Haridwar: जेल में इस मां ने स्वराज को दिया था जन्म, मरने के बाद मिला गार्ड ऑफ ऑनर, जानें पूरा मामला
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Haridwar: जेल में इस मां ने स्वराज को दिया था जन्म, मरने के बाद मिला गार्ड ऑफ ऑनर, जानें पूरा मामला

Freedom Fighter Swaraj Rana: स्वतंत्रता संग्राम सेनानी 79 वर्षीय स्वराज राणा का बीती रात देहांत हो गया. अधिकारियों सहित सैकड़ों स्थानीय लोगों की मौजूदगी में सोमवार दोपहर में उनका अंतिम संस्कार किया गया. इससे पहले पुलिस की टीम ने उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया.

Haridwar: जेल में इस मां ने स्वराज को दिया था जन्म, मरने के बाद मिला गार्ड ऑफ ऑनर, जानें पूरा मामला

आशीष मिश्रा/हरिद्वारः पूरे देश में आजादी की 75वीं वर्षगांठ बड़े धूमधाम से मनाई जा रही है. आजादी के अमृत महोत्सव के तहत जगह-जगह तिरंगा यात्रा निकाली जा रही है. स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों और शहीदों को याद किया जा रहा है. इस जश्न भरे माहौल में कुछ कमी लाने वाली उत्तराखंड से  एक खबर सामने आई है. हरिद्वार के लक्सर निवासी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वराज राणा का बीती रात निधन हो गया.

उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में जन्मे स्वराज 79 वर्ष के थे. बता दें कि आजादी की लड़ाई में हिस्सा लेने पर अंग्रेज सरकार ने उनके माता-पिता को सहारनपुर जेल भेज दिया था. जेल में ही स्वराज का जन्म हुआ था. अधिकारियों की मौजूदगी में पुलिस के गार्ड ऑफ ऑनर के बाद उनका अंतिम संस्कार किया गया.

1943 में जेल की बैरक में हुआ था स्वराज का जन्म
अंग्रेजी शासन के दौरान 1940 के आसपास आजादी की मांग को लेकर पूरे देश मे उग्र आंदोलन हो रहे थे. इसे दबाने के लिए अंग्रेज सरकार आंदोलन करने वालों के ऊपर जमकर जुल्म ढा रही थी. लक्सर में सिमली मोहल्ले के राजाराम राणा ने भी अपनी पत्नी सुरसती देवी के साथ आजादी की लड़ाई में हिस्सा लिया. इसका पता चलने पर नवंबर 1942 में अंग्रेज सरकार ने राजाराम और उनकी पत्नी को गिरफ्तार कर सहारनपुर जेल की अलग-अलग बैरक में डाल दिया था.

गिरफ्तारी होने के समय सुरसती देवी गर्भवती थी. 5 जनवरी 1943 को सुरसती देवी ने जेल की बैरक में ही बेटे को जन्म दिया था. स्वराज पाने की लड़ाई में जेल जाने की वजह से माता व पिता ने जेल में जन्मे बेटे का नाम ही स्वराज रख दिया था. 

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पुलिस ने दिया गार्ड ऑफ ऑनर 
स्वराज राणा का बीती रात देहांत हो गया. बताया जा रहा है कि पिछले कुछ दिन से वे अस्वस्थ चल रहे थे. बेटे उनका इलाज भी करा रहे थे. उनके चार बेटे मुकेश कुमार, उमेश कुमार, शिवकुमार, मुनीश कुमार और एक बेटी सुमन है. एसडीएम गोपालराम बिनवाल, तहसीलदार शालिनी मौर्य और नगर पालिका अध्यक्ष अम्बरीष गर्ग सहित सैकड़ों स्थानीय लोगों की मौजूदगी में सोमवार दोपहर में स्वराज राणा का अंतिम संस्कार किया गया. इससे पहले पुलिस की टीम ने उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर भी दिया.

विधिवत दिया गया सम्मान
गोपाल राम उप जिलाधिकारी ने बताया कि लक्सर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी में स्वराज राणा का निधन हो गया.वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे. उनका जो प्रोटोकॉल है संग्राम सेनानी का उसके अनुसार गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया, विधिवत जो सम्मान होता है वह सम्मान देते हुए उनका अंतिम संस्कार किया गया. निश्चित रूप से उनका जाना हमारे समाज के लिए दुखद है, लेकिन उन्हें उम्र के साथ बीमारी ने घेर लिया था. 

तीन साल तक जेल में पले स्वराज राणा
गोपाल राम उप जिलाधिकारी ने  बताया कि स्वतंत्रता संग्राम सेनानी में स्वराज राणा के बारे में बताया जाता है कि उनके माता-पिता सहारनपुर की जेल में बंद थे. वहीं, जेल की बैरक में उनका जन्म हुआ था और 3 साल तक इनका पालन-पोषण जेल के अंदर ही हुआ था.माता-पिता ने स्वराज नाम रखा था  नाम से ही मतलब स्पष्ट है. वहीं, उनका जाना निश्चित रूप से एक बड़ी क्षति है.

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विधायक ने स्वराज के परिवार के लिए की ये मांग 
विधायक मोहम्मद शहजाद लक्सर ने कहा कि समाज के  संभ्रांत लोग इस अंत्येष्टि में शामिल हुए हैं. वहीं, इनके परिवार की स्थिति ठीक नहीं है. मैं सरकार से मांग करता हूं कि इस परिवार की स्थिति दयनीय है, इसलिए आर्थिक मदद दी जाए और इनके परिवार के किसी एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी दी जाए.

स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने देश के लिए दी पूर्णाहुति
भारत भूषण स्वतंत्रता सेनानी ने परतंत्र भारत के पलों को याद करते हुए कहा कि हरिद्वार में एक समय ऐसा था कि जब व्यक्ति घर से निकलता था तो उसे यह पता नहीं होता था कि मैं घर जिंदा लौटूंगा  या नहीं. मेरे पीछे मेरे परिवार का क्या होगा. अपने परिवार को पीछे छोड़ व्यक्ति यह सोचता था कि मैं जो कुछ हूं देश के लिए हूं. यह सोचकर हमारे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने पूर्णाहुति दी.

भारत भूषण ने कहा कि बहुत सारे जो लोग जिंदा थे, ऐसे लोग जो शहीद हो गए और बहुत सारे ऐसे लोग जो गुमनाम हैं, तरह कई तरह के कष्ट भोगते हुए इन लोगों ने स्वतंत्रता के लिए प्रयास किया था. वह सारे लोग किसी भी रूप में हो कहीं भी हो उन्हें मान मिलना चाहिए, क्योंकि किसी भी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी ने अपने प्रांत या जिले के लिए नहीं, बल्कि जो कुछ किया देश के लिए किया.

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