Jhansi: गायों की नस्ल सुधारने को झांसी नगर निगम की अनोखी योजना, दूध के साथ बढ़ेगी गौशाला की इनकम!
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Jhansi: गायों की नस्ल सुधारने को झांसी नगर निगम की अनोखी योजना, दूध के साथ बढ़ेगी गौशाला की इनकम!

Jhansi News: झांसी नगर निगम गौशाला में नस्ल सुधारने को लेकर एक योजना पर काम कर रहा है. अगर यह कामयाब हुई तो ना सिर्फ गौशाला आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होंगे. वहीं, गोवंशों को छोड़ने में भी कमी आएगी.    

 

Jhansi: गायों की नस्ल सुधारने को झांसी नगर निगम की अनोखी योजना, दूध के साथ बढ़ेगी गौशाला की इनकम!

अब्दुल सत्तार/झांसी: झांसी के बिजौली में बने कान्हा उपवन गौशाला में नस्ल सुधारने को लेकर एक अनोखी योजना पर नगर निगम की ओर से काम किया जा रहा है. दरअसल प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की गौशालाओं को आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा देते रहे है. इसके बाद नगर निगम के अधिकारियों ने  कान्हा उपवन में नस्ल सुधार पर काम शुरू दिया है.  इसके पीछे का मकसद यह है कि इसके सफल होने के बाद दुधारू नस्ल की गौवंश के तरिए से एक ओर जहां गौशाला आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हो सकेंगे तो दूसरी ओर दुग्ध उत्पादकता बढ़ने पर गोवंशों को निराश्रित छोड़ देने की प्रथा में भी कमी आएगी.    

कान्हा उपवन में 650 से ज्यादा निराश्रित गोवंशों की हो रही देख रेख
झांसी के कान्हा उपवन में तकरीबन 650 से ज्यादा निराश्रित गौवंश रखे गये हैं.  नगर निगम की ओर से गौशाला की देख रेख की जाती है। जिसमें 9 कर्मचारी दिन में और 3 कर्मचारी रात काम करते हैं. ज्यादातर गौशाला में देशी नस्ल की गाय मौजूद हैं, जो डेढ़ लीटर से तीन लीटर के आसपास दूध देती हैं. इसलिए लोग इन्हें निराश्रित छोड़ देते हैं. इन गौवंशों की नस्ल सुधार और गौशाला की आर्थिक आत्मनिर्भरता के मकसद से गौशाला में अनुदान के आधार पर बेहतरीन नस्ल के 8 सांड मंगाए गए हैं. इनमें से तीन सांड साहिवाल, दो सांड गिर और तीन सांड हरियाणा नस्ल के हैं. इस प्रयोग पर कुछ दिनों पहले ही काम शुरू हुआ है और उम्मीद जताई जा रही है कि आने वाले कुछ सालों में अच्छे परिणाम सामने आयेंगे. 

नगर निगम के नगर पशु कल्याण अधिकारी डॉ राघवेंद्र सिंह बताते हैं कि तीन भारतीय उच्च नस्ल के आठ सांड ब्रीडिंग फार्म्स से यहां मंगवाए गए हैं. इनसे प्राकृतिक रूप से जो बछिया होंगी. उनकी कम से कम आठ से दस लीटर दूध देने की क्षमता होगी. इनकी नीलामी कर आय होगी और इससे कान्हा उपवन आत्मनिर्भर हो सकेगी. गाय की नस्ल सुधार को लेकर यह प्रयोग सफल रहा तो इसे शासन को भेजेंगे और शासन की स्वीकृति मिली तो इसे अन्य जगहों पर भी लागू किया जाएगा. 

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