ट्रेनों का संचालन न प्रभावित हो और आंदोलन को रोका जा सके, इसलिए रेल मंत्रालय की तरफ से एक नोटिस भी जारी की गई है. इस नोटिस में कहा गया है कि जो अभ्यर्थी ट्रेनों में तोड़फोड़ कर रहे हैं और सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचा रहे हैं, उनके खिलाफ एक कमेटी बनाकर कार्रवाई की जाएगी और उन्हें भविष्य में रेलवे विभाग में नौकरी भी नहीं दी जाएगी.
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नई दिल्ली. भारतीय रेलवे भर्ती बोर्ड की तरफ से इस वक्त ग्रुप डी और एनटीपीसी की दो बड़ी भर्तियां की जा रही हैं. लेकिन इन दोनों ही भर्तियों को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. इसको लेकर अभ्यर्थी बीते मंगलवार से ही देशभर में प्रदर्शन कर रहे हैं. इस दौरान कई जगहों पर ट्रेनों में तोड़फोड़ और आगजनी की भी घटनाएं सामने आई हैं.
ट्रेनों का संचालन न प्रभावित हो और आंदोलन को रोका जा सके, इसलिए रेल मंत्रालय की तरफ से एक नोटिस भी जारी की गई है. इस नोटिस में कहा गया है कि जो अभ्यर्थी ट्रेनों में तोड़फोड़ कर रहे हैं और सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचा रहे हैं, उनके खिलाफ एक कमेटी बनाकर कार्रवाई की जाएगी और उन्हें भविष्य में रेलवे विभाग में नौकरी भी नहीं दी जाएगी.
15 और 23 फरवरी को होने वाली परीक्षा भी टली
इसके अलावा रेलवे ने अभ्यर्थियों की शिकायतों को दूर करने के लिए एक कमेटी का भी गठन कर दिया है. साथ ही 15 फरवरी और 23 फरवरी को होने वाली परीक्षाओं को भी स्थगित कर दिया है. रेलवे की ओर से अभ्यर्थियों की शिकायत के लिए एक ई-मेल आईडी भी जारी की गई है. इस ई-मेल के जरिए अभ्यर्थी भर्ती से जुड़ी शिकायतें 16 फरवरी 2022 तक दर्ज करा सकते हैं. इसके लिए उन्हें अपनी शिकायतें rrbcommittee@railnet.gov.in पर ईमेल करना होगा.
क्या है विरोध की वजह
सबसे पहले जानते हैं कि आरआरबी एनटीपीसी के छात्र क्यों विरोध कर रहे हैं
दरअसल, भारतीय रेलवे भर्ती बोर्ड की तरफ से एनटीपीसी के पदों पर भर्ती के लिए नोटिफिकेशन 2019 में जारी किया गया था. इस भर्ती के जरिए कुल 35000 से ज्यादा पदों पर नियुक्तियां की जानी हैं. भर्ती के लिए सीबीटी-1 परीक्षा 7 चरणों में आयोजित की गई थी, जिसका रिजल्ट 15 जनवरी को जारी किया गया है. इस भर्ती में कुछ पदों पर आवेदन की योग्यता 12वीं है, जबकि कुछ के लिए ग्रेजुएशन है. ये पद पे-ग्रेड के हिसाब से अलग अलग लेवल में बांटे गए हैं.
इस परीक्षा के ज़रिए लेवल 2 से लेकर लेवल 6 तक की नियुक्तियां होनी हैं. जबकि लेवल 2 की एक पोस्ट जूनियर क्लर्क की है. इसके लिए न्यूनतम योग्यता 12वीं पास की है. वहीं, स्टेशन मास्टर की पोस्ट लेवल 6 की है, जिसके लिए न्यूनतम योग्यता ग्रेजुएशन है. बड़ी बात यह है कि ग्रेजुएशन पास अभ्यर्थियों ने लेवल-2 की भर्तियों के लिए भी आवेदन किया है.
यही वजह है कि 12वीं पास छात्रों को लगता है कि उनको नौकरी मिलने की संभावनाएं कम हो जाएगी. वहीं, दूसरी दिक्कत यह है कि जब रेलवे ने नोटिफिकेशन जारी किया था. तब पहले चरण की परीक्षा में कुल रिक्त पदों के 20 गुना छात्रों को पास करने का जिक्र किया गया था. ताकि दूसरे चरण में ज़्यादा से ज़्यादा छात्रों को मौका मिल पाए.
इसके अलावा रिजल्ट में कई अभ्यर्थी ऐसे हैं, जो दोनों ही लेवल की परीक्षाओं के लिए क्वालिफाई किए हैं. इसकी वजह से कई अभ्यर्थियों को मेरिट लिस्ट में जगह नहीं मिली है. ऐसे में अभ्यर्थियों की मांग है कि रेलवे द्वारा दोनों लिस्ट में जगह बनाने वाले छात्रों को एक माना जाए, ताकि अधिक से अधिक लोगों को मौका मिल सके. वहीं, छात्रों का यह भी आरोप है कि रेलवे द्वारा जो रिजल्ट जारी किया गया है, वो सिर्फ 10 गुना ही है. इसी बात को लेकर अभ्यर्थी विरोध कर रहे हैं.
अब जानिए ग्रुप डी के अभ्यर्थियों की विरोध की वजह
भारतीय रेलवे भर्ती बोर्ड की तरफ से ग्रुप डी के पदों पर भर्ती के लिए भी नोटिफिकेशन 2019 में जारी किया गया था. इस भर्ती के जरिए 1 लाख से ज्यादा पदों पर भर्तियां की जानी हैं. 2019 में जारी नोटिफिकेशन में कहा गया था कि अभ्यर्थियों का चयन लिखित एग्जाम, फिजिकल टेस्ट और डॉक्यूमेंट्स वेरिफिकेशन के बाद किया जाएगा. लेकिन परीक्षा से 15-20 दिन पहले भारतीय रेलवे ने एक नोटिस जारी करते हुए कहा कि ग्रुप डी के पदों पर भर्तियों के लिए अभ्यर्थियों का चयन सीबीटी-1, सीबीटी-2, फिजिकल टेस्ट और डॉक्यूमेंट्स वेरिफिकेशन के बाद किया जाएगा. ग्रुप डी परीक्षा में दो सीबीटी एग्जाम लागू करने को लेकर अभ्यर्थी विरोध कर रहे हैं. उनका आरोप है कि भारतीय रेलवे भर्ती बोर्ड द्वारा मनमाने तरीके से नियमों को बदला जा रहा है, जिससे उनको नुकसान होगा. क्योंकि उन्होंने सीबीटी-1 के हिसाब से ही परीक्षा की तैयारी की है.
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