इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में फीस वृद्धि का मुद्दा थमने का नाम नहीं ले रहा है. आंदोलनकारी छात्र पिछले एक महीने से लगातार अनशन पर बैठे हैं. अब उन्होंने पीएम और राष्ट्रपति से अपनी गुजारिश की है. वह भी रक्त की स्याही से पत्र लिखकर.
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मोहम्मद गुफरान/प्रयागराज: इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी (Allahabad Central Uuniversity) में चार गुना फीस वृद्धि का मामला लगातार तूल पकड़ रहा है. छात्रों की आर या पार की लड़ाई लगातार उग्र होती जा रही है. हालांकि प्रयागराज जिला प्रशासन (Prayagraj District Administration) ने रविवार को छात्रों के साथ मीटिंग की और छात्रों को उग्र न होने के लिए आग्रह किया. छात्रों ने भी एक स्वर में कहा कि हम गांधीवादी तरीके से आंदोलन करना चाहते हैं. छात्रों ने कहा कि हम चाहते हैं कि विश्वविद्यालय प्रशासन वार्ता कर फीस वृद्धि वापस ले, ताकि आंदोलन समाप्त हो सके. फीस वृद्धि के खिलाफ छात्रों के आंदोलन का सोमवार को 28 वां दिन है.
पीएम और राष्ट्रपति को लिखा पत्र
आमरण अनशन स्थल से आंदोलनकारियों ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और शिक्षा मंत्री को खून से पत्र लिखकर फीस वृद्धि वापस कराने की गुजारिश की है. छात्रों ने कहा कि फीस वृद्धि की वजह से किसान, मजदूर और गरीब के बच्चे उच्च शिक्षा ग्रहण नहीं कर सकेंगे. यह लड़ाई गरीब छात्रों के उच्च शिक्षा के लिए लड़ी जा रही है.
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बातचीत से सुलह के आसार
माना जा रहा है कि चार अक्टूबर को जिला प्रशासन और विश्वविद्यालय के अधिकारियों की उपस्थिति में छात्रों के साथ फीस बढ़ोत्तरी के मुद्दे पर कोई समाधान निकल सकता है. इलाहाबाद विश्वविद्यालय के ग्रेजुएशन स्तर की फीस प्रति छात्र 975 रुपये सालाना थी. इसमें हालही में 300 फीसदी की वृद्धी गई. अब यह लगभग 4,151 रुपये प्रति वर्ष हो गई है. इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय पिछले काफी समय से आंदोलन और छात्र राजनीति का अखाड़ा बना हुआ है. जरुरत इस बात की है कि विश्वविद्यालय प्रशासन और छात्र संगठन एक साथ बैठकर छात्रों के हितों से जुड़े मुद्दे का समाधान निकालें.