यूपी चुनाव: सटोरियों ने BJP के भाव बढ़ाए, एक्सपर्ट ने बताया सपा कहां खा रही है मात
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यूपी चुनाव: सटोरियों ने BJP के भाव बढ़ाए, एक्सपर्ट ने बताया सपा कहां खा रही है मात

अगर बीजेपी यह चुनाव जीतती है तो 21 साल में ऐसा पहली बार होगा जब कोई एक पार्टी लगातार दूसरी बार सत्ता में आएगी. वहीं, खबर मिल रही है कि सटोरियों ने बीजेपी और सपा पर ही बोली लगाई है. बसपा, आप या कांग्रेस को कोई खास भाव नहीं मिल रहा. बसपा को 15 सीटें मिलने का अनुमान लगाया जा रहा है...

यूपी चुनाव: सटोरियों ने BJP के भाव बढ़ाए, एक्सपर्ट ने बताया सपा कहां खा रही है मात

UP Chunav 2022: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के बाद सत्ता की कमान किसको मिलेगी, यह जानने के लिए पूरा देश उत्सुक है. इसके लिए केवल कयास या एनालिसिस ही नहीं, बल्कि सट्टे भी लगाए जा रहे हैं. दरअसल, मीडिया में ऐसी खबरें चल रही हैं कि लखनऊ, दिल्ली और हापुड़ के सट्टा बाजारों में ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि बीजेपी दोबारा सत्ता में आने वाली है. सबसे ज्यादा सट्टे बीजेपी को लेकर ही लग रहे हैं. सटोरियों के हिसाब से इस बार बीजेपी को 220 सीट मिलने वाली हैं और सटोरियों के ही हिसाब से 135-140 सीट के साथ सपा के दूसरे नंबर पर रहने की संभावना है.

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अनुमान: 220 सीटें बीजेपी के पास 
आईएएनएस एजेंसी के मुताबिक, जनवरी 2022 में सटोरियों ने अनुमान लगाया था कि बीजेपी को यूपी में 230 सीट मिलेंगी. हालांकि, सात चरण के मतदान के दौरान अब उनका कयास है कि 403 सीटों में से बीजेपी को 220 सीटें मिल सकती हैं.

सपा की बढ़ेंगी सीटें?
मीडिया रिपोर्ट्स में चल रही खबरों के अनुसार, सटोरियों का कहना है कि पहले बीजेपी के ज्यादा सीटें जीतने की संभावना थी, लेकिन आखिरी चरण के चुनाव से पहले फिर लहर बदलती नजर आ रही है. अनुमान के मुताबिक, बीजेपी शुरुआती हार के बाद बहुमत से चुनाव जीतेगी. वहीं, सपा को पहले कम सीटें मिलने की संभावना जताई जा रही थी लेकिन अब 135-140 सीटों का अनुमान लगाया जा रहा है.

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बीजेपी और समाजवादी पार्टी ही रेस में
बता दें, अगर बीजेपी यह चुनाव जीतती है तो 21 साल में ऐसा पहली बार होगा जब कोई एक पार्टी लगातार दूसरी बार सत्ता में आएगी. वहीं, खबर मिल रही है कि सटोरियों ने बीजेपी और सपा पर ही बोली लगाई है. बसपा, आप या कांग्रेस को कोई खास भाव नहीं मिल रहा. बसपा को 15 सीटें मिलने का अनुमान लगाया जा रहा है.

जानकारी के लिए बता दें कि पेशेवरों के जरिये ही सट्टा बाजार में कारोबार किया जाता है. मार्केट में सिर्फ भरोसेमंद कस्टमर ही अपना पैसा लगाते हैं. इसी के साथ यह भी बता दें कि यह खबर मीडिया रिपोर्ट्स द्वारा दी गई जानकारी पर आधारित है. यह ज़ी यूपी-उत्तराखंड का इनपुट नहीं है. 

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यह बात हुई सटोरियों की... आइए जानते हैं पॉलिटिकल स्ट्रैटजिस्ट बद्रीनाथ राजनीतिक समीकरण के बारे में क्या कहते हैं.

"उत्तर प्रदेश चुनाव में सपा गठबंधन की शुरुआत अच्छी रही थी, लेकिन चुनाव जैसे-जैसे आगे बढ़ा बीजेपी की रणनीती सही होती गई. सपा की सीटों पर गठबंधन को मौका मिला. बसपा ने भी अपना दांव लगाया. चंद्रशेखर को गठबंधन से बाहर करके सपा ने दलित वोटों को अपनी तरफ लाने रुख साफ कर लिया. वो वोट जो चंद्रशेखर की वजह से सपा-गठबंधन की तरफ जा सकते थे, सपा गठबंधन को नहीं मिले. किसान बिल की वापसी से भी बीजेपी को फायदा हुआ है.सपा ने पूर्वांचल की कई सीटों पर टिकट देकर काटा (उदाहरणस्वरूप मधुबन से पहले घोसी के पूर्व विधायक सुधाकर सिंह को टिकट दिया फिर अगले दिन बदलकर बसपा से सपा में आये पूर्व विधायक उमेश पांडेय को टिकट दे दिया. इससे इन दोनों सीटों पर सपा का तालमेल गड़बड़ा गया."

सपा और भाजपा को इस कदर हुआ नुकसान
बद्रीनाथ ने कहा, "जहूराबाद से जब ओपी राजभर चुनाव में आये तो सादाब फातिमा को बसपा ने उतार दिया, देवरिया की रुद्रपुर सीट पर भी सपा ने अपने घोषित प्रत्याशी का टिकट काटकर दूसरा प्रत्याशी ला दिया. पश्चिम में भी इमरान मसूद को मैनेज करने में हफ्ते लग गए. इससे काफी नकारात्मक असर पड़ा. निषाद वोटों को लामबंद करने और चुनाव पूर्व सपा सुभासपा गठबंधन हो जाने से राजभर वोटों को सपा की ओर जाने के डर से बीजेपी ने इन वोटों की भरपाई के लिए संजय निषाद से गठबंधन किया था, लेकिन बीजेपी मुकेश साहनी के नेतृत्व वाली वीआईपी को नहीं मिला सकी. नतीजतन वीआईपी ने बीजेपी के नाराज लोगों को टिकट (उदाहरण स्वरूप- बैरिया विधानसभा से सुरेंद्र सिंह व मधुबन से भरत भैया को) दिया इससे थोड़ा नुकसान बीजेपी को भी हुआ है."

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क्या आएगी गठबंधन की नौबत
उन्होंने आगे बताया, "कुल मिलकर बीजेपी की सीटें काफी कम हो रही हैं. आने वाले समय में नतीजे काफी दिलचस्प होने वाले हैं. इस चुनाव में बहुत सारी सीटों पर बहुत कम वोटों से हार-जीत का फैसला होगा. इसकी भी सम्भावना प्रबल है कि यूपी में गठबंधन की सरकार बनेगी उसमें बीजेपी की सरकार बनने की संभावना ज्यादा होगी. गठबंधन की संभावना होने पर सपा के बजाय बसपा, बीजेपी की तरफ रुख करेगी. माहौल बीजेपी के खिलाफ रहा, लेकिन प्रबन्धन की कमी की वजह से सपा पूरा फायदा अपने पक्ष में लेने में असफल रही है."

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