Gujarat: अमरेली में किसान ने दी अपनी 'लकी कार' को समाधि, अंतिम यात्रा में जुटा पूरा गांव
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Gujarat: अमरेली में किसान ने दी अपनी 'लकी कार' को समाधि, अंतिम यात्रा में जुटा पूरा गांव

Unique Car Burial Gujarat: गुजरात के अमरेली में एक बेहद ही अनोखी घटना ने लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा है. अमरेली के एक किसान ने अपनी पुरानी कार को कबाड़ में नहीं बेचा, बल्कि उसे ‘समाधि’ देकर एक स्मारक में तब्दील कर दिया.

Gujarat: अमरेली में किसान ने दी अपनी 'लकी कार' को समाधि, अंतिम यात्रा में जुटा पूरा गांव

Unique Car Burial Gujarat: गुजरात के अमरेली में एक बेहद ही अनोखी घटना ने लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा है. अमरेली के एक किसान ने अपनी पुरानी कार को कबाड़ में नहीं बेचा, बल्कि उसे ‘समाधि’ देकर एक स्मारक में तब्दील कर दिया. आम तौर पर ऐसी श्रद्धा किसी इंसान के प्रति देखी जाती है, लेकिन इस किसान के लिए उनकी 15 साल पुरानी कार सिर्फ एक गाड़ी नहीं थी.. यह उनके संघर्ष और सफलता की साथी थी.

अनोखी अंतिम यात्रा

इस कार की अंतिम यात्रा किसी साधारण आयोजन की तरह नहीं थी. विधिवत पूजा-पाठ, फूलों से सजी कार, और संतों का आशीर्वाद.. सभी कुछ किसी धार्मिक अनुष्ठान जैसा लग रहा था. खेत के बीचों-बीच गड्ढा खोदा गया और इस पुराने साथी को जमीन में दफना दिया गया. कार के इस समाधि कार्यक्रम को देखने के लिए आसपास के गांवों से भी लोग जुटे, जो इस अनोखी विदाई को देखकर अचंभित थे.

15 साल की कहानी

कार के मालिक संजय पोलरा ने 15 साल पहले अपनी किस्मत आजमाने के लिए 85,000 रुपये में एक वेगनार कार खरीदी थी. उस समय वह एक किसान थे और गांव में खेती का काम करते थे. उनके अनुसार कार उनके लिए ‘लकी’ साबित हुई, क्योंकि इसके आने के बाद उनकी जिंदगी में कई सकारात्मक बदलाव आए. खेती में सफलता मिली और फिर उन्होंने सूरत जाकर बिल्डर का काम शुरू किया.

संघर्ष से सफलता तक का साथी

संजय के लिए ये कार सिर्फ एक साधारण वाहन नहीं थी. इसे वह अपनी तरक्की का प्रतीक मानते थे. जैसे-जैसे उनका बिल्डर का काम बढ़ता गया, उन्होंने ऑडी जैसी महंगी कार भी खरीदी. लेकिन अपनी पुरानी वेगनार को उन्होंने कभी नहीं छोड़ा. संजय के अनुसार इस कार ने उन्हें एक किसान से एक सफल बिल्डर बनने के सफर में हमेशा उनका साथ दिया.

गांव वालों का समर्थन

संजय की इस अनोखी सोच से गांव के लोग भी बहुत प्रभावित हुए. गांववालों का कहना है कि एक किसान के लिए अपनी मेहनत और सफलता को इस तरह सम्मान देना अद्वितीय है. यह कार उस सफर का प्रतीक है जो संजय ने एक साधारण किसान से लेकर एक सफल बिल्डर बनने तक तय किया. कार को समाधि देकर उन्होंने उन पलों को हमेशा के लिए अपनी यादों में बसा लिया है.

यादों की अनोखी निशानी

संजय पोलरा का यह कदम बताता है कि कभी-कभी चीजें भी हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा बन जाती हैं. उनके लिए यह कार सिर्फ एक वाहन नहीं थी, बल्कि उनकी सफलता की गवाह थी. इस समाधि के माध्यम से उन्होंने अपनी कार के प्रति अपना सम्मान जताया, और अपने जीवन के उस सफर को संजो कर रखा जिसने उन्हें आज के मुकाम तक पहुंचाया.

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