Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट में जब याचिका पर सुनवाई चल रही थी, उसी वक्त विक्टोरिया गौरी ने एडिशनल जज के तौर पर शपथ ले ली थी. हालांकि उनकी शपथ से पहले सुनवाई के दौरान कोर्ट अपनी टिप्पणियों के जरिये साफ कर चुका था कि वो शपथ पर रोक लगाने के पक्ष में नहीं हैं.
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Supreme Court: एल विक्टोरिया गौरी की मद्रास हाईकोर्ट की एडिशनल जज के रूप में रूप में नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया. चैन्नई में कुछ वकीलों ने ईसाई और इस्लाम धर्म को लेकर विक्टोरिया के पुराने आपत्तिजनक बयानों/लेखों का हवाला देकर यह याचिका दायर की थी.
'कॉलेजियम को जानकारी होगी'
जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस बीआर गवई की बेंच ने कहा कि याचिका में जिन बातों का हवाला दिया गया है,ऐसा संभव नहीं है कि कॉलेजियम को इसकी जानकारी न हो.ऐसे में हमारे लिए ये उपयुक्त नहीं होगा कि हम कॉलेजियम को विक्टोरिया की नियुक्ति के लिए भेजी सिफारिश पर दोबारा विचार के लिए कहें.
कोर्ट ने कहा कि अभी विक्टोरिया गौरी की एडिशनल जज के तौर नियुक्ति हुई है. अगर आगे चलकर कॉलेजियम उन्हें जज के तौर उपयुक्त नहीं पाता है तो स्थायी जज के तौर पर नियुक्ति नहीं होगी. कॉलेजियम पर तब भी उनके बारे में फैसला लेने का अधिकार होगा.
SC में सुनवाई, मद्रास HC में शपथ
दिलचस्प ये है कि जब सुप्रीम कोर्ट में याचिका पर सुनवाई चल रही थी, उसी वक्त विक्टोरिया गौरी ने एडिशनल जज के तौर पर शपथ ले ली थी. हालांकि उनकी शपथ से पहले सुनवाई के दौरान कोर्ट अपनी टिप्पणियों के जरिये साफ कर चुका था कि वो शपथ पर रोक लगाने के पक्ष में नहीं हैं.
याचिका में आपत्तिजनक बयानों का हवाला
विक्टोरिया गौरी की एडिशनल जज के तौर पर नियुक्ति के लिए सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 17 जनवरी को सिफारिश भेजी थी. इसके बाद से ही सांप्रदायिक आधार पर दिए गए उनके बयान/लेख सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गए थे.याचिका में कहा गया था कि उन्होंने ईसाई और इस्लाम धर्म के प्रचार/ विस्तार पर कई बार आपत्तिजनक बयान दिए हैं.
सुनवाई के दौरान दलील
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकीलराजू रामचन्द्रन ने कहा कि उन्हें विक्टोरिया गौरी के राजनैतिक रुझान से कोई दिक्कत नहीं है. सवाल उनके धार्मिक आधार पर भड़काऊ बयान से है.
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जजों की नियुक्ति को उपयुक्तता और योग्यता दोनों आधार पर चुनौती दी जा सकती है. योग्यता के आधार पर नियुक्ति को अगर चुनौती दी जाती है तो कोर्ट उसे सुन सकता है, लेकिन कोर्ट को अब इस बहस में नहीं जाना चाहिए कि वो जज के तौर पर नियुक्ति के लिए उपयुक्त नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट ने दखल से इनकार किया
इस पर वकील राजू रामचन्द्रन ने संविधान के अनुच्छेद 217 में निहित शर्तो का हवाला दिया. उन्होंने कहा कि एक जज से अपेक्षा से की जाती है कि वो संविधान के प्रति अपनी निष्ठा को निभाए, लेकिन विक्टोरिया गौरी के पहले दिए गए बयान दर्शाते है कि वो जज के तौर पर शपथ लेने लायक नहीं है. उन्होंने ये भी कहा कि ऐसा लगता है कि कॉलेजियम को उनके जीवन के इस पहलू के बारे में जानकारी गई नहीं थी. हालांकि बेंच इस दलील से संतुष्ट नहीं आई. कोर्ट ने कहा कि जिन स्पीच का हवाला दिया जा रहा है, वो 2018 की है. ऐसे नहीं हो सकता कि कॉलेजियम ने इन्हें देखा ना हो. हमारे लिए अब दखल देना ठीक नहीं होगा.
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