बेटे ने ढूंढ निकाली पापा की चोरी हुई 25 साल पुरानी बुलेट, देखते ही पिता ने किया ऐसा काम
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बेटे ने ढूंढ निकाली पापा की चोरी हुई 25 साल पुरानी बुलेट, देखते ही पिता ने किया ऐसा काम

Royal Enfield Story: क्लासिक वर्जन वाले बुलेट की एक अलग ही फैन फॉलोइंग है. हमारे पास एक बेटे की कहानी है जिसे अपने पिता की रॉयल एनफील्ड बुलेट मोटरसाइकिल चोरी होने के 25 साल बाद मिली. बाद में मोटरसाइकिल को पूरी तरह से उसकी ओरिजनल सिचुएशन में रीस्टोर कर दिया गया.

 

बेटे ने ढूंढ निकाली पापा की चोरी हुई 25 साल पुरानी बुलेट, देखते ही पिता ने किया ऐसा काम

Royal Enfield Bullet: रॉयल एनफील्ड (Royal Enfield) बुलेट बाइकर्स के बीच बेहद लोकप्रिय मोटरसाइकिल है. यह भारतीय मोटरसाइकिल ब्रांड का एक पॉपुलर मॉडल है, और आज भी कई अच्छे उदाहरण मौजूद हैं. रॉयल एनफील्ड ने हाल ही में नई जेनरेशन की बुलेट 350 लॉन्च की है. हालांकि, आज भी ओल्ड वर्जन मॉडल के कई सारे फैन्स मौजूद हैं. क्लासिक वर्जन वाले बुलेट की एक अलग ही फैन फॉलोइंग है. हमारे पास एक बेटे की कहानी है जिसे अपने पिता की रॉयल एनफील्ड बुलेट मोटरसाइकिल चोरी होने के 25 साल बाद मिली. बाद में मोटरसाइकिल को पूरी तरह से उसकी ओरिजनल सिचुएशन में रीस्टोर कर दिया गया.

सन् 1971 में खरीदी गई थी रॉयल एनफील्ड

कहानी 1971 मॉडल बुलेट मोटरसाइकिल के बारे में है जो अरुण के पिता की थी. उनके पिता ने कॉलेज से ग्रेजुएट होने के कुछ साल बाद यह मोटरसाइकिल खरीदी थी. उनके पिता कर्नाटक के ग्रामीण इलाकों में एक बैंकर के रूप में कार्यरत थे. चूंकि उनके काम के लिए एक गांव से दूसरे गांव तक जाने के लिए मोटरसाइकिल की आवश्यकता थी, उन्होंने 1971 में बुलेट खरीदी. उन्होंने अपने बैंकिंग करियर की आधी लाइफ उस बुलेट को यूज करके बिताई. बता दें कि यह उनके पिता की पहली मोटरसाइकिल थी.

ट्रांसफर होने के बाद बेच दी थी बुलेट

अरुण के पिता का मणिपाल में ट्रांसफर हो गया था और बुलेट का यूज बहुत कम हो गया था. जब उनके पिता के सहकर्मी ने देखा कि बुलेट का उपयोग नहीं किया जा रहा है, तो उन्होंने पूछा कि क्या उनके पिता इसे बेचने में दिलचस्पी लेंगे. शुरुआत में उन्होंने इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया, लेकिन बाद में उन्होंने इसे इस शर्त पर बेच दिया कि अगर वह कभी इसे बेचना चाहें तो मोटरसाइकिल उन्हें वापस बेच दी जाएगी. 

बेचने के बाद बुलेट हो गई थी चोरी

उनके पिता बाद में नौकरी से रिटायर हो गए और बैंगलोर में बस गए. यहां उन्होंने 1997 में बजाज चेतक खरीदा. कई सालों बाद अरुण ने बुलेट की तलाश शुरू की लेकिन कुछ पता नहीं चल सका. बाद में पता चला कि 1996 में उनके घर से मोटरसाइकिल चोरी हो गई थी और उन्होंने आरसी बुक भी खो दी थी. 2021 में, जब वह बुलेट की खोज कर रहा था, तो उसे पता चला कि उसी मोटरसाइकिल का बीमा हाल ही में नवीनीकृत किया गया था. बाइक भी मैसूर के पास मांड्या के एक व्यक्ति के नाम पर रजिस्टर थी. उसे मालिक का नंबर मिल गया और फिर जब उसने वर्तमान मालिक से संपर्क किया, तो उसने पुष्टि की कि बुलेट उसके पास है.

वापस पाने के लिए लगा दिया पूरा जोर

चोरी हुई मोटरसाइकिल का 25 साल बाद पता चला. चोरी हुई मोटरसाइकिल को जब्त कर लिया गया था और हसन पुलिस स्टेशन में खड़ा कर दिया गया था. 2015 में विभाग ने इन सभी गाड़ियों की नीलामी की और बुलेट को मैसूर के एक शख्स ने 1800 रुपये में खरीदा. इसी शख्स ने यह मोटरसाइकिल मौजूदा मालिक को बेची थी. जब अरुण ने बाइक वापस खरीदने में दिलचस्पी दिखाई तो उसने समय मांगा और एक हफ्ते में वह तैयार हो गया. मोटरसाइकिल वापस खरीद ली गई और उनके पिता की खुशी तस्वीरों में साफ झलक रही है.

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