Ganesh Chaturthi: 2000, 500, 200, 100, 50, 20 की कड़क नोटों से सजा डाला गणेश मंदिर, जगह-जगह 10 के सिक्के भी चिपकाएं
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Ganesh Chaturthi: 2000, 500, 200, 100, 50, 20 की कड़क नोटों से सजा डाला गणेश मंदिर, जगह-जगह 10 के सिक्के भी चिपकाएं

Ganesh Chaturthi Festival: बेंगलुरु में एक मंदिर को करेंसी नोटों और सिक्कों से सजाया गया है. बेंगलुरु के जेपी नगर में स्थित श्री सत्य गणपति मंदिर हर साल गणेश पूजा समारोह के दौरान अपनी विशिष्ट सजावट और व्यवस्था के लिए जाना जाता है.

 

Ganesh Chaturthi: 2000, 500, 200, 100, 50, 20 की कड़क नोटों से सजा डाला गणेश मंदिर, जगह-जगह 10 के सिक्के भी चिपकाएं

Ganesh Chaturthi 2023: गणेश चतुर्थी उत्सव की शुरुआत मंगलवार से होने वाली है और कर्नाटक के बेंगलुरु में एक मंदिर को करेंसी नोटों और सिक्कों से सजाया गया है. बेंगलुरु के जेपी नगर में स्थित श्री सत्य गणपति मंदिर हर साल गणेश पूजा समारोह के दौरान अपनी विशिष्ट सजावट और व्यवस्था के लिए जाना जाता है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, मंदिर को 65 लाख रुपये के करेंसी नोटों और सिक्कों से सजाया गया है. सजावट में 10 रुपये के सिक्कों से लेकर और करेंसी नोटों का यूज किया गया है. पिछले साल, मंदिर प्रशासन ने गणेश चतुर्थी समारोह में गणेश की मूर्ति को सजाने के लिए फूल, मक्का और कच्चे केले जैसी पर्यावरण-अनुकूल चीजों का इस्तेमाल किया गया था.

कड़क नोटों के साथ मंदिर को सजाया

इस बीच, गणेश चतुर्थी के मद्देनजर बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) ने राज्य की राजधानी में बूचड़खानों और मांस की बिक्री पर पूरी तरह से बैन लगा दिया है. बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) आयुक्त ने एक आदेश में कहा, "18 सितंबर 2023 को गणेश चतुर्थी के अवसर पर बीबीएमपी के तहत बूचड़खानों और मांस की बिक्री पूरी तरह से बैन है." गणेश चतुर्थी एक लोकप्रिय हिंदू त्योहार है जो भगवान श्री गणेश के जन्म के अवसर पर मनाया जाता है. हर साल भारत और दुनिया भर में लाखों लोग इस शुभ त्योहार को भक्ति और उत्साह के साथ मनाते हैं.

आखिर कब से शुरू हुआ गणेश चतुर्थी

यह 10 दिवसीय उत्सव है जो भगवान गणेश के विसर्जन या पानी में विसर्जन के साथ समाप्त होता है. इस साल गणेश चतुर्थी का त्योहार 19 सितंबर से 29 सितंबर 2023 तक मनाया जाएगा. ऐसा माना जाता है कि गणेश चतुर्थी के त्यौहार की शुरुआत महाराष्ट्र में 12वीं शताब्दी में मराठा राजा शिवाजी महाराज द्वारा हिंदू संस्कृति को बढ़ावा देने और अपने लोगों को एकजुट करने के लिए की गई थी. शुरुआत में यह खुशी का त्योहार केवल महाराष्ट्र में मनाया जाता था लेकिन अब यह पूरे देश और दुनिया भर में मनाया जा रहा है.

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