Navratri 2022: सैकड़ों वर्ष पूर्व गंगा की धारा में मिली मां काली की प्रतिमा, 1793 में महाराज काशी ने बनवाया था मंदिर
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Navratri 2022: सैकड़ों वर्ष पूर्व गंगा की धारा में मिली मां काली की प्रतिमा, 1793 में महाराज काशी ने बनवाया था मंदिर

Navratri 2022: मंदिर के गर्भगृह में सुतली विभिन्न रंगों का प्रयोग से महिषासुर सहित तमाम सजीव का चित्रण किया गया. अष्टधातु निर्मित महाघंटा स्थापित किया गया. 

Navratri 2022: सैकड़ों वर्ष पूर्व गंगा की धारा में मिली मां काली की प्रतिमा, 1793 में महाराज काशी ने बनवाया था मंदिर

संतोष जायसवाल/चंदौली: आज से शारदीय नवरात्र प्रारम्भ हो गया है.आज माता के नौ रूपों में प्रथम दिन मां शैलपुत्री काचकिया में स्थित शक्तिपीठ मां काली मंदिर पूजन का प्रावधान है. माता के मंदिरों में सुबह से ही भक्तों की भीड़ देखी जा रही है. जिले के  में भी श्रद्धा का संगम देखने को मिल रहा है. हजारों की तादात में चकिया समेत पूर्वी बिहार, मिर्ज़ापुर,और दूर-दराज से श्रद्धालु मां के दरबार में हाजिरी लगाने के साथ ही माथा टेक मनौती पूरी करने के लिए आ रहे हैं. 

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श्रद्धालुओं की अपार श्रद्धा के चलते भारी भीड़
श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के चलते मां काली जी के ऐतिहासिक मंदिर स्थल मेले के रूप में तब्दील हो गया है.  शक्ति स्वरूपा मां काली जी के प्रति श्रद्धालुओं की अपार श्रद्धा देखते ही बनती है. यहां शारदीय नवरात्र में मुंडन संस्कार सहित कथा पुराण के नियमित आयोजन होते हैं. मनौती पूरी होने पर लोग श्रद्धा भाव से चढ़ावा चाहते हैं. श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के कारण नवरात्रि में मेले जैसा दृश्य सुबह से लेकर देर रात तक बना रहता है. मंदिर प्रांगण में फूल,माला,अगरबत्ती- चुनरी और नारियल की दुकानों अलावा चाट-पकौड़ी, खिलौने की अस्थाई दुकानें सज जाती हैं. दुकानदारों को पूरे वर्ष शारदीय नवरात्र का इंतजार बेसब्री से रहता है.

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महाराजा उदित नारायण सिंह ने बनवाया मंदिर
मंदिर के बारे में बताया जाता है कि पूर्व में काशी महाराजा उदित नारायण सिंह के शासन काल के समय 1793 में महाराजा को सपना आया था. उन्होंने मां काली दक्षिणेश्वर की मूर्ति को गंगा के बीच धारा में पड़ा हुआ देखा. महाराजा ने उसको निकलवा कर चकिया में विशाल मंदिर बनवाकर माता रानी की स्थापना करवाई. दाहिने तरफ में मां महालक्ष्मी बाएं तरफ और मां सरस्वती को विराजमान किया गया. सामने गणेश जी की मूर्ति की स्थापना की गई. बीचों-बीच गर्भ गृह में अपने तीनों भाइयों के नाम पर उदिततेश्वर, प्रसिद्वेश्र्वर,दीपेश्वर, 3 शिवलिंग की स्थापना की गई. 

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 महिषासुर सहित तमाम सजीव का चित्रण 
मंदिर के गर्भगृह में सुतली विभिन्न रंगों का प्रयोग से महिषासुर सहित तमाम सजीव का चित्रण किया गया. अष्टधातु निर्मित महाघंटा स्थापित किया गया. ऐसा माना जाता है कि इस घंटे की ध्वनि जहां तक सुनाई देगी वहां तक सारी विध्न बाधाएं दूर हो जाती हैं

यहां पांचों देवता स्थापित-मंदिर के पुजारी
मंदिर के पुजारी वीरेंद्र कुमार झा ने बताया की महाराजा काशी उदित नारायण सिंह ने इस मंदिर को बनवाया.  मां काली आदिशक्ति हैं. गर्भगृह में जो महादेव बने हुए हैं महाराजा लोगों के नाम से है उदितेस्वर महादेव, प्रसिद्धेश्वर महादेव, दीपेश्वर महादेव, तीनों महादेव का नाम है. यहां पांचों देवता हैं, महाकाली, महालक्ष्मी, महासरस्वती और गणेश. उन्होंने बताया कि मनोकामना पूर्ण होने के बाद भी पूजा पाठ करते हैं. बाल बच्चों के रक्षा के लिए इसके पहले बलि होती थी, लेकिन 2- 3 सालों से ये प्रथा बंद है. मां काली के मंदिर में दर्शन करने आये दर्शनार्थी डॉक्टर महेश कुमार राय ने बताया यहां दुर्गा के समस्त श्लोकों का वर्णन है. ये बहुत बड़ी आस्था का केंद्र है.

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