World Tuberculosis Day 2023: टीबी यानी ट्यूबरकुलोसिस आज भी देश के हेल्थ सिस्टम के सामने सबसे बड़ी चुनौती है. हालांकि पांच-छह दशक पहले टीबी का कोई उपचार नहीं था, लेकिन अब इसका उपचार है, बशर्ते मरीज समय रहते डॉक्टर के पास पहुंच जाए.
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लखनऊ : विश्व के टीबी के कुल मामलों में 28 फीसदी भारत के हैं. ग्लोबल टीबी रिपोर्ट 2022 के मुताबिक 2021 में 21.3 लाख मामले भारत में सामने आए थे जबकि 2020 में 18.05 लाख मामले दर्ज किए गए. यानी आज भी टीबी एक गंभीर समस्या के रूप में हमारे सामने है.अमेरिका के सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक 24 मार्च 1882 को डॉक्टर रॉबर्ट कोच ने टीबी रोग के लिए जिम्मेदार माइक्रोबैक्टीरियल ट्यूबकुलोसिस बैक्टीरिया की खोज की थी. डॉ. रॉबर्ट कोच की ये खोज आगे चलकर टीबी के इलाज में बहुत सहायक साबित हुई. उनकी इस खोज की वजह से डॉ. रॉबर्ट कोच को साल 1905 में नोबेल पुरस्कार भी मिला. इस बीमारी को लेकर लोगों के बीच जागरुकता फैलाने के लिए 24 मार्च की तारीख को चुना गया और 24 मार्च को विश्व तपेदिक दिवस के रूप में मनाने की घोषणा हुई.
आज टीबी की दवाएं उपलब्ध है लेकिन बहुत से लोगों को टीबी के लक्षण दिखने पर पता ही नहीं चलता कि उसे टीबी भी हो सकता है. इसलिए बहुत दिनों तक इसे बिना इलाज ही छोड़ देते हैं. इसके बहुत ही खतरनाक नतीजे सामने आते हैं. टीबी बैक्टीरिया के कारण होता है. आमतौर पर यह फेफड़ों को संक्रमित करता है लेकिन यह बॉडी के किसी भी अंग में हो सकता है. यहां तक कि प्रजनन अंगों में भी इसका बैक्टीरिया पहुंचकर इनफर्टिलिटी को बढ़ा देता है. इसलिए समय रहते टीबी की पहचान जरूरी है.
ऐसे लोगों को जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी कमजोर होती है, उसे टीबी होने का खतरा सबसे ज्यादा रहता है. टीबी के इलाज के लिए एंटीबायोटिक दवाएं दी जाती हैं लेकिन कुछ बैक्टीरिया का स्वरूप दवाई से भी ठीक नहीं होता है. शुरुआती दौर में जब किसी को टीबी होता है तो हल्का बुखार और थकान होता है, यही वजह है कि अधिकांश लोग शुरुआत में टीबी को पहचान नहीं पाते हैं. यहां हम ऐसे संकेतों के बारे में चर्चा करेंगे जिनसे टीबी को पहचानना आसान हो जाएगा.
टीबी की पहचान के संकेत
टीबी के बैक्टीरिया शरीर में तीन फेज में विकास करते हैं और इन तीनों चरण में अलग-अलग तरह के लक्षण दिखते हैं.
1. पहला फेज-प्राइमरी टीबी इंफेक्शन- टीबी की चपेट में आते ही शुरुआत में इम्यून सिस्टम के सेल्स टीबी के जर्म की पहचान कर लेते हैं. वह उसे खत्म कर मार देते हैं. लेकिन कुछ जर्म इसके बावजूद बच जाता है. प्राइमरी इंफेक्शन में आमतौर पर कोई लक्षण नहीं दिखता है. कुछ लोगों में हल्का बुखार, थकान और कफ की शिकायत हो सकती है जो अन्य सामान्य बीमारियों में भी होती है.
2.लेटैंट टीबी इंफेक्शन : प्राइमरी इंफेक्शन के बाद लेटैंट टीबी का स्टेज आता है. इस फेज में इम्यून सिस्टम टीबी के जर्म के चारों ओर एक दीवार बना देता है. इससे तब तक टीबी का बैक्टिरिया तक नुकसान नहीं पहुंचाता है. लेकिन इसके बाद भी जर्म जिंदा रह सकता है. हालांकि इस फेज में कोई लक्षण नहीं दिखता.
3. एक्टिव टीबी : दूसरे फेज के बाद भी टीबी का जर्म जिंदा रह गया तो बॉडी की रोग प्रतिरोधक क्षमता फिर काम नहीं कर पाती. अब जर्म पूरे फेफड़े में संक्रमण को फैला देता है. फेफड़ों यानी लंग्स के अलावा अन्य जगहों पर भी टीबी के बैक्टीरिया पहुंचने लगते हैं. हालांकि इस फेज तक आने में बैक्टीरिया को महीनों या सालों लग जाता है. एक्टिव टीबी के लक्षणों को आप इस तरह पहचान सकते हैं.
1.बहुत ज्यादा कफ जो सामान्य दवाइयों से ठीक नहीं हो.
2.बलगम से खून आना.
3.छाती में दर्द.
4. सांस लेने में या खांसने में दर्द होना.
5.बुखार होना.
6.ठंड लगना.
7.रात में पसीना आना.
8.भूख नहीं लगना.
9.थकान होना.
10. स्वस्थ्य महसूस नहीं करना.
क्या है उपचार
टीबी के लक्षण सामने आने के बाद आप बहुत ज्यादा घबराने के बजाय उसके उपचार पर ध्यान केंद्रित करें. क्योंकि टीबी का शत प्रतिशत इलाज है. बशर्ते आप डॉक्टर की सलाह पर उचित दवाएं लें. हां, उपचार में देरी जानलेवा भी हो सकती है. यदि आप शुरुआती दौर में डॉक्टर के पास पहुंचा जाए या लक्षण दिखने पर डॉक्टर से संपर्क किया जाए दवाओं से टीबी शत प्रतिशत ठीक हो जाता है. इसके लिए चार से पांच महीने दवा खानी पड़ती है. ऐसे में टीबी से जुड़े लक्षण दिखें तो तत्काल डॉक्टर से संपर्क करें.
डिस्क्लेमर: यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. zeeupuk इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.
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