कौन हैं जगजीत सिंह डल्लेवाल, कैंसर के मरीज, किसानों की आवाज; जिनकी एक हुंकार पर हिल गया दिल्ली-पंजाब और हरियाण
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कौन हैं जगजीत सिंह डल्लेवाल, कैंसर के मरीज, किसानों की आवाज; जिनकी एक हुंकार पर हिल गया दिल्ली-पंजाब और हरियाण

Who is farmer leader Jagjit Singh Dallew: एक तरफ शंभू बॉर्डर पर किसानों की हुंकार से दिल्ली, पंजाब-हरियाणा में हलचल मची है, दूसरी तरफ खनौरी बॉर्डर पर किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल का आमरण अनशन जारी है. कैंसर मरीज जगजीत कौन हैं,  किसानों का दावा है कि डल्लेवाल का आठ किलो वजन कम हो गया है. कैसे बने किसानों की आवाज.

 

कौन हैं जगजीत सिंह डल्लेवाल, कैंसर के मरीज, किसानों की आवाज; जिनकी एक हुंकार पर हिल गया दिल्ली-पंजाब और हरियाण

Farmer Protest: 101 किसानों का एक जत्‍था आठ दिसंबर को दिल्ली की ओर एक बार फिर मार्च शुरू करेगा. शंभू बॉर्डर पर पुलिस और किसानों के बीच शुक्रवार को जमकर बवाल मचा है. शुक्रवार को पंजाब-हरियाणा सीमा पर सुरक्षाकर्मियों द्वारा आंसू गैस के गोले दागे जाने के कारण कुछ किसानों के घायल होने के बाद प्रदर्शनकारी किसानों ने राष्ट्रीय राजधानी की ओर अपना पैदल मार्च स्थगित कर दिया था. रविवार को किसान फिर दिल्ली आने के लिए मार्च करने वाले हैं.

शंभू बॉर्डर पर कोहराम
किसान आंदोलन के चलते राजधानी दिल्ली किले में तब्दील है. इसके अलावा एनसीआर के शहरों नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम और सोनीपत तक में भारी ट्रैफिक जाम दिख रहा है. वहीं हरियाणा और पंजाब को जोड़ने वाले शंभू बॉर्डर पर कोहराम मचा हुआ है. यहां बड़ी संख्या में पुलिस तैनात है और बैरिकेडिंग की गई है. यदि केंद्र सरकार और किसानों के बीच सहमति नहीं बनी और किसान दिल्ली की सीमा तक आ पहुंचे तो संकट गहरा जाएगा.

उधर किसानों की मांग को लेकर खनौरी बॉर्डर पर आमरण अनशन पर बैठे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल का वजह आठ किलो कम हो गया है.  आखिर कौन हैं जगजीत जिनकी किसान मार्च के दौरान हो रही इतनी चर्चा. जानें सबकुछ.

कौन हैं किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल?
इस साल 27 जनवरी को अपनी पत्नी को खोने वाले प्रोस्टेट कैंसर के मरीज जगजीत सिंह दल्लेवाल (70) सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे के अनुयायी रहे हैं, क्योंकि लोगों के हक के‌ लिए उन्होंने कई बार भूख हड़ताल की है. इस बार भी किसानों के हक के लिए खनौरी बॉर्डर पर अनशन कर रहे हैं.

संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) के प्रमुख 70 वर्षीय किसान नेता फरीदकोट में अपने पैतृक गांव दल्लेवाल में 17 एकड़ कृषि भूमि के मालिक हैं. डल्लेवाल के बेटे गुरपिंदरपाल दल्लेवाल ने कहा, "उन्होंने 4.5 एकड़ जमीन मेरे नाम कर दी, दो एकड़ मेरी पत्नी हरप्रीत कौर के नाम और बाकी 10.5 एकड़ मेरे बेटे जिगरजोत सिंह के नाम कर दी. उन्होंने हमें बताया कि उनका आमरण अनशन किसानों के लिए आर-पार की लड़ाई होगी."

खुद का बनाया अपना किसान मोर्चा
फरीदकोट जिले में पड़ने वाले डल्लेवाल गांव के निवासी जगजीत सिंह लंबे अरसे से किसानों के मुद्दों पर ऐक्टिव हैं, लेकिन उनके संयुक्त किसान मोर्चे के उस धड़े से मतभेद हैं, जिसने 2022 में चुनाव लड़ा था. कहा जाता है कि उस चुनाव के चलते ही किसान संगठनों में मतभेद पैदा हो गए थे. किसानों के एक वर्ग का कहना था कि हमें राजनीति में नहीं उतरना चाहिए था.

किसानों की कैसे बने आवाज?
डल्लेवाल, जो बीकेयू (एकता सिद्धूपुर) के प्रमुख हैं, पंजाब के मालवा क्षेत्र में सक्रिय रहे हैं और आत्महत्या से मरने वाले किसानों के लिए मुआवजे की मांग करने के अलावा भूमि अधिग्रहण के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों में सबसे आगे रहे हैं. बीकेयू (एकता सिद्धूपुर) पंजाब के 32 किसान संगठनों में से एक था, जिसने संयुक्त किसान मोर्चा का गठन किया, जिसने दिल्ली आंदोलन का नेतृत्व किया. हालांकि, डल्लेवाल ने पंजाब में 2022 के विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए एक अलग संगठन बनाने के लिए एसकेएम नेता बलबीर सिंह राजेवाल की आलोचना की और बाद में कुछ अन्य समान विचारधारा वाले किसान नेताओं के साथ मिलकर एसकेएम (गैर-राजनीतिक) का गठन किया.

जानें कब-कब आए चर्चा में?
इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, 23 फरवरी, 2018 को वे तब सुर्खियों में आए, जब किसानों की उपज के लिए लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करने और कृषि ऋण माफी के लिए स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने की मांग को लेकर दिल्ली की ओर जा रहे ट्रैक्टरों के काफिले को पंजाब की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने संगरूर के चीमा मंडी में रोक दिया था. इसके बाद सरकार ने उन्हें अपना मार्च फिर से शुरू करने की अनुमति देने से पहले काफिले ने चीमा मंडी में 28 दिनों तक डेरा डाला था. इसके बाद, डल्लेवाल 23 मार्च, 2018 को दिल्ली में हजारे की भूख हड़ताल में शामिल हुए.

1 जनवरी, 2019 को डल्लेवाल ने फिर से हजारे के नक्शेकदम पर चलते हुए चंडीगढ़ में कृषि संकट से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर पांच दिनों की भूख हड़ताल की. ​​जनवरी 2021 में, वे कृषि कानूनों को निरस्त करने के विरोध के तहत दिल्ली की सीमाओं पर क्रमिक भूख हड़ताल पर बैठे.

नवंबर 2022 में, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान द्वारा किसान यूनियनों पर अपनी मांगों को पूरा करने के लिए सड़कों को अवरुद्ध करके अक्सर विरोध प्रदर्शन करने के लिए निशाना साधने के बाद डल्लेवाल ने भूख हड़ताल शुरू करने का फैसला किया था.

13 फरवरी से शंभू और खनौरी सीमा पर बैठे हैं किसान
संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा ने पहले आमरण अनशन शुरू करके एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी सहित किसानों की विभिन्न मांगों के समर्थन में अपना आंदोलन तेज करने की योजना की घोषणा की थी. सुरक्षा बलों द्वारा दिल्ली मार्च रोके जाने के बाद किसान 13 फरवरी से पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू और खनौरी सीमा बिंदुओं पर डेरा डाले हुए हैं.

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