BJP Constitution: वो टीम जो भाजपा अध्यक्ष पर ले सकेगी फैसला, जानें पार्टी के संविधान में क्यों हुआ बदलाव
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BJP Constitution: वो टीम जो भाजपा अध्यक्ष पर ले सकेगी फैसला, जानें पार्टी के संविधान में क्यों हुआ बदलाव

BJP President JP Nadda: भाजपा ने दो दिन तक यानी शनिवार और रविवार को दिल्ली में अपना अधिवेशन किया. इसमें पार्टी के वयोवृद्ध नेता मुरली मनोहर जोशी भी पहुंचे थे. इस दौरान पार्टी अध्यक्ष पर फैसला लेने के लिए संसदीय बोर्ड को विशष अधिकार दिए गए. 

BJP Constitution: वो टीम जो भाजपा अध्यक्ष पर ले सकेगी फैसला, जानें पार्टी के संविधान में क्यों हुआ बदलाव

BJP Amend Constitution For President: लोकसभा चुनाव की घोषणा होने में अब ज्यादा वक्त नहीं बचा है. हाल में दिल्ली में हुए दो दिन के राष्ट्रीय अधिवेशन में भाजपा ने पार्टी के संविधान में एक महत्वपूर्ण बदलाव किया है. पार्टी के संसदीय बोर्ड को आपातकालीन स्थिति में भाजपा अध्यक्ष से संबंधित फैसले लेने के विशेष अधिकार दे दिए गए हैं. जी हां, इसके तहत पार्टी अध्यक्ष के कार्यकाल और विस्तार को लेकर अहम निर्णय लिए जा सकेंगे. ऐसे में आपके मन में सवाल उठ सकता है कि चुनाव से ठीक पहले पार्टी अध्यक्ष को लेकर नियम क्यों संशोधित किए गए? वैसे, पार्टी ने संशोधन के तर्क पर विस्तार से तो कुछ नहीं बताया है लेकिन सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है कि भविष्य में अपने अध्यक्षों की नियुक्तियों के लिए ऐसा किया गया है. 

बदलाव की बड़ी वजह

पार्टी चीफ को लेकर आगे लिए जाने वाले फैसलों से ज्यादा चीजें स्पष्ट हो सकती हैं. अंदरखाने इसकी वजह स्पष्ट की जा रही है. कहा जा रहा है कि जब पार्टी विधानसभा या लोकसभा चुनाव की तैयारियों में व्यस्त होती है तब आंतरिक चुनावों के लिए निर्धारित प्रक्रिया का पालन करना मुश्किल होता है. यही वजह है कि मौजूदा अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल लोकसभा चुनाव के मद्देनजर 30 जून तक बढ़ा दिया गया है. 

- बीजेपी के मौजूदा संविधान के मुताबिक कम से कम 50 फीसदी राज्यों में संगठन का चुनाव होने के बाद ही राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव कराया जा सकता है. राज्य भाजपा संगठन का चुनाव जिला निकायों आदि के चुनावों पर भी निर्भर होता है. 
- अब लोकसभा चुनाव में ज्यादा समय नहीं बचा है. ऐसे में तय प्रक्रिया से इतर जाकर पार्टी चीफ का कार्यकाल बढ़ाने की जरूरत समझ में आई. 

कैसे चुना जाता है भाजपा अध्यक्ष

- सामान्य रूप से भाजपा अध्यक्ष का चुनाव संगठनात्मक चुनावों के माध्यम से होता है. यह चुनाव निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है, जिसमें राष्ट्रीय परिषद के सदस्य और प्रदेश परिषदों के सदस्य शामिल होते हैं. 
- पार्टी संविधान में यह भी लिखा है कि निर्वाचक मंडल में से कोई भी 20 सदस्य राष्ट्रीय अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने वाले व्यक्ति के नाम का संयुक्त रूप से प्रस्ताव कर सकते हैं. यह प्रस्ताव कम से कम ऐसे 5 प्रदेशों से आना जरूरी है जहां राष्ट्रीय परिषद के चुनाव संपन्न हो चुके हों. 
- भाजपा के संविधान की धारा 19 में राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की पूरी प्रक्रिया बताई गई है. 
- भाजपा का अध्यक्ष बनने के लिए जरूरी है कि व्यक्ति कम से कम 15 साल तक पार्टी का प्राथमिक सदस्य हो. 
- धारा 21 में यह प्रावधान है कि कोई भी सदस्य 3-3 साल के लगातार 2 कार्यकाल तक ही अध्यक्ष बना रह सकता है. 

संसदीय बोर्ड में कौन-कौन

भाजपा की वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के अनुसार पार्टी के संसदीय बोर्ड में ये वरिष्ठ नेता शामिल हैं. 
1. जगत प्रकाश नड्डा, पार्टी अध्यक्ष
2. पीएम नरेंद्र मोदी
3. राजनाथ सिंह, कैबिनेट मंत्री
4. अमित शाह, कैबिनेट मंत्री
5. बी. एस. येदियुरप्पा, कर्नाटक के पूर्व सीएम
6. सर्बानंद सोनोवाल, केंद्रीय मंत्री
7. डॉ. के. लक्ष्मण, राष्ट्रीय अध्यक्ष - अन्य पिछड़ा वर्ग मोर्चा
8. इकबाल सिंह लालपुरा, संसदीय बोर्ड सदस्य
9. डॉ सुधा यादव, संसदीय बोर्ड सदस्य
10. डॉ. सत्यनारायण जटिया, संसदीय बोर्ड सदस्य
11. श्री बी एल संतोष, राष्ट्रीय महासचिव (संगठन)

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