क्या बढ़ा रहा है युवाओं में डिमेंशिया का खतरा? स्मार्टफोन बन रहे हैं 'डिजिटल पागलपन' का कारण
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क्या बढ़ा रहा है युवाओं में डिमेंशिया का खतरा? स्मार्टफोन बन रहे हैं 'डिजिटल पागलपन' का कारण

Child Mobile Addiction: आज के समय में अधिक्तर बच्चे मोबाइल देखकर खाना खाते हैं. एक्सपर्ट्स के अनुसार स्मार्टफोन और इलेक्ट्रानिक गैजेट के अधिक इस्तेमाल से दिमाग का वो हिस्सा कमजोर हो जाता है जो सोचने, याद रखने और तर्क करने की क्षमता कंट्रोल करता है.

क्या बढ़ा रहा है युवाओं में डिमेंशिया का खतरा? स्मार्टफोन बन रहे हैं 'डिजिटल पागलपन' का कारण

आधुनिक दुनिया में बच्चे जन्म से ही डिजिटल दुनिया से जुड़े रहते हैं. इसक सबसे बड़ा उदाहरण है कि आज के समय में अधिक्तर बच्चे मोबाइल देखकर खाना खाते हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि लगातार स्क्रीन टाइम दिमाग को कितना नुकसान पहुंचा सकता है?

कुछ रिसर्चर एक नए तरह के डिमेंशिया का जिक्र कर रहे हैं 'डिजिटल डिमेंशिया'. इसके पीछे माना जा रहा है कि बढ़ता हुआ स्क्रीन टाइम (खासकर दिमाग के विकास के दौरान) भविष्य के लिए अल्जाइमर या अन्य डिमेंशिया के खतरे को बढ़ा सकता है.

क्या होता है डिमेंशिया?
डिमेंशिया एक मानसिक बीमारी है जो सोचने और तर्क करने की क्षमता को कम करता है. इसमें इंसान को भूलने की बीमारी होती है. वैसे तो ये बीमारी आमतौर पर बूढ़े लोगों में होता है, लेकिन अब के समय में ये हर उम्र के लोगों में पाया जाता है.

जर्मन न्यूरोसाइंटिस्ट डॉ. मैनफ्रेड स्पिट्जर ने सबसे पहले 'डिजिटल डिमेंशिया' शब्द के बारे में जिक्र किया. वे मानते हैं कि स्मार्टफोन और इलेक्ट्रानिक गैजेट के अधिक इस्तेमाल से दिमाग का वो हिस्सा कमजोर हो जाता है जो सोचने, याद रखने और तर्क करने की क्षमता कंट्रोल करता है. रिसर्च के मुताबीक लगातार स्क्रीन टाइम दिमाग के कुछ हिस्से में ग्रे मैटर को कम करता है. ये वो हिस्सा है जो सीखने, याद रखने और निर्णय लेने में अहम भूमिका निभाता है.

हालांकि, ये रिसर्च अभी शुरुआती दौर में हैं और इस बात का कोई ठोस सबूत नहीं हैं कि स्क्रीन टाइम सीधे तौर पर डिमेंशिया का कारण बनता है. इसके अलावा, अलग-अलग लोगों पर डिजिटल उपकरणों का अलग-अलग असर पड़ सकता है. फिर भी, इन संभावित खतरों से सावधान रहना चाहिए. आइए जानते हैं कि आने वाली पीढ़ी को स्वस्थ दिमाग और बेहतर भविष्य देने के लिए कौन कौन सी सावधानीयां का ध्यान देना जरूरी है.

बच्चों के स्क्रीन टाइम को सीमित करें
अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के अनुसार, बच्चों को टीवी, कंप्यूटर और मोबाइल जैसे गैजेट का एक घंटे से कम समय उपयोग करने की सलाह देता है.

आउटडोर गेम
बच्चों को उन खेलों को खेलने के लिए प्रोतसाहित करें. इससे शरीर के साथ-साथ दिमाग का भी विकास होता है.

बातचीत को बढ़ावा दें
डिजिटल कम्युनिकेशन पर निर्भर रहने के बजाय आमने-सामने बातचीत को प्रायोरिटी दें.

परिवार में डिजिटल डिटॉक्स का समय रखें
कुछ घंटों के लिए सभी गैजेट्स को हटा दें और एक साथ कुछ और एक्टिविटी में शामिल हों.

हमें ये याद रखना चाहिए कि तकनीक एक अच्छी खोज है, ये हमारे जिंदगी को आसान बनाता है. लेकिन इसका अधिक इस्तेमाल सेहत को नुकसान पहुंचा सकती है. इसलिए इसका सही इस्तेमाल हमारे जीवन को बेहतर बना सकता है. आने वाली पीढ़ी को तकनीक से जोड़ते हुए जरूरी है कि हम उन्हें इसका सही तरीके से उपयोग करना भी सिखाएं.

Disclaimer: प्रिय पाठक, संबंधित लेख पाठक की जानकारी और जागरूकता बढ़ाने के लिए है. जी मीडिया इस लेख में प्रदत्त जानकारी और सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है. हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित समस्या के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें. हमारा उद्देश्य आपको जानकारी मुहैया कराना मात्र है.

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