Temple Crocodile Rebirth: पुनर्जन्म या और कुछ और? मंदिर के तालाब में दिखे मगरमच्छ की क्यों हो रही इतनी चर्चा?
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Temple Crocodile Rebirth: पुनर्जन्म या और कुछ और? मंदिर के तालाब में दिखे मगरमच्छ की क्यों हो रही इतनी चर्चा?

Vegetarian Crocodile Babiya: मंदिर की झील में बाबिया (Babiya) के बाद नया मगरमच्छ देखे जाने की खबर आग की तरह फैल गई और लोग दूर-दूर से उसे देखने आ रहे हैं. इसकी वजह के बारे में जानते हैं.

Temple Crocodile Rebirth: पुनर्जन्म या और कुछ और? मंदिर के तालाब में दिखे मगरमच्छ की क्यों हो रही इतनी चर्चा?

Temple New Crocodile Story: केरल (Kerala) के मंदिर में दिखा नया मगरमच्छ (Crocodile) इस वक्त चर्चा का विषय बना हुआ है. दरअसल, यहां की झील में पहले बाबिया (Babiya) नाम का एक मगरमच्छ रहता था. जिसका पिछले साल निधन हो गया था. अब जब नया मगरमच्छ झील में दिखा तो लोग हैरान हो गए. हालांकि, पहले तो मंदिर प्रशासन ने इसे अफवाह कहा. लेकिन जब अगले दिन फिर मगरमच्छ के दिखने की पुष्टि हुई तो वहां भीड़ लग गई. लोग दूर-दूर से इस नए मगरमच्छ के दर्शन करने आ रहे हैं. आइए जानते हैं कि ये मगरमच्छ चर्चा का विषय क्यों बन गया है.

क्या है इस अनोखे मगरमच्छ की कहानी?

बता दें कि कासरगोड जिले में श्री अनंतपद्मनाभ स्वामी मंदिर है. यहां की झील में मगरमच्छ बाबिया रहता था. उसकी खासियत ये थी कि वह केवल मंदिर का प्रसाद ही खाता था. कुछ लोग तो उसे अवतार भी बताते थे. बाबिया के बारे में कई कहानियां लोग सुनाते थे. सैकड़ों की संख्या में लोग उसके दर्शन करने के लिए आते थे. लेकिन उसके निधन के बाद से ये झील सूनी थी. और जब अचानक मगरमच्छ का एक नया बच्चा दिखा तो सब चौंक गए.

नए मगरमच्छ पर इतनी चर्चा क्यों?

टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, पहले एक श्रद्धालु ने मंदिर की झील में मगरमच्छ का बच्चा देखा. उसने फोटो खींच कर सोशल मीडिया पर अपलोड कर दी थी. तब मंदिर प्रशासन ने इस बात से साफ इनकार कर दिया था और मगरमच्छ दिखने की बात को अफवाह बताया था. हालांकि, मंदिर की टीम ने मगरमच्छ के बच्चे को खोजा भी था लेकिन वह नहीं मिला था. अगले दिन फिर जब टीम झील में खोजबीन कर रही थी तो उन्हें सच में मगरमच्छ का बच्चा दिखा. हालांकि, कुछ लोगों ने इसे चमत्कार बताया है.

बाबिया को क्यों इतना मानते थे लोग?

गौरतलब है कि शाकाहारी मगरमच्छ बाबिया का निधन 9 अक्टूबर 2023 को हुई था. वह लगभग 80 साल से मंदिर की झील में था. श्रद्धालु बाबिया को मंदिर के रक्षक रूप में उसे अवतार मानते थे. बाबिया मंदिर में प्रसाद के रूप में चढ़ाए गए नैवेद्य ही खाता था. केरल और कर्नाटक से बड़ी संख्या में लोग बाबिया का दर्शन करने आते थे.

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