्था में सुधार करने की बात कही है.
भारत को मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में ध्यान देने की नसीहत दी है.
G20 पर ज्यादा ध्यान देने की नसीहत दी है.
ग्लोबल टाइम्स ने अपने इस लेख में हमेशा की तरह भारत को टारगेट किया है. इस लेख से पता चलता है कि चीन को भारत में हो रहे G20 सम्मेलन से बहुत परेशानी हो रही है. उसे ये चिंता सता रही है कि G20 के आयोजन और अध्यक्षता ने पूरी दुनिया का ध्यान भारत की ओर खींचा है. हालांकि वो ये भी कह रहा है कि G20 से भारत, दुनिया को क्या संदेश देगा, उससे चीन को कोई फर्क नहीं पड़ता.
लेकिन सच्चाई ये है कि चीन को इससे बहुत फर्क पड़ा है. शायद इसलिए शी जिनपिंग G20 में हिस्सा लेने भारत नहीं आ रहे हैं. अपने डर को चीन फुल कॉन्फिडेंस में छिपाता है. ग्लोबल टाइम्स के इस लेख में ये भी कहा गया है कि G20 सम्मेलन के दौरान भारत जो भी कहेगा, उसपर दुनियाभर के लोगों का ध्यान जाएगा और भारत इसका अच्छा इस्तेमाल करेगा.
दुनिया भारत की सुनेगी, चीन को यही दिक्कत
यानी G20 समिट में दुनिया भारत की सुनेगी, इस बात से चीन परेशान है. शायद इसीलिए उसने पहले ये कहा कि G20 समिट से चीन पर कोई फर्क नहीं पड़ता. जबकि चीन को फर्क पड़ता नजर आ रहा है. अगर ऐसा नहीं होता तो ग्लोबल टाइम्स इस बात का जिक्र नहीं करता.
चीन के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स को भारत के मसलों पर ज्ञान देने की पुरानी आदत है. ग्लोबल टाइम्स ने 'भारत और इंडिया' नाम को लेकर चल रहे विवाद पर लिखा है कि भारतीय अपने देश को क्या कहेंगे, ये महत्वपूर्ण नहीं है. उसके मुताबिक महत्वपूर्ण बात ये है कि भारत अर्थव्यवस्था में बड़ा सुधार कर सकता है या नहीं? ग्लोबल टाइम्स के इस लेख में लिखा है कि भारत को दुनिया के लिए अपने बाजार खोलने चाहिए क्योंकि इससे उसके विकास को गति मिलती है. वो ये भी कह रहा है कि भारत को FDI नियमों में उदार बनना चाहिए. उसे चीन समेत दुनिया की कंपनियों को बिना भेदभाव के निवेश का वातावरण देना चाहिए. इस लेख को देखकर ऐसा लगता है कि चीन भारत में निवेश करने के लिए बेताब है. यहां हम आपको बताना चाहते हैं कि भारत एक उभरती हुई अर्थव्यवस्था है.
भारत तेजी से बढ़ रहा आगे
इस वर्ष यानी 2023 की पहली तिमाही में भारत की आर्थिक विकास दर 7.8 प्रतिशत रही है. भारत की ये विकास दर, बड़ी अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों में सबसे ज्यादा है.
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी IMF के अनुसार इस वित्त वर्ष में भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था है.
भारतीय स्टेट बैंक के मुताबिक वर्ष 2028 तक भारत, विश्व की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा.
भारत के पास दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ता मध्यम वर्ग है, 2020-21 में इनकी संख्या लगभग 43 करोड़ थी, जो वर्ष 2030 तक बढ़कर (71 करोड़ 50 लाख हो जाएगी और वर्ष 2047 तक 100 करोड़ से ज्यादा लोग भारत के मध्यम वर्ग का हिस्सा होंगे. यानी एक तरह से भारत सबसे बड़ा बाजार बन जाएगा.
इस वक्त भारत दुनिया की पांचवी बड़ी अर्थव्यवस्था है. लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश से कहते रहे हैं कि आने वाले कुछ सालों में भारत दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा. यानी आने वाले कुछ वर्षों में भारतीय अर्थव्यवस्था, जापान और जर्मनी को पीछे छोड़ सकती है. ये बात चीन को भी पता है और पूरी दुनिया को भी. चीन परेशान इस बात है कि भारत में दुनियाभर की कंपनियां निवेश कर रही हैं. लेकिन भारत में निवेश के मामले में चीन की कंपनियां पिछड़ रही हैं. दरअसल वजह ये है कि भारत में चीन के FDI प्रस्तावों को लगातार खारिज किया जा रहा है. चीन इसी बात से परेशान हैं.
वर्ष 2020-21 में चीन के 10 FDI प्रस्ताव खारिज हो चुके हैं.
वर्ष 2021-22 में चीन के 33 FDI प्रस्ताव खारिज किए गए.
वर्ष 2022-23 में चीन के 15 FDI प्रस्ताव खारिज किया जा चुके हैं.
यहीं चीन की 14 FDI प्रस्ताव ऐसे हैं, जिनको भारत ने अभी तक लटकाया हुआ है.
यही नहीं चीन की इलेक्ट्रिक कार बनाने वाली कंपनी ग्रेट वॉल मोटर्स का 8500 करोड़ रुपये का विदेशी निवेश के प्रस्ताव को भारत ने खारिज कर दिया था.
ग्लोबल टाइम्स ने निवेश के लिए चीन से भेदभाव ना करने वाली जो बात लिखी है, उसके पीछे यही वजह है कि वो भारत में प्रत्यक्ष निवेश करना चाहता है. लेकिन भारत, उसे छोड़कर हर देश को FDI के मौके दे रहा है. यही वजह है कि चीन परेशान है.
नाम बदलने में एक्सपर्ट है चीन
जहां तक भारत के नाम को लेकर चिंता में डूबे चीन की बात है, तो चीन के बारे में आपको बता दें, वो एक ऐसा देश है, जो नाम बदलने के मामले में हर किसी से चार कदम आगे हैं. चीन तो एक ऐसा देश है, जो पड़ोसी देशों के इलाकों का भी नाम बदलकर उसे अपना हिस्सा बताने लगता है.
आपको जानकर हैरानी होगी कि चीन, अरुणाचल प्रदेश को 'ज़गनान' कहता है. यही नहीं, इसी वर्ष मार्च में अरुणाचल के 15 इलाकों के नाम उसने अपने हिसाब से रखे हैं. चीन एक ऐसा देश है,जिसने तिब्बत पर कब्जा करके उसे 'जिजांग' कहना शुरू किया. चीन ने पूर्वी तुर्किस्तान पर कब्जा करके उसका नाम बदलकर 'झिंजियांग' रख दिया.
जो देश दूसरे के क्षेत्रों का नाम बदलकर उस पर कब्जा करने की नीयत रखता हो, उसके मुखपत्र में भारत और इंडिया नाम वाले विवाद पर कुछ लिखा जाना, एक मज़ाक सा लगता है. चीन की परेशानी यही है कि G20 सम्मेलन की वजह से दुनिया का भरोसा बढ़ेगा, भरोसा बढ़ेगा तो प्रत्यक्ष निवेश बढ़ेगा...और इस रेस में चीन पिछड़ जाएगा.