कोरोना से बचाव के कारण संक्रमण को फैलने से रोकने लिए सभी लोगों से बार-बार अपने-अपने घरों में सुरक्षित रहने के लिए कहा जा रहा है. इसके मद्देनजर सभी दफ्तर, मॉल, स्कूल, यूनिवर्सिटी, धार्मिक संस्थान, पब्लिक ट्रांसपोर्ट और यहां तक कि लोगों के घरों से बाहर निकलने तक पर पाबंदी लगा दी गई है. इसका नतीजा यह हुआ कि जहरीली हवा बेहद साफ हो गई है.
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नई दिल्लीः कोरोना के कहर से भारत समेत पूरा विश्व कांप रहा है. भारत में 21 दिन के लॉकडाउन से सभी कुछ थम गया है. उद्योग-धंधे बंद हैं, सड़कें खाली हैं और लोग घरों में बैठे हुए हैं. इन सारी परेशानियों के बीच एक राहत भरी बात भी है.
यह बात वाकई काफी सुकून देने वाली है. वह है प्रदूषण. प्रदूषण के जिस बढ़ते स्तर से हम रोजाना दो-चार हो रहे थे और इसे रोकने की लंबी लड़ाई लड़ रहे थे. हमारी एक परेशानी की वजह से ही सही, लेकिन यह समस्या हल करने का रास्ता मिल गया. लॉकडाउनका का क्या पड़ रहा है असर, एक नजर-
हवा में से साफ हो गया जहर
कोरोना से बचाव के कारण संक्रमण को फैलने से रोकने लिए सभी लोगों से बार-बार अपने-अपने घरों में सुरक्षित रहने के लिए कहा जा रहा है. इसके मद्देनजर सभी दफ्तर, मॉल, स्कूल, यूनिवर्सिटी, धार्मिक संस्थान, पब्लिक ट्रांसपोर्ट और यहां तक कि लोगों के घरों से बाहर निकलने तक पर पाबंदी लगा दी गई है.
इसका नतीजा यह हुआ कि जहरीली हवा बेहद साफ हो गई है. भारत में गाड़ियों की आवाजाही रुकी हुई है और फैक्ट्रियां पूरी तरह से बंद हैं. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में जहां आमतौर पर हवा बेहद खराब रहती है वहां भी पिछले हफ्ते AQI 95 से नीचे दर्ज किया गया. वहीं मुंबई में भी हवा के प्रदूषण में भारी गिरावट दर्ज की गई है.
पंजाब के कई शहर ग्रीन जोन में आए
पंजाब में भी हवा के स्तर में जबरदस्त सुधार देखने को मिला है. यहां राज्य के ज्यादातर शहर खुद-ब-खुद ग्रीन जोन में आ गए हैं. बताया जा रहा है कि ऐसा शायद सालों में पहली बार हुआ है. लुधियाना जो कि आमतौर पर देश के सबसे प्रदूषित शहरों में से एक है, वह 23 मार्च को भारत के सबसे साफ शहर की सूची में शामिल हो गया था.
जालंधर से ही दिख रहे हिमाचल के पहाड़
धौलाधार को 'सफेद पर्वत' के नाम से भी जाना जाता है. यह हिमाचल प्रदेश में स्थित पर्वतमाला है. यह राज्य के पश्चिम में चम्बा जिले से शुरू होकर पूर्व में किन्नौर जिले से जाते हुए उत्तराखंड से होते हुए पूर्वी असम तक फैली हुई है. इन पहाड़ों को देखने के लिए पर्यटक दूर-दूर से धर्मशाला पहुंचते हैं. लेकिन हवा में दूर हुए प्रदूषण के चलते यह पर्वत श्रृंखला जालंधर के लोगों को अपने घरों से ही दिखने लगी है.
लॉकडाउन से निर्मल हो गई गंगा
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की रिपोर्ट के अनुसार लॉकडाउन के कारण पावन गंगा नदी का जल भी फिर से निर्मल होने लगा है. इन दिनों उसका प्रदूषण कम हो रहा है. लॉकडाउन की वजह से नदी में औद्योगिक कचरे की डंपिंग में कमी आई है.
गंगा का पानी ज्यादातर मॉनिटरिंग सेंटरों में नहाने के लिए उपयुक्त पाया गया है. रियल टाइम वॉटर मॉनिटरिंग में गंगा नदी का पानी 36 मॉनिटरिंग सेंटरों में से 27 में नहाने के लिए उपयुक्त पाया गया है.
गंगा का पीएच का स्तर 6.5 और 8.5 के बीच
उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश समेत विभिन्न जगहों पर गंगा के पानी में काफी सुधार देखा गया. मॉनीटरिंग स्टेशनों के ऑनलाइन पैमानों पर पानी में ऑक्सीजन घुलने की मात्रा प्रति लीटर 6 एमजी से अधिक, बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड 2 एमजी प्रति लीटर और कुल कोलीफार्म का स्तर 5000 प्रति 100 एमएल हो गया है. इसके अलावा पीएच का स्तर 6.5 और 8.5 के बीच है जो गंगा नदी में जल की गुणवत्ता की अच्छी सेहत को दर्शाता है.
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देशभर की वायु गुणवत्ता सुधरी
कोरोनावायरस से लड़ने के लिए देश भर में लगे जनता कर्फ्यू और उसके बाद 21 दिनों के बंद से प्रदूषण में काफी कमी आई है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की रिपोर्ट के मुताबिक 29 मार्च को 91 शहरों में वायु गणुवत्ता ‘अच्छी’ और ‘संतोषजनक’ श्रेणी में रही.
रिपोर्ट के मुताबिक 21 मार्च को (जनता कर्फ्यू से एक दिन पहले) 54 शहरों में वायु गुणवत्ता ‘अच्छी’ और ‘संतोषजनक’ दर्ज की गई थी जबकि 29 मार्च को 91 शहरों में न्यूनतम प्रदूषण मापा गया. सीपीसीबी ने जनता कर्फ्यू और लॉकडाउन का वायु प्रदूषण पर असर को लेकर रिपोर्ट जारी की है.
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