चीन ने पहले तो दुनिया को कोरोना नाम के जहर से बुरी तरह संक्रमित कर दिया और उसके बाद अब वो कोरोना वैक्सीन की खोज के लिए अजीबो-गरीब पैंतरे आजमा रहा है.
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नई दिल्ली: कोरोना वैक्सीन की खोज के लिये चीन ने अपने डॉक्टरों को जंगली जानवरों के अंगों से दवा तैयार करने को कहा है. चीन सरकार को लगता है कि भालू के गॉल ब्लैडर में मौजूद तरल पदार्थ से बनी दवा कोरोना के मरीजों को ठीक कर देगी.
अब सवाल ये है कि चमगादड़ से कोरोना वायरस की बात कहने वाले चीन की बात पर कितना भरोसा किया जा सकता है. दुनिया में दस लाख से ज्यादा लोग कोरोना के शिकार हो चुके हैं. मौत का आंकड़ा कम होने का नाम नहीं ले रहा. चीन के वुहान शहर से ही चमगादड़ के जरिए कोरोना के फैलने की खबर सबसे पहले आई थी लेकिन चीन ने अब जो फॉर्मूला निकाला है. उससे जानवरों की आफत जरूर आ गई है.
अब चीन ने कोरोना की काट चाइनीज़ नुस्खा दिया है. भालू का पित्त, बकरी के सींग और तीन पौधों का सत मिलाकर कोरोना की दवा बनाने का दावा किया है. गंभीर रूप से बीमार लोगों को नई दवा की सिफारिश की है.
चीन में जिंदा जानवरों को खाने और उनसे दवा बनाने की परंपरा हजारों साल पुरानी है. चीन में 54 प्रकार के जंगली जीव-जंतुओं को फार्म में पैदा करने और उन्हें खाने की इजाजत है. इस सूची में उदबिलाव, शुतुरमुर्ग, हैमस्टर, कछुए और घड़ियाल भी शामिल हैं.
कई शोधकर्ताओं का मानना है कि कोरोना का वायरस चमगादड़, सांप, पैंगोलिन या किसी अन्य जानवर से पैदा हुआ. चीन ने खुद कहा था की वुहान की एनिमल मार्केट से कोरोना सबसे पहले आया.
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कोरोना की वैक्सीन, पक्का इलाज कब बनेगा, कैसे बनेगा? कोई नहीं जानता लेकिन चाइनीज वायरस की वजह से आज पूरी दुनिया त्रस्त है और फिलहाल तो कोई रास्ता दिखाई नहीं दे रहा है. चीन की ऐसी करतूत पहली बार सामने नहीं आई है, उसकी नीयत ही ऐसी है.
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