Amarnath Cave Road: तबाही या वाहवाही! अमरनाथ गुफा तक सड़क बनाने का कश्मीरी पंडित भी क्यों कर रहे हैं विरोध?
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Amarnath Cave Road: तबाही या वाहवाही! अमरनाथ गुफा तक सड़क बनाने का कश्मीरी पंडित भी क्यों कर रहे हैं विरोध?

Amarnath Cave Road: अमरनाथ गुफा तक सड़क की योजना को लेकर सरकार और विपक्ष में बहस छिड़ गई है. जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती ने अमरनाथ गुफा तक सड़क बिछाने को तबाही को निमंत्रण देने जैसा बताया है.

Amarnath Cave Road: तबाही या वाहवाही! अमरनाथ गुफा तक सड़क बनाने का कश्मीरी पंडित भी क्यों कर रहे हैं विरोध?

Amarnath Cave Road: अमरनाथ गुफा तक सड़क की योजना को लेकर सरकार और विपक्ष में बहस छिड़ गई है. जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती ने अमरनाथ गुफा तक सड़क बिछाने को तबाही को निमंत्रण देने जैसा बताया है. कश्मीर के कुछ पंडितों ने भी इसे सही कदम नहीं बताया है. वहीं, सरकार का कहना है कि यह निर्माण नया इतिहास रचने जैसा है.

यह प्राकृतिक आपदा को जन्म देगा

जम्मू-कश्मीर के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती ने अमरनाथ गुफा तक मोटर योग्य सड़कें बनाने की आलोचना की है. नेताओं ने कहा है कि घाटी में अमरनाथ यात्रा का हमेशा स्वागत है, लेकिन गुफा तक वाहन ले जाना प्राकृतिक आपदा को जन्म देगा. जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला ने कहा कि यह पर्यावरण का मामला है. अदालतों ने हमेशा घाटी में को बचाने के पक्ष में फैसले दिए हैं. 

फैसले पर दोबारा विचार करने की जरूरत

उमर ने कहा कि किसी को भी डल झील के आसपास कुछ भी निर्माण करने की अनुमति नहीं है. डल में रहने वाले लोगों को अपने हाउसबोट की मरम्मत करने की अनुमति नहीं है. पहलगाम और गुलमर्ग में लोगों को अपनी हाउसबोट मकानों की मरम्मत करने की अनुमति नहीं है. इसी तरह सोनमर्ग में भी पर्यावरण कारणों से कई निर्माण कार्य रोक दिए गए हैं. अगर हमें डल, गुलमर्ग, पहलगाम को बचाना है तो अमरनाथ गुफा को भी बचाना होगा. पर्यावरण को बचाना हमारी जिम्मेदारी है. यात्रा वर्षों से चल रही हैं. हमें गुफा तक वाहन ले जाने की क्या आवश्यकता है. यात्रा का मुख्य उद्देश्य गुफा तक पैदल जाना है. जब हम हज के लिए जाते हैं तो पैदल ही जाते हैं. उसी तरह हिंदू, माता वैष्णो देवी के दर्शन करने जाते हैं. हमें फैसले पर दोबारा विचार करने की जरूरत है क्योंकि इन इलाकों में वाहन ले जाना विनाशकारी होगा. अमरनाथ यात्रा का हमेशा स्वागत है लेकिन सरकार पर्यावरण के साथ इस तरह से खिलवाड़ नहीं कर सकती.

सीमा सड़क संगठन ने क्या कहा था?

इससे पहले सीमा सड़क संगठन ने कहा है कि उन्होंने कठिन कार्य को पूरा करके और कश्मीर घाटी की हिमालय श्रृंखला में 13000 फीट की ऊंचाई पर अमरनाथ गुफा तक वाहनों के पहले सेट तक पहुंचकर इतिहास और एक और मील का पत्थर बनाया है. बीआरओ ने कहा कि संगम बेस से गुफा मंदिर तक लगभग 13 किलोमीटर सड़क पूरी हो चुकी है.

नितिन गडकरी ने की थी घोषणा

केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने तीर्थयात्रियों के लिए सुगम अमरनाथ यात्रा की बात की थी. उन्होंने श्रद्धालुओं की सुविधा बढ़ाने के लिए लगभग 5,300 करोड़ रुपये की लागत से पहलगाम में पवित्र अमरनाथ गुफा मंदिर तक जाने वाले 110 किलोमीटर लंबे अमरनाथ मार्ग के निर्माण की घोषणा की थी.

कश्मीर के पंडित भी इसके खिलाफ

बता दें कि न केवल राजनेताओं बल्कि कश्मीर पंडित समुदाय के सदस्यों ने भी सरकार के इस कदम की आलोचना करते हुए कहा है कि इससे पर्यावरण नष्ट हो जाएगा. राजनीतिक नेता और कश्मीरी पंडित मोहित भान ने एक ट्वीट में कहा कि जोशीमठ और केदारनाथ में भगवान का क्रोध देखने के बाद एलजी प्रशासन कोई सबक नहीं सीख रहा है. अमरनाथ गुफा के आसपास कश्मीर में एक नई तबाही को आमंत्रित कर रहा है.

..इसका इस्तेमाल राजनीतिक फायदे के लिए

कश्मीरी पंडित और पीडीपी नेता मोहित भान ने कहा कि कोई भी यात्रा के खिलाफ नहीं है. यह घाटी में भाईचारे का एक उदाहरण है. लेकिन जिस तरह से उन्होंने गुफा तक मोटर योग्य सड़क शुरू की है. वह एक पर्यावरण आपदा को जन्म देगी. हमारे सामने केदारनाथ, जोशीमठ और हिमाचल के उदाहरण हैं. संख्या भी बढ़ा दी गई है, जिसका असर शिवलिंग निर्माण पर पड़ा है. गुफा तक पैदल चलकर यात्रा करनी होती है. यही इसका मुख्य तरीका है. राजनीतिक दल इसका इस्तेमाल राजनीतिक फायदे के लिए कर रहे हैं.

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