बॉलीवुड एक्ट्रेस राधिका आप्टे को मुंबई एयरपोर्ट पर एक बेहद तकलीफ वाला अनुभव का सामना करना पड़ा. वह बिना पानी-वॉशरूम के कई घंटों तक एयरब्रिज में फंसी रहीं.
बॉलीवुड एक्ट्रेस राधिका आप्टे को मुंबई एयरपोर्ट पर एक बेहद तकलीफ वाला अनुभव का सामना करना पड़ा. वह इंडिगो फ्लाइट के लिए एयरब्रिज में कई घंटों तक फंसी रहीं. उनके साथ काफी सारे पसेंजर्स भी एयरब्रिज में फंसे रहे, जहां न तो पीने के लिए पानी था और न ही वॉशरूम जाने की सुविधा थी. आइए विस्तार में जानते हैं कि एयरब्रिज क्या है और राधिका के साथ आखिर क्या हुआ?
एयरब्रिज हवाईअड्डों पर इस्तेमाल होने वाला एक ज्वाइंट मार्ग होता है. ये एक तरह से ढका हुआ पुल होता है, जो टर्मिनल बिल्डिंग से सीधे विमान के दरवाजे तक यात्रियों को ले जाता है. मौसम खराब होने के दौरान यात्रियों को बारिश, धूप या हवा से बचाने में ये बड़ी भूमिका निभाते हैं. एयरब्रिज को कभी-कभी बोर्डिंग ब्रिज भी कहा जाता है.
अपने इंस्टाग्राम पर कुछ फोटो शेयर करते हुए राधिका ने लिखा, 'मुझे ये पोस्ट करना पड़ रहा है. आज सुबह मेरी फ्लाइट 8:30 की थी. अभी 10:50 हो चुके हैं और अभी तक फ्लाइट बोर्ड नहीं हुई है. हद तो ये है कि फ्लाइट में बोर्डिंग का ऐलान हुआ, सारे यात्रियों को एयरब्रिज में रखा गया और फिर उसे बंद कर दिया गया! छोटे बच्चों और बुजुर्गों के साथ हम सब एक घंटे से ज्यादा से बंद हैं. सुरक्षा वाले दरवाजा खोलने को भी तैयार नहीं हैं. स्टाफ को कुछ पता ही नहीं है! जाहिर तौर पर उनका क्रू ही नहीं आया है. क्रू शिफ्ट बदल रहा है और नए क्रू का इंतजार है, लेकिन कब आएंगे, कुछ पता नहीं! यानी, कब तक बंद रहेंगे, मालूम नहीं! मैं किसी तरह बाहर निकलकर उस स्टुपिड स्टाफ वाली से बात कर पाई, जो कहती रही कि कोई दिक्कत नहीं है और कोई देरी नहीं है! अब मैं फिर अंदर बंद हूं और हमें अभी-अभी बताया गया कि कम से कम 12 बजे तक हम यहीं बंद रहेंगे! पानी नहीं, टॉयलेट नहीं. मजेदार सफर के लिए शुक्रिया!''
राधिका की पोस्ट तेजी से वायरल हो गई और सोशल मीडिया पर हंगामा मच गया. लोगों ने हवाईअड्डे व स्टाफ की लापरवाही की कड़ी निंदा की. कुछ लोगों ने कहा कि एयरलाइंस को ऐसा नहीं करना चाहिए, वहीं कुछ अन्य ने मजे लेते हुए लिखा कि फ्लाइट मालदीव जा रही थी क्या?
एयरब्रिज का कैद, खामोश दर्द का सबूत!
यह घटना दिखाती है कि कई बार एयरब्रिज का बंद कमरा यात्रियों के लिए तनावपूर्ण रूख बन जाता है, जहां घुटन और हताशा हावी हो जाते हैं. ऐसे वक्त में एयरलाइंस की जिम्मेदारी बढ़ जाती है कि वे न सिर्फ समस्या का जल्द समाधान करें, बल्कि यात्रियों की मनोवैज्ञानिक जरूरतों का भी ध्यान रखें. राधिका आप्टे का अनुभव एयरपोर्ट मैनेजमेंट और एयरलाइंस को एक सबक देता है कि उन्हें यात्रियों को सुरक्षा और सुविधा के साथ-साथ संकट के वक्त सहानुभूतिपूर्ण रवैया भी पेश करना चाहिए. तभी एयर सफर का सपना सचमुच सुखद बन पाएगा, न कि यात्रियों का तनावपूर्ण डरावना अनुभव.