भारत को आजादी दिलाने के लिए इस देश के अनेक वीरों और वीरांगनाओं ने अपनी प्राणों की आहूति दी है. देश की आजादी का इतिहास स्वर्णाक्षरों से लिखा गया है, लेकिन शहीद भगत सिंह (Shaheed Bhagat Singh) का जिक्र किए बिना यह अधूरा रहेगा और आज उनकी बात करना और भी लाजिमी हो जाता है.
दरअसल, आज, 23 मार्च को उनकी पुण्य तिथि है. आज ही के दिन साल 1931 में भारत मां के तीन बेटों भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को अंग्रेजों ने फांसी की सजा दी थी. भगत सिंह मात्र 23 साल की छोटी सी उम्र में अपने देश के लिए हंसते-हंसते फांसी पर चढ़ गए. उन्हें फांसी दिया जाना देश के इतिहास की बड़ी और महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक है
आज से 92 साल पहले आज ही के दिन भगत सिंह और उनके साथी राजगुरु, सुखदेव को फांसी दी गई थी. उनकी शहादत को देश का हर नागरिक सच्चे दिल से सलाम कर रहा है. कुर्बानी के इतने वर्षों बाद भी भगत सिंह और आजाद भारत को लेकर उनके विचारों को याद किया जाता है.
भगत सिंह और उनके साथियों की कुर्बानी आज भी देश के करोड़ों युवाओं को प्रेरणा देते हैं. सबको प्रेरित करने वाले भगत सिंग की जिंदगी पर जलियांवाला बाग हत्याकांड का बहुत गहरा असर पड़ा था.
साल 1919 हुए इस नरसंहार ने एक 12 साल के छोटे बच्चे के सोचने-समझने का ढंग और जिंदगी की दिशा ही बदल डाली. कहते है कि भगत सिंह ने जलियांवाला बाग में ही अंग्रेजों से लड़ने की कसम खाई थी.
आजादी को लेकर भगत सिंह के विचार काफी अलग थे. वे भारत से अंग्रेजों के चले जाने को आजादी नहीं मानते थे. उनका कहना था देश उस दिन आजाद होगा, जब यहां एक ऐसा सामाजिक माहौल हो जहां कोई किसी का शोषण न करे.
ट्रेन्डिंग फोटोज़