VIDEO: पंजाब का ये दरवाजा मुंबई-दुबई होते हुए पहुंचा पाकिस्तान, ये वीडियो आंखें कर देगा नम
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VIDEO: पंजाब का ये दरवाजा मुंबई-दुबई होते हुए पहुंचा पाकिस्तान, ये वीडियो आंखें कर देगा नम

Pakistan Trending News: लाहौर में बसे रिटायर्ड प्रोफेसर को बरसों के बाद भारतीय दोस्त से ऐसा गिफ्ट मिला, जिसे देखते ही उसकी आंखों से खुशी के मारे आंसू बह निकले. वह कुछ बोल नहीं पाया और बस रोता ही रह गया.

VIDEO: पंजाब का ये दरवाजा मुंबई-दुबई होते हुए पहुंचा पाकिस्तान, ये वीडियो आंखें कर देगा नम

Pakistan News in Hindi: करीब 77 साल पहले भारत को अंग्रेजों से आजादी मिली लेकिन इसके साथ ही वह मजहब के आधार पर भारत और पाकिस्तान दो देशों में बंट गया. इस घटना को अब करीब 8 दशक होने जा रहे हैं. इसके बावजूद अपनी सरजमीन से बिछड़े लोगों का दर्द अब भी रह-रहकर फूट पड़ता है. विभाजन के दर्द को दिखाता ऐसा ही एक वीडियो लाहौर से वायरल हो रहा है, जिसने सरहद के दोनों और के लोगों का दिल जीत लिया है. लाहौर में बसे प्रोफेसर को भारत में उनके दोस्त ने एक ऐसा गिफ्ट भेजा, जिसे देखते ही उनकी आंखे छलछला गई. उस उपहार को देखकर काफी देर तक उनकी आवाज नहीं निकल पाई और काफी देर तक आंखों से नीर बहता रहा. 

विभाजन के बाद छोड़ना पड़ा मुल्क

दिल छू लेने वाला यह वीडियो  @vlogumentary100 @khoj.punjab ने शेयर किया है. वीडियो में बताया जाता है कि पंजाब के बटाला के घोमन पिंड में रहने अमीन चौहान को देश का विभाजन होने पर भारत छोड़कर पाकिस्तान में जाकर बसना पड़ता है. वहां पर वे एचिसन कॉलेज के जूनियर स्कूल के प्रिंसिपल बन जाते हैं. सेवा से रिटायर होने के बाद भी उनका मन अपनी मातृभूमि के तड़पता रहता है. 

पैकिंग खोलते ही बह निकले आंसू

एक दिन उन्हें घोमन पिंड वाले पैतृक घर में लगा पुराना दरवाजा गिफ्ट के रूप में मिलता है, जिसकी पैकिंग खोलते ही वे कुछ बोल नहीं पाते और बस रोते रह जाते हैं. उन्हें यह गिफ्ट भारतीय पंजाब में बसे उनके दोस्त पलविंदर सिंह ने भेजा था. बटाला और लाहौर के बीच दूरी मुश्किल से 150 किमी है लेकिन दोनों देशों के बीच संदेह और अविश्वास की गहराई खाई की वजह से दरवाजे को अमीन चौहान तक पहुंचाने के लिए करीब 3 हजार किमी का सफर तय करना पड़ा. 

देखें वीडियो

150 किमी के लिए 3 हजार किमी का फासला

वीडियो में बताया जाता है कि दरवाजे को पैक करके पहले पंजाब के बटाला जिले से मुंबई भेजा जाता है. वहां से उसे शिपमेंट के जरिए दुबई भेजा जाता है. इसके बाद उसे वहां से कराची डिलीवर किया जाता है. कराची पहुंचने के बाद उसे पार्सल के जरिए लाहौर भिजवाया जाता है. इसके बाद कहीं जाकर वह गिफ्ट प्रोफेसर अमीन चौहान को मिलता है. वर्षों के बाद उन्हें जब अपने पैतृक घर का दरवाजा मिलता है तो वे अपने बचपन की यादों में खो जाते हैं और उनकी आंखों से लगातार आंसू बहते रह जाते हैं. 

रिश्तों को नहीं तोड़ सका विभाजन

वीडियो देखकर लोग तरह- तरह के कमेंट कर रहे हैं. वे कहते हैं कि भले ही 1947 के विभाजन ने जमीन को विभाजित कर दिया हो लेकिन यह पंजाबियों के दिलों को अलग नहीं कर सका, जो साझा विरासत और दोस्ती के माध्यम से जुड़े रहे. लोग कहते हैं कि लकड़ी का यह दरवाज़ा महज एक भौतिक चीज नहीं बल्कि उससे भी कहीं ज्यादा कीमती है. यह उन संबंधों और रिश्तों का प्रतीक है, जिसे विभाजन की दीवारें भी नहीं तोड़ पाई हैं. 

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