Potato Price : फर्रुखाबाद और बाराबंकी के आलू किसानों पर पड़ी मार, कोल्ड स्टोरेज में भी खा रहे धक्के
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Potato Price : फर्रुखाबाद और बाराबंकी के आलू किसानों पर पड़ी मार, कोल्ड स्टोरेज में भी खा रहे धक्के

Potato Cultivation:मंदी की मार झेल रहे आलू किसान अब बारिश और ओलावृष्टि से परेशान है. किसानों का कहना है कि उन्हे आलू की लागत तक नहीं मिल पा रही है और इसके साथ वह कुदरत की मार भी झेल रहे है.

Potato Farmers in Mandi (File Photo)

बाराबंकी: उत्तर प्रदेश में मंदी की मार झेल रहे आलू किसानों की समस्या कम होने का नाम नहीं ले रही है. यूपी के Barabanki में हुई तेज बारिश और ओलावृष्टि ने आलू के किसानों की चिंता और भी बढ़ा दी है. उत्तर प्रदेश में मिल रहे आलू की फसल (Potato Cultivation) के दामों में किसानों का मंडी से वापस घर जाने तक का किराया नहीं निकल पा रहा है.  यूपी  के Farrukhabad को आलू की खेती का सबसे ज़्यादा पैदावार करने वाला जिला माना जाता है. लेकिन फर्रुखाबाद  के किसानों  को मंडी में आलू में लगाई हुई अपनी लागत तक के पैसे नहीं मिल रहे है. इन दिनों सातनपुर मंडी में किसानों की  हालत बद से बदतर होती दिखाई दे रही है. सातनपुर मंडी में किसानों को आलू का लागत मूल्य  मिलना भी दुश्वार हो रहा है. 

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तेज बारिश और ओलावृष्टि बनी मुसीबत 
शुक्रवार को हुई अचानक तेज बारिश और ओलावृष्टि ने मंदी की मार झेल रहे किसानों के सामने और आफत खड़ी कर दी है. तेज बारिश और ओलावृष्टि के कारण आलू की खोदाई रुक गई है. अच्छे मुनाफे को लेकर की गई आलू की फसल की लागत तक किसानों को नहीं मिल पा रही है. किसानों की जानकारी के अनुसार अचानक हुई बारिश से आलू, और सरसों की फसल पर काफी प्रभाव पड़ा है. 

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फसल को बचाने को लेकर किसान परेशान 
मंडी में आलू की लागत तक न मिल पाने से परेशान किसान अब फसल को बचाने के लिए परेशान हो रहे हैं. कोल्ड स्टोर के बाहर ट्रैक्टर ट्रॉली पर आलू लाद कर खड़े किसानों का कहना है कि बारिश के कारण हम बर्बाद हो गए है. 

कोल्ड स्टोर में रखने के अलग से देने पड़ते है रुपये 
मिली जानकारी के मुताबिक आलू किसानों को कोल्ड स्टोरेज में आलू रखने के लिए 150 रुपये प्रति पैकेट खर्च करने पड़ते हैं. अधिकतम छह महीने की अवधि तक आलू को स्टोर किया जाता है, इसके बाद किसानों को आलू निकालना होता है. अगली फसल की बुआई के लिए किसान कुछ आलू का बीज के तौर पर इस्तेमाल करते हैं और कुछ आलू को मंडी में बेच देते हैं. बताया जा रहा है जब किसानों को आलू का लागत मूल्य भी नहीं मिलता तो दिक्कत होती है, वह कोल्ड स्टोरेज में पड़ा अपना आलू नहीं निकालते क्योंकि तब उन्हें कोल्ड स्टोरेज का किराया चुकाना पड़ता है, जो उनके नुकसान को और बढ़ा देता है. इस वजह से वे कोल्ड से अपना आलू उठाने से बचते हैं.

सड़को पर फेंका जा रहा आलू
ऐसे में जब अगली फसल आने का समय हो जाता है तो समस्या पैदा होती है, क्योंकि कोल्ड स्टोर में नया आलू रखने की जगह नहीं होती, वहां पहले से ही पुराना आलू रखा होता है. ऐसी स्थिति में कोल्ड स्टोरेज के मालिक पुराना आलू निकालना शुरू करते हैं. अपना किराया वसूल करने के लिए पहले पुराने आलू को बेचने की कोशिश करते हैं लेकिन जब कोई खरीदार नहीं मिलता तो पुराने आलू को फेंका जाता है. ऐसे में बारह मास बड़े चाव से खाया जाने वाला आलू सड़कों पर मारा-मारा फिरता दिखाई देता है. हजारों क्विंटल आलू इस तरह बर्बाद हो जाता है.

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