उत्तराखंड की चार धाम यात्रा के लिए तिथि घोषित हो चुकी है. ऐसे में प्रशासन के लिए सबसे ज्यादा चुनौती बद्रीनाथ धाम की यात्रा को लेकर है. अभी हाल ही में जोशीमठ में आई दरारों के कारण स्थानीय लोगों को राहत शिविरों में शिफ्ट किया गया था.
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सुरेंद्र डसीला/देहरादून: उत्तराखंड की चार धाम यात्रा के लिए तिथि घोषित हो चुकी है. ऐसे में प्रशासन के लिए सबसे ज्यादा चुनौती बद्रीनाथ धाम की यात्रा को लेकर है. अभी हाल ही में जोशीमठ में आई दरारों के कारण स्थानीय लोगों को राहत शिविरों में शिफ्ट किया गया था. ऐसे में बड़े पैमाने पर श्रद्धालुओं की भीड़ जोशीमठ से बद्रीनाथ कैसे पहुंचेगी, इसे लेकर लगातार सवाल उठ रहे हैं. बता दें कि चारधाम यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन शुरू हो चुके हैं. अब तक 17 हजार से ज्यादा तीर्थयात्री रजिस्ट्रेशन करा चुके हैं.
जोशीमठ में बीते दिनों सड़कों पर बड़ी-बड़ी दरारें आ गई थीं. साथ ही स्थानीय होटलों और घरों में दरारें देखने को मिली थी. मौके पर एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमों को लगाया गया था. राहत एवं बचाव कार्य करते हुए करते हुए प्रभावित इलाकों को खाली करवा लिया गया था. इसके बाद से ही स्थानीय निवासी राहत शिविरों और दूसरे होटलों में रह रहे हैं.
22 अप्रैल से शुरू होगी यात्रा
आपको बता दें कि 22 अप्रैल से उत्तराखंड की चार धाम यात्रा शुरू हो रही है. इस यात्रा में शामिल चार मंदिर यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ हैं. जोशीमठ में आई आपदा के कारण बद्रीनाथ यात्रा को लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है, क्योंकि बद्रीनाथ धाम जाने का रास्ता जोशीमठ होते हुए जाता है. ऐसे में बद्रीनाथ धाम जाने वाले श्रद्धालु रात में जोशीमठ में ही रुकते हैं. इस साल जोशीमठ में आई दरारों के कारण स्थानीय लोगों को होटलों में रुकवाया गया है. इस वजह से होटलों के सारे कमरे लगभग फुल है.
बद्रीनाथ यात्रा में अहम पड़ाव
ऐसे में यह प्रश्न उठ रहा है कि यात्रा के लिए आने वाले तीर्थयात्री कहां रुकेंगे. इस यात्रा में भारी संख्या में श्रद्धालुओं के पहुंचने की उम्मीद है. बद्रीनाथ धाम की यात्रा के लिए कोई दूसरा रास्ता नहीं है. श्रद्धालुओं को जोशीमठ से ही होकर जाना होता है. जोशीमठ से बद्रीनाथ लगभग 45 किलोमीटर दूर है. इसलिए बड़ी संख्या में तीर्थयात्री यहां रुक कर आराम करते हैं. यात्रा के दौरान आने वाले श्रद्धालुओं को किसी तरह कि परेशानी का सामना न करना पड़े, इसके लिए सरकार द्वारा हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं. वहीं, यात्रा को लेकर उत्तरकाशी जिला प्रशासन तैयारियों में जुटा है.
प्रशासन ने किए पुख्ता इंतजाम
उत्तराखंड के आपदा प्रबंधन सचिव डॉ. रंजीत सिन्हा ने बताया कि जोशीमठ में किसी भी तरह की दिक्कत नहीं होगी. उन्होंने आगे कहा कि जोशीमठ में जो सड़कें खराब हैं, जिनमें दरारे हैं उन्हें ठीक करने के लिए बीआरओ और पीडब्ल्यूडी को निर्देश दिए गए हैं. इसके साथ ही टेक्निकल टीम जीपीआर (GPR) यानी ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार के साथ मौजूद रहेंगी.
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