Zee UPUK के ओपिनियन पोल में Gorakhpur तो मंदिर के साथ, CM Yogi के लिए बेहद आसान मुकाबला
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Zee UPUK के ओपिनियन पोल में Gorakhpur तो मंदिर के साथ, CM Yogi के लिए बेहद आसान मुकाबला

UP Election Opinion Poll 2022: गोरखपुर हमेशा से भाजपा का गढ़ रहा है. इस सीट पर गोरक्षनाथ पीठ का काफी प्रभाव है. मंदिर के प्रतिनिधि यहां से चुनाव जीतते रहे हैं. 

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ. (File Photo)

गोरखपुर: देश के पांच राज्य उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर विधानसभा चुनावों को लेकर मीडिया की सुर्खियों में बने हुए हैं. खासकर उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव पर सबकी निगाहें टिकी हैं, क्योंकि यह राज्य हमेशा से केंद्र की सत्ता में कौन रहेगा उसका निर्धारण करता रहा है. वर्तमान में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भाजपा की सरकार उत्तर प्रदेश को संभाल रही है.

इन पांचों राज्यों के चुनावों को लेकर ZEE Media ने DesignBoxed के साथ मिलकर प्री-पोल सर्वे किया है, जिसे हम ओपिनियन पोल भी कहते हैं. ZEE Media-DesignBoxed का यह ओपिनियन पोल अपने आप में बेहद खास है, क्योंकि इस सर्वे का सैंपल साइज 11 लाख का है. इतने बड़े सैंपल साइज के साथ आज तक किसी ने कोई चुनावी सर्वे नहीं किया है. साथ ही इस सर्वे में राज्यों के हर विधानसभा सीट को लेकर आंकड़े दिए गए हैं.

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भारतीय जनता पार्टी ने यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को गोरखपुर सदर सीट से अपना उम्मीदवार बनाया है. वह लगातार पांच बार यहां के सांसद रह चुके हैं. ZEE Media-DesignBoxed के सर्वे में गोरखपुर सदर सीट पर भाजपा को बढ़त दिखाई गई है. हालांकि, यह सर्वे उस समय किया गया जब गोरखपुर सदर सीट पर भाजपा ने अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की थी. चूंकि अब मुख्यमंत्री इस सीट से खुद लड़ेंगे तो भाजपा और मजबूत होगी.

अगर हम ZEE Media-DesignBoxed के सर्वे की बात करें तो गोरखपुर सदर विधानसभा क्षेत्र की जनता ने वर्तमान विधायक राधा मोहनदार अग्रवाल के काम पर मुहर लगाई है. वहीं, यहां के लोग योगी सरकार के कामकाज से भी खुश हैं. ZEE Media के सर्वे में गोरखपुर सदर विधानसभा क्षेत्र में वर्तमान भाजपा एमएलए राधा मोहनदास अग्रवाल को 61% अप्रूवल रेटिंग मिला है, वहीं योगी सरकार का अप्रूवल रेटिंग 63% है. यानी यहां जनता अपने विधायक और सरकार दोनों के काम से बहुत हद तक खुश है.

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अगर 2022 चुनाव की बात करें तो ZEE Media-DesignBoxed के सर्वे में गोरखपुर सदर सीट पर एक बार फिर भाजपा बाजी मारती दिख रही है. वैसे भी गोरखपुर हमेशा से भाजपा का गढ़ रहा है. इस सीट पर गोरक्षनाथ पीठ का काफी प्रभाव है. मंदिर के प्रतिनिधि यहां से चुनाव जीतते रहे हैं. प्रत्याशी चाहे जो हो गोरखनाथ मंदिर जिसके साथ है, यहां के लोग वोट भी उसी को करते हैं.

गोरखपुर सदर ऐसी सीट है जहां पर लाख कोशिश करने के बाद भी सारी पार्टियों का जातीय समीकरण बिगड़ जाता है. योगी आदित्यनाथ राजपीति में जबसे गोरखपुर का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, यहां एक लाइन बहुत मशहूर हो गई है कि ''गोरखपुर में रहना है तो योगी, योगी कहना है.'' आप अगर गोरखपुर का बीते दो दशक का चुनावी इतिहास देखेंगे तो जिसपर भी योगी का हाथ रहता है वह विजयी होता है. इसलिए उपरोक्त लाइन यहां पर बोली जाती है.

भाजपा ने 1989 से 1997 तक के विधानसभा चुनाव में गोरखपुर सदर सीट पर जीत हासिल की. साल 2002 के चुनाव में योगी आदित्यनाथ की नाराजगी के कारण भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था. योगी ने इस सीट से हिंदू महासभा के बैनर तले डॉक्टर राधामोहन दास अग्रवाल को भाजपा प्रत्याशी शिव प्रताप शुक्ला के खिलाफ चुनाव लड़वाया और वह जीतने में कामयाब रहे. हालांकि आगे चलकर योगी की भाजपा से सुलह हो गई और डॉक्टर राधामोहन भी भाजपा में शामिल हो गए.

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इसके बाद साल 2007,2012 और 2017 में भी डॉ. राधामोहन दास अग्रवाल ही भाजपा के टिकट पर गोरखपुर सदर से चुनाव जीतते आ रहे हैं. इस बार योगी आदित्यनाथ यहां से चुनाव मैदान में है. जब उनके द्वारा खड़ा किया गया उम्मीदवार यहां से जीतने में कामयाब रहता है तो फिर योगी के लिए गोरखपुर सदर सीट पर जीत दर्ज करना बाएं हाथ का खेल है, ऐसा कहा जा सकता है. गोरखपुर सदर सीट पर करीब 4.50 लाख वोटर हैं. इनमें सबसे अधिक कायस्थ वोटरों की संख्या है.

यहां कायस्थ 95 हजार, ब्राह्मण 55 हजार, मुस्लिम 50 हजार, क्षत्रिय 25 हजार, वैश्य 45 हजार, निषाद 25 हजार, यादव 25 हजार, दलित 20 हजार इसके अलावा पंजाबी, सिंधी, बंगाली और सैनी कुल मिलाकर करीब 30 हजार वोटर हैं. लेकिन गोरखपुर के वोटर चुनाव में उम्मीदवार की जाति नहीं बल्कि गोरखनाथ मंदिर किसके साथ है यह देखकर वोट करते हैं.

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