यज्ञोपवीत को हम आम बोलचाल की भाषा में जनेऊ कहते हैं. सनातन धर्म के ग्रंथों के अनुसार शौच के समय जनेऊ को कान पर लपेटने का नियम है. हमारे धर्मग्रंथों में जनेऊ का उपयोग करने के नियम बताए गए हैं. इन नियमों को अपनाने से हमें अनेक लाभ मिलते हैं.
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Wenefits Of Wearing Janeu: यज्ञोपवीत को हम आम बोलचाल की भाषा में जनेऊ कहते हैं. सनातन धर्म के ग्रंथों के अनुसार शौच के समय जनेऊ को कान पर लपेटने का नियम है. हमारे धर्मग्रंथों में जनेऊ का उपयोग करने के नियम बताए गए हैं. इन नियमों को अपनाने से हमें अनेक लाभ मिलते हैं.
जनेऊ के विषय में पौराणिक मत
कूर्मपुराण के अनुसार
श्लोक- निधाय दक्षिणे कर्णे ब्रह्मसूत्रमुदङ्मुखः। अनि कुर्याच्छकृन्मूत्रं रात्रौ चेद् दक्षिणामुखः ॥
हिन्दी अनुवाद- दाहिने कान पर जनेऊ चढ़ाकर दिन में उत्तर की तरफ मुख करके और रात में दक्षिण की तरफ मुख करके मल-मूत्र त्याग करना चाहिए.
मल-मूत्र त्याग में अशुद्धता, अपवित्रता से बचाने के लिए जनेऊ को कानों पर लपेटने की परंपरा बनाई गई है. इसमें जनेऊ कमर से ऊपर आ जाने के कारण अपवित्र होने की संभावना नहीं रहती. दाहिने कान में आदित्य, वसु, रुद्र, वायु और अग्नि देवता वास करते हैं. इसलिए भी जनेऊ को शौच के समय दाहिने कान के ऊपर रखना चाहिए.
अह्निककारिका के अनुसार
श्लोक- मूत्रे तु दक्षिणे कर्णे पुरीषे वामकर्णके। उपवीतं सदाधार्य मैथुनेतूपवीतिवत्.
हिन्दी अनुवाद- मूत्र त्यागने के समय जनेऊ दाहिने कान पर और शौच के समय बाएं कान पर चढ़ाए.
मनु महाराज ने जनेऊ को कान पर रखने के बारे में कहा है-
पुरुष नाभि से ऊपर पवित्र है, नाभि के नीचे अपवित्र है. इसलिए उस समय पवित्र जनेऊ को सिर के भाग कान पर लपेटकर रखा जाता है.
जनेऊ पर विज्ञान का मत
लंदन के क्वीन एलिजाबेथ चिल्ड्रन हॉस्पिटल के भारतीय मूल के डॉ. एस. आर. सक्सेना कहते हैं कि जनेऊ कान पर चढ़ाने से आंतों की सिकुड़ने-फैलने की गति बढ़ती है, जिससे मलत्याग शीघ्र होकर कब्ज दूर होता है. कान के पास की नसें दबाने से बढ़े हुए रक्तचाप को नियंत्रित भी किया जा सकता है.वहीं इटली के बाटी विश्वविद्यालय के न्यूरो सर्जन प्रो. एनारीब पिटाजेली के रिसर्च के मुताबिक़ कान के मूल के चारों तरफ दबाव डालने से हृदय मजबूत
होता है इससे दिल की बिमारी से बचाने में भी जनेऊ मदद कर सकता है.
जनेऊ के विषय में आयुर्वेद क्या कहता है.
दाहिने कान के पास से गुजरने वाली विशेष नाड़ी लोहितिका मल-मूत्र के द्वार तक पहुंचती है, जिस पर दबाव पड़ने से इसका काम सरल हो जाता है जिससे शौच खुलकर होती है. दाहिने कान की नाड़ी से मूत्राशय का और बाएं कान की नाड़ी से गुदा का संबंध होता है। इसलिए मूत्र त्याग करते समय दाहिने कान को जनेऊ से लपेटने से मधुमेह और यौन संक्रमण का खतरा काम होता है. बाएं कान को जनेऊ से लपेट कर शौच जाते रहने से भगंदर (फिस्टुला ) बवासीर (पाईल्स) जैसी बिमारियों की संभावना कम होती है. इसलिए नियमानुसार दाएं और बाएं दोनों कानों पर जनेऊ चढ़ाने के अनेक फायदे हैं.