ना जाति ना धर्म..देश का सबसे अनोखा गांव, हर कोई अपने नाम के आगे लगाता है एक ही सरनेम
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ना जाति ना धर्म..देश का सबसे अनोखा गांव, हर कोई अपने नाम के आगे लगाता है एक ही सरनेम

Inaniya Villag: हैरानी की बात यह है कि गांव बहुत बड़ा भी है और वर्तमान समय में यहां 4400 से अधिक वोटर हैं. उससे भी ज्यादा हैरानी की बात है कि इस गांव में ना किसी दुकान में गुटखा मिलेगा और ना ही शराब मिलती है. यहां डीजे भी नहीं बजाया जाता है.

ना जाति ना धर्म..देश का सबसे अनोखा गांव, हर कोई अपने नाम के आगे लगाता है एक ही सरनेम

Hindu And Muslim Using Same Surname: राजस्थान का एक ऐसा गांव चर्चा में हैं जहां के लोग शायद धर्म और जाति से आगे बढ़ गए हैं. वैसे तो इस गांव की कई खास बातें हैं लेकिन इसकी एक जो सबसे खास बात है वह यह है कि यहां के लोग अपने नाम के आगे एक ही सरनेम लगाते हैं. यहां पूर्व में हिंदू मुस्लिम धर्म से संबंध रखने वाले लोग भी अपने नाम के आगे एक ही सरनेम लगाते हैं और उनके आधिकारिक दस्तावेज में भी सेम स्थिति है.

नाम के पीछे सरनेम ईनाणियां
दरअसल, यह गांव का नाम ईनाणा है और यह राजस्थान के नागौर जिले में मौजूद है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ईनाणा में रहने वाले वाले सभी जाति और धर्म के लोग चाहे वे हिंदू हों या मुसिम हों, इनमें कुम्हार, मेघवाल, सेन, जाट और राजपूत समाज के लोग भी शामिल हैं. ये सभी अपने नाम के पीछे सरनेम ईनाणियां लगाते हैं.

कैसे बना था ये गांव
जानकारी के मुताबिक बताया जाता है कि 1358 में शोभराज नामक शख्स के बेटे इंदरसिंह ने यह गांव बसाया. उस समय यहां 12 खेड़ों में 12 जातियां थीं और सबको मिलाकर ईनाणा बनाया. दिलचस्प बात यह भी है कि यह नाम इंदरसिंह के नाम पर पड़ा. और तभी से ही सभी लोग अपने जाति की जगह ईनाणियां ही लिखते आ रहे हैं. 

कई चीजें वर्जित हैं यहां
इस गांव की अगर जनसंख्या की बात करें तो यहां कुल 4400 वोटर हैं और यहां की कुल आबादी दस हजार के करीब है. इन सभी के आधिकारिक दस्तावेजों में इनके नाम के आगे ईनाणियां सरनेम ही लगाया जा रहा है. इसके अलावा इस गांव में और भी कई विशेषताएं हैं. 

बताया जाता है कि इस गांव में कभी विवाद नहीं होता है और शराब भी कोई नहीं पीता है. शराब पीने का 11 हजार जुर्माना है. ना गुटखा मिलता है और ना ही अन्य धूम्रपान की चीजें मिलती हैं. यहां डीजे नहीं बजाया जाता है. इसके अलावा यहां होली पर रंग और दीपावली पर पटाखे भी शगुन के तौर पर ही बजाए जाते हैं.

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