Chirag Paswan: रामविलास के भाई की जगह बेटे चिराग को BJP ने क्यों माना सियासी 'वारिस'? समाज में छुपा है रीजन!
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Chirag Paswan: रामविलास के भाई की जगह बेटे चिराग को BJP ने क्यों माना सियासी 'वारिस'? समाज में छुपा है रीजन!

Importance of Heir In Society: बिहार लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 40 सीटों में से 5 सीट बेटे चिराग को तो दीं लेकिन रामविलास पासवान के भाई को कुछ नहीं मिला. आखिर चाचा की जगह चिराग को चुनने के पीछे बीजेपी का क्या सामाजिक आधार हो सकता है?

 

Chirag Paswan: रामविलास के भाई की जगह बेटे चिराग को BJP ने क्यों माना सियासी 'वारिस'? समाज में छुपा है रीजन!

19 अप्रैल 2024 से बिहार लोकसभा इलेक्शन शुरू होने वाला है. जिसके लिए राज्य में बीजेपी की अगुवाई करने वाले गठबंधन पार्टी एनडीए (National Democratic Alliance) ने यह तय कर दिया है कि राज्य में 40 सीटों में से कौन कितनी सीटों पर लड़ेगा.  बिहार में एनडीए की सीट शेयरिंग की सबसे खास बात यह है कि रामविलास पासवान के बेटे और एलजेपी के प्रेसिडेंट चिराग पासवान को 5 सीटें दी गई लेकिन भाई पशुपति पारस को बीजेपी कैबिनेट के केंद्रीय मंत्री होने के बावजूद एक भी सीट नहीं मिली. जबकि पशुपति पारस मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री थे. 

वैसे तो इसे पिछले कुछ सालों में चिराग का खुद को पीएम मोदी का हनुमान बताते हुए बीजेपी में अपना विश्वास और 2021 में एलजेपी के टूटने के बाद अकेले रह जाने पर भी बिहार की राजनीति में सक्रिय रहना बताया जा रहा है. लेकिन अपने मंत्री पशुपति पारस की जगह चिराग पर भरोसा जताने के पीछे बीजेपी की सोच क्या है? इस पर भी सवाल उठ रहे हैं. 

संतान ही बनती है गद्दी का वारिस

यदि सामाजिक व्यवस्था के नजरिये से देखें तो पितृसत्ता समाज की दृष्टि में कहीं न कहीं पिता के नहीं रहने पर संतान को ही वारिस माना जाता है. इसलिए बहुत संभव है कि बीजेपी ने रामविलास के भाई पशुपति की जगह चिराग को चुना. हालांकि सियासी रूप से देखा जाए तो रामविलास की कर्मभूमि हाजीपुर से लेकर पूरे बिहार में उनके सियासी वारिस के रूप में बेटे चिराग पर ही मुहर लगती रही. उनकी रैलियों में पहुंचने वाली भीड़ इसकी गवाह हैं. इसको इस तरह से भी समझा जा सकता है कि पिछले विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार के जेडीयू की सीटें जब कम आईं तो उसके पीछे कहीं न कहीं चिराग को ही जिम्मेदार माना गया क्योंकि उन्होंने ही नीतीश को चुनौती अलग से दी थी. 

बीजेपी इसलिए दे रही चिराग को तवज्जो

चिराग को रामविलास पासवान की लोकप्रियता का पहुंचने वाला लाभ ही संभवतया कारण है कि बीजेपी ने पशुपति को इग्नोर करते हुए चिराग को तवज्जो दी. बीजेपी कहीं ना कहीं चिराग से जुड़ी जनता की भावनाओं को भुनाना चाह रही है.

पितृसत्तात्मक व्यवस्था

परंपरागत रूप से पितृसत्तात्मक समाज वंशानुगत आधारित है जहां पर पिता के बाद उसके बेटे को उत्तराधिकारी माना जाता रहा. हालांकि इस व्यवस्था को अब जीवन के हर क्षेत्र से चुनौती मिल रही है लेकिन सियासत समेत सामाजिक सोच में कहीं न कहीं ये प्रवृत्ति देखने को मिलती है. पार्टियां भी चुनावों में इस सेंटिमेंट को भुनाने का प्रयास करती हैं और बड़े नेताओं के वारिसों को मौका देती रही हैं.

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