Sambhal: चार साल की उम्र में कट गईं हाथों की उंगलियां, फिर भी नहीं छोड़ा हौसला, हथेलियों की मदद से फर्राटे से लिखते हैं हिंदी और अंग्रेजी
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Sambhal: चार साल की उम्र में कट गईं हाथों की उंगलियां, फिर भी नहीं छोड़ा हौसला, हथेलियों की मदद से फर्राटे से लिखते हैं हिंदी और अंग्रेजी

Sambhal News: 'मंजिलें उन्हीं को मिलती हैं, जिनके सपनों में जान होती है. पंखों से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है,' इन लाइनों को संभल के रहने वाले दिव्यांग साहब सिंह ने सच कर दिखाया है. अपने हौसले से वह दिव्यांग लोगों के लिए प्रेरणा बने हैं. 

Sambhal: चार साल की उम्र में कट गईं हाथों की उंगलियां, फिर भी नहीं छोड़ा हौसला, हथेलियों की मदद से फर्राटे से लिखते हैं हिंदी और अंग्रेजी

सुनील सिंह/संभल: यूपी के संभल में दिव्यांग साहब सिंह अपने हौसले से दिव्यांग लोगों के लिए प्रेरणा बन गए हैं. दोनों हाथो की अंगुलिया चारा मशीन से कट जाने के बावजूद दिव्यांग साहब सिंह कटी हथेलियों के बीच पेन को दबाकर फर्राटे से हिंदी और अंग्रेजी लिखते हैं, साईकिल चलाते हैं और अपने खाना भी खुद पकाते है, यही नहीं अपनी दिव्यांगता को मात देकर दिव्यांग साहब सिंह ग्रेजुएशन करने के बाद अब अफसर बनने के अपने सपने को पूरा करने के लिए दिन रात जुटे हुए हैं. 

चारा मशीन से कट गई थीं दिव्यांग की उंगलियां
संभल जिले में चंदौसी तहसील के गांव के रहने वाले दिव्यांग साहब सिंह के दोनों हाथों की सभी अंगुलियां चारा मशीन मे आने से कट गई थीं. दिव्यांग साहब सिंह उस समय चौथी क्लास के छात्र थे.उन्होंने बताया लगभग 4 महीने के इलाज के बाद उनकी दोनों हाथों की हथेलियों के जख्म भर गए तो उन्होंने दोबारा स्कूल जाना शुरू कर दिया, लेकिन हाथों की अंगुलियां न होने पर लिखने में दिक्कत हुई तो कई महीने तक पैरों में पेन दबाकर लिखने की प्रेक्टिस की.

कोहनी से पेन दबाकर शुरू किया लिखाना
उसके बाद दोनों हाथों की कोहनियों मे पेन दबाकर लिखना शुरू किया जब कोहनियों मे पेन दबाकर लिखने मे आसानी होने लगी तो हौसला भी बढ़ने लगा , हौसला बढ़ा तो दोनों हाथों की कटी हथेलियों मे पेन दबाकर लिखना शुरू कर दिया, कुछ महीने की प्रैक्टिस के बाद हिन्दी और अंग्रेजी आसानी से लिखने लगा उसके बाद शिक्षा को ही अपना जुनून बनाकर अंग्रेजी, राजनीति शास्त्र और अर्थशास्त्र से स्नातक करने के बाद इन दिनों एमए सेकेंड ईयर के छात्र है.

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प्रशासनिक अपसर बनना चाहता है दिव्यांग
दिव्यांग साहब सिंह का सपना प्रशासनिक अफसर बनना है, जिसके लिए बह अपने गांव से दूर चंदौसी मे एक किराए के कमरे में रहकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं. किराए के छोटे से कमरे में रह रहे दिव्यांग साहब सिंह अपना खाना खुद पकाते हैं, दिनचर्या के सभी काम निपटाने के बाद साईकिल चलाकर कालेज पहुंचते हैं. खास बात यह है कि तमाम परेशानियों के बावजूद दिव्यांग साहब सिंह का हौसला किसी भी सामान्य शख्स से कम नहीं है.

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सरकार से की ये मांग
दिव्यांग साहब सिंह सरकारी अफसरों से खासे नाराज हैं. साहब सिंह का आरोप है कि सरकार दिव्यांग लोगों के लिए तमाम योजनाएं लागू करती है लेकिन सरकारी विभागों की मनमानी से दिव्यांग लोगों को योजनाओं का लाभ नहीं मिलता. दिव्यांग साहब सिंह की सरकार से मांग है कि दिव्यांग लोगों के लिए लागू की गई. योजनाओं का लाभ दिव्यांग लोगों तक पहुंचाने के लिए सरकार ध्यान दे. साहब सिंह ने विकलांगों को दिव्यांग का दर्जा देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार भी व्यक्त किया है.

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