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Lemon Farming: ओड़िया में एक मशहूर कहावत है 'चासा काम जहर केडे सुखा तहारा', जिसका अनुवाद 'जो लोग फसल उगाते हैं वे खुशी से रहते हैं' के रूप में किया जा सकता है. गंजम जिले के सुरदा प्रखंड के कोटिबाड़ी गांव के एक किसान ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि वह नींबू की खेती से लाखों रुपये कमा रहा है. चूंकि नींबू गरीब और अमीर दोनों का पसंदीदा है, इसलिए कोटिबाड़ी गांव के रहने वाले काली चरण पाणिग्रही ने नींबू की खेती में अपनी किस्मत आजमाने का फैसला किया. उन्होंने केवल दस पौधों से शुरुआत की और अब उनके बाग में 2000 से अधिक पेड़ हैं.
किसान ने शुरू की नींबू की खेती
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि नींबू की डिमांड गर्मियों में बेहद ही ज्यादा बढ़ जाती है. हालांकि, लोग नींबू 12 महीनों करते हैं लेकिन गर्मियों के मौसम में नींबू पानी की जरूरत पड़ती है. ऐसे में, लोग बढ़िया नींबू खरीदते हैं. इसी को समझते हुए एक किसान ने अपने खेत में सबसे पहले 10 नींबू के पौधे लगाए और फिर धीरे-धीरे पेड़ों की संख्या बढ़ाते गए. अब हाल यह है कि वह अब लाखों रुपये सिर्फ नींबू की खेती से कमा रहे हैं. एक अच्छी शुरुआत जो वह अब काली चरण और उनके भाई-बहनों को लाभांश दे रहा है. काली चरण ने कहा, "नींबू एक नकदी फसल है. हम तीनों भाई साल में दो-दो लाख रुपए कमा रहे हैं."
लाखों रुपये में हो रही सालाना कमाई
उन्होंने कहा, "हमें अभी तक कोई सरकारी मदद नहीं मिली है.” आत्मनिर्भर होने के साथ-साथ उन्होंने गांव की कुछ महिलाओं को रोजगार भी उपलब्ध कराया है. इन महिलाओं को खुशी है कि अब वे काम की तलाश में बाहर नहीं जा रही हैं. एक महिला खेतिहर मजदूर बिलास सेठी ने कहा, “हम नींबू के बाग में काम कर रहे हैं. हम सुबह 7 बजे आते हैं और आवश्यकता के अनुसार 11 बजे तक काम करते रहते हैं. हम खुश हैं क्योंकि काम की हमारी तलाश अब समाप्त हो गई है.” काली चरण के बाग में उगे नींबू को पास के बाजारों में ले जाया जाता है जहां उनकी खूब डिमांड है.
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