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British Man Shocking Facts: ब्रिटेन के एक व्यक्ति ने 78 साल की उम्र में अपनी डेडबॉडी को बर्मिंघम विश्वविद्यालय के मेडिकल स्कूल में रिसर्च के लिए डोनेट किया. रिसचर्स ने जब उसकी डेडबॉडी का परीक्षण किया तो पता चला कि उसने अपनी पूरी जिंदगी बिना यह जाने बिताई कि उसके शरीर में तीन गुप्तांग हैं. यह अद्भुत मामला तब सामने आया जब रिसर्चर्स ने एक विशिष्ट शारीरिक भिन्नता का पता लगाया.
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ब्रिटेन के एक व्यक्ति की अनोखी कहानी
यह व्यक्ति लगभग छह फीट लंबा था और उसके जननांग बाहरी रूप से सामान्य दिखते थे. लेकिन शव परीक्षण के दौरान यह स्पष्ट हुआ कि उसके शरीर में एक मुख्य लिंग के अलावा दो छोटे लिंग भी मौजूद थे. रिसर्चर्स ने अपनी रिपोर्ट में बताया, “दो छोटे अतिरिक्त लिंग मुख्य लिंग के पीछे और नीचे की ओर स्थित थे. प्रत्येक लिंग का अपना खुद का कॉर्पोरा कवर्नोसा और ग्लान्स था. मुख्य लिंग और सबसे बड़े अतिरिक्त लिंग ने एक ही मूत्रमार्ग साझा किया.”
रिसर्चर्स ने बताया कि प्रारंभिक रूप से मूत्रमार्ग छोटे लिंग में विकसित हुआ था, लेकिन जब वह लिंग ठीक से विकसित नहीं हो पाया तो मूत्रमार्ग मुख्य लिंग में स्थानांतरित हो गया. उन्होंने कहा, “तीसरा लिंग एक प्रकार का अवशेष है जो त्रि-लिंगीय जनन ट्यूबरकल का है.”
तीन गुप्तांग के साथ जीवन
बहु-लिंगीयता को पॉलिफालिया कहा जाता है, एक अत्यंत दुर्लभ स्थिति है. यह लगभग 5 से 6 मिलियन व्यक्तियों में से 1 को प्रभावित करती है. जबकि शोध ने 1606 से 2023 तक पॉलिफालिया के मामलों का डॉक्यूमेट किया है, ट्रिपहालिया यानी 'तीन लिंग' की स्थिति पहले केवल एक बार ही देखी गई थी. रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि इस व्यक्ति को अपने असामान्य शारीरिक संरचना के कारण कई समस्याओं का सामना करना पड़ा हो सकता है, जैसे मूत्र पथ के संक्रमण, यौन समस्याएं, या प्रजनन से जुड़ी कठिनाइयां.
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लिंग का विकास गर्भावस्था के चार से सात हफ्तों के बीच होता है, जब लिंग जनन ट्यूबरकल से बनता है. यह प्रक्रिया डिहाइड्रो टेस्टोस्टेरोन (DHT) द्वारा नियंत्रित होती है. डॉक्टरों ने कहा, “जीन संबंधी असामान्यताएं एंड्रोजन रिसेप्टर्स के प्रदर्शन को प्रभावित कर सकती हैं, जिससे शारीरिक विकार हो सकते हैं. इस मामले में, जनन ट्यूबरकल का त्रिवृद्धि होना संभव है.” शोधकर्ताओं ने कहा, “हम निश्चित रूप से नहीं कह सकते कि इस मामले में विकृति को जीवन में अनदेखा किया गया होगा. यदि विकृति को जीवन में देखा गया होता, तो इसे बिना लक्षणों और इसकी सौम्य प्रकृति के कारण शायद छेड़छाड़ नहीं की गई होती.”