Experiments in Space: स्पेस मे मिलेगा ब्रेन ट्यूमर का इलाज? वैज्ञानिक दिखाने वाले हैं साइंस का हैरतअंगेज 'जादू'
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Experiments in Space: स्पेस मे मिलेगा ब्रेन ट्यूमर का इलाज? वैज्ञानिक दिखाने वाले हैं साइंस का हैरतअंगेज 'जादू'

Incurable Children's Brain Tumors: बच्चों में होने वाले लाइलाज ब्रेन ट्यूमर को ठीक करने के लिए वैज्ञानिक अंतरिक्ष में प्रयोग करने जा रहे हैं जिसके तहत रिसर्चर समझना चाहते हैं कि क्या अंतरिक्ष में ट्यूमर की कोशिकाएं ग्रोथ करती हैं या नहीं. इसके अलावा वैज्ञानिक जानना चाहते हैं कि अंतरिक्ष में माइटोकॉन्ड्रिया मांसपेशियों के लिए किस तरह से काम करता है.

फाइल फोटो

Research On Cancer: ब्रिटेन की अंतरिक्ष एजेंसी दो प्रयोगों को अंतरिक्ष में भेजने की योजना बना रही है, जिसका मकसद लाइलाज बच्चों के ब्रेन ट्यूमर और मांसपेशियों की उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को समझना है. अंतरिक्ष एजेंसी ने एक बयान में कहा है कि 2.6 मिलियन पाउंड की यह परियोजना 2025 में लॉन्च की जाएगी, जिसके रिजल्ट्स का विश्लेषण करने के लिए पृथ्वी पर लौटने से पहले छह महीने तक आईएसएस पर अंतरिक्ष यात्रियों द्वारा इसकी निगरानी की जाएगी.

ब्रेन ट्यूमर का कैसे मिलेगा इलाज?

इंस्टीट्यूट ऑफ कैंसर रिसर्च (Institute of Cancer Research) के डी (एमजी) 2 प्रोजेक्ट को यूके स्पेस एजेंसी से 1.2 मिलियन पाउंड का फंड मिला. डी (एमजी) 2 का उद्देश्य यह समझना है कि मिडलाइन ग्लियोमा (midline glioma) को कैसे फैलाना है. इसे बच्चों में प्राइमरी हाई ग्रेड ब्रेन ट्यूमर (Primary 'High Grade' Brain Tumor) के लिए जिम्मेदार माना जाता है, अब तक इसमें मौजूद अलग-अलग प्रकार की कोशिकाओं की वजह से इसे ठीक करना असंभव रहा है.

1.4 मिलियन पाउंड का फंड

अंतरिक्ष एजेंसी ने यूनिवर्सिटी ऑफ लिवरपूल (University of Liverpool) के माइक्रोएज-2 प्रोजेक्ट (MicroAge-2 Project) के लिए 1.4 मिलियन पाउंड का फंड मिला है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि अंतरिक्ष यात्रियों की मांसपेशियों को स्पेस कैसे कमजोर बनाता है. विज्ञान, नवाचार और प्रौद्योगिकी विभाग के राज्यमंत्री जॉर्ज फ्रीमैन ने कहा कि इस अनुसंधान से दुनिया भर में मानव जाति और स्वास्थ्य प्रणालियों को काफी लाभ मिलेगा.

माइटोकॉन्ड्रिया का अंतरिक्ष में मांसपेशियों पर रोल

यूके स्पेस एजेंसी के चीफ एक्जीक्यूटिव डॉ. पॉल बेट (Chief Executive Dr. Paul Bett) ने कहा कि यह ग्राउंड-ब्रेकिंग रिसर्च अंतरिक्ष की ताकत को समझने, विज्ञान में क्रांति लाने और हमारे जीवन को फायदा पहुंचाने में मदद करेगा. बेट ने कहा कि यह रिसर्च ट्यूमर की ग्रोथ को रोकने के लिए नए विचारों पर काम करने की समझ देगी. माइक्रोएज 2 के लिए आईएसएस प्रयोग माइक्रोग्रैविटी के प्रभावों का निरीक्षण करने और परीक्षण करने के लिए प्रयोगशाला में विकसित मानव मांसपेशियों का उपयोग करेगा. इससे पता चल सके कि क्या माइटोकॉन्ड्रिया अंतरिक्ष में मांसपेशियों के नुकसान में रोल निभाते हैं या नहीं.

(इनपुट: एजेंसी)

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