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Top 5 Chai Wala: UPSC में हुए फेल तो खोली चाय की दुकान, कुछ ऐसे बन गए करोड़पति; जानें पूरा किस्सा

Billionaire Chai Wala: भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा टी प्रोड्यूसर है और इंडियन टी बोर्ड द्वारा किए गए एक सर्वे के अनुसार, इंडिया के कुल घरों में से करीब 88% ने चाय की खपत की सूचना दी है. यानी अगर हम ओवरऑल देखें तो इंडिया में कुल आबादी का लगभग 64% हिस्सा चाय पीता है. चाय बनाने के लिए हमें दूध, चीनी, पानी के अलावा चाय की जरूरत पड़ती है. लोगों ने चाय पीने का अलग ही क्रेज है. अब चाय के स्वाद के लिए लोग कितनी भी दूर जाने के लिए तैयार रहते हैं. चाय का टेस्ट देने के लिए कुछ उद्यमियों ने स्टार्टअप शुरू किया और अब करोड़ों रुपए की कमाई कर रहे हैं. चलिए जानते हैं.

सीए व UPSC में फेल होकर शुरू किया कारोबार

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सीए व UPSC में फेल होकर शुरू किया कारोबार

अनुभव दुबे ने पहले सीए और बाद में यूपीएससी में हाथ आजमाया लेकिन असफल रहे. फिर उन्होंने एक उद्यमी बनने का फैसला किया. एक मध्यमवर्गीय परिवार से आने वाले अनुभव व उनके दो दोस्त आनंद नायक व राहुल पाटीदार को पता चला कि पानी के बाद चाय दुनिया भर में सबसे ज्यादा पिया जाने वाला पेय है और भारतीय सड़कों पर घूमने के बाद उन्होंने महसूस किया कि चाय की मांग हर जगह है और उन्होंने चाय-कैफे चेन शुरू करने का फैसला किया. बहुत सारे संघर्षों, उतार-चढ़ावों के बाद, चाय सुट्टा बार ने देश भर के 190 से अधिक शहरों और विदेशों में 5 आउटलेट्स में 400 से अधिक आउटलेट्स तक पहुंच गया है और हर दिन 4.5 लाख से अधिक कुल्हड़ चाय बेचता है. आउटलेट का टर्नओवर 100 करोड़ रुपये है और कंपनी का टर्नओवर लगभग 6 करोड़ रुपये है.

विदेशों से भी मिलता है निवेश के लिए पैसा

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विदेशों से भी मिलता है निवेश के लिए पैसा

2012 में कौशल दुगर (Kausshal Dugarr) द्वारा स्थापित टीबॉक्स दुनिया का पहला और अग्रणी वर्टीकल इंटीग्रेटेड प्रीमियम टी ब्रांड है जो चाय के शौकीन लोगों को स्वादिष्ट चाय प्रदान करता है. इस ब्रांड ने दुनिया भर में लोकप्रियता हासिल की, खासकर संयुक्त राज्य अमेरिका, भारत और रूस में. भारतीय बिजनेस टाइकून रतन टाटा, जिनके पास अग्रणी व्यावसायिक रणनीति का इतिहास है, ने भी टीबॉक्स में एक अज्ञात राशि का निवेश किया है. 2019 तक टीबॉक्स ने सिलीगुड़ी में अपने गोदाम से अपने ग्राहकों को 117 देशों में 1 बिलियन कप चाय परोसी है. स्टार्ट-अप ने Accel, JAFCO Asia, RB Investments, DBS Bank, Dragoneer Investment Group जैसे बड़े दिग्गजों और रतन टाटा, रॉबर्ट बास, कैमरन जोन्स सहित व्यक्तिगत निवेशकों से फंडिंग में लगभग 14 मिलियन डॉलर जुटाए हैं. कंपनी दार्जिलिंग, असम, नीलगिरि और नेपाल में लगभग 150+ बागानों के साथ काम करती है.

परिवार ने MBA चाय वाले को कहा था ऐसा

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परिवार ने MBA चाय वाले को कहा था ऐसा

प्रफुल्ल बिलोर जिन्होंने अपनी चाय की दुकान शुरू करने के लिए एमबीए छोड़ दिया था, उन्हें एक बार उनके परिवार ने कहा था कि वह शर्मिंदगी महसूस करवा रहे हैं और यहां तक कि उनके दोस्तों ने भी उनका मजाक उड़ाया था. पूरे भारत में फ्रेंचाइजी खोलने के बाद से उन्हें स्पीच के लिए आईआईएम में आमंत्रित किया गया . उन्होंने कहा, 'जिन लोगों ने मेरा मज़ाक उड़ाया, वे अब मुझसे सलाह मांगते हैं. मैं उनसे कहता हूं डिग्री मायने नहीं रखती, ज्ञान मायने रखता है. मैं एक चाय वाला हूं और मैं जो करता हूं उससे प्यार करता हूं.'

दो दोस्तों ने शुरुआत की थी चाय की दुकान

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दो दोस्तों ने शुरुआत की थी चाय की दुकान

दो आईआईटीयन नितिन सलूजा और राघव वर्मा द्वारा स्थापित चायोस (Chaayos) को 2012 में अपने उपभोक्ताओं को एक ताज़ा, कस्टम-मेड चाय परोसने के उद्देश्य से बनाया गया. स्टेटिस्टा के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2020 में चायोस का राजस्व लगभग 1,000 करोड़ रुपये था. चायोस ने तकनीकी वृद्धि, हायरिंग और स्टोर विस्तार के लिए 53 मिलियन डॉलर (लगभग 414 करोड़ रुपये) जुटाए क्योंकि इस साल के अंत तक उनकी 100 स्टोर जोड़ने की योजना है. कंपनी ने कहा कि फंडिंग राउंड का नेतृत्व अल्फा वेव वेंचर्स ने किया था, जिसमें सभी मौजूदा निवेशकों - एलिवेशन कैपिटल, टाइगर ग्लोबल और थिंक इन्वेस्टमेंट्स की भागीदारी थी.

साल 2010 में शुरू किया था चाय प्वाइंट

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साल 2010 में शुरू किया था चाय प्वाइंट

अमूलेक सिंह बिजराल द्वारा 2010 में स्थापित चाय प्वाइंट (Chai Point) माउंटेन ट्रेल फूड प्राइवेट लिमिटेड का हिस्सा है. बिजराल ने हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से एमबीए की पढ़ाई की है. उनका कारोबार वित्त वर्ष 2018 में 88 करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 2020 में 190 करोड़ रुपये हो गया है. उनकी गणना के अनुसार भारत में चाय का एक बड़ा बाजार है और प्रति वर्ष 911 मिलियन किलोग्राम का उत्पादन होता है, जिसका मूल्य लगभग 33,000 करोड़ रुपये है.

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